Shimla News: देश के प्रमुख सेब उत्पादक राज्यों के बागवानों ने शिमला के कालीबाड़ी हॉल में जुटकर अपने हक की लड़ाई लड़ने का ऐलान किया है. शिमला में एप्पल फार्मर्स फेडरेशन ऑफ इंडिया (AFFI) और हिमाचल सेब उत्पादक संघ की संयुक्त आम सभा आयोजित की गई. जिसमें जम्मू-कश्मीर, उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश के सेब बागवानों ने भाग लिया.
इस सभा में किसानों-बागवानों की मांगों और भारत सरकार द्वारा सेब पर आयात शुल्क कम करने के खिलाफ निर्णायक आंदोलन की रूपरेखा तैयार की गई.
सरकार पर लगाए वादाखिलाफी के आरोप
जम्मू-कश्मीर के कुलगाम से विधायक और एएफएफआई के राष्ट्रीय संयोजक मोहम्मद यूसुफ तारिगामी ने कहा कि सेब उत्तर भारत के पहाड़ी राज्यों के लाखों किसानों की आजीविका का मुख्य साधन है. सरकार बार-बार न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) देने का वादा करती है, लेकिन आज तक इसे लागू नहीं किया गया.
उन्होंने कहा कि मोदी सरकार ने किसानों बागवानों से कई वायदे किए. बयान देने ओर वायदों में उनका कोई मुकाबला नहीं है, लेकिन उसे निभाना उनके दायरे में नहीं है. खाद और कीटनाशकों पर कोई सब्सिडी नहीं दी जाती, जबकि महंगाई लगातार बढ़ रही है. कश्मीर में फसल बीमा योजना लागू नहीं है. अन्य राज्यों में भी किसानों को भी बीमा का पूरा लाभ नहीं मिल रहा है.
अमेरिकी सेब को बढ़ावा देने का आरोपउन्होंने आरोप लगाया कि अमेरिका के दबाव में केंद्र सरकार देश के बाजार को अमेरिकी सेब के लिए खोलने की तैयारी में है. इससे देश के बागवानों को बड़ा आर्थिक नुकसान होगा. उन्होंने चेतावनी दी कि यदि सरकार ने किसानों की अनदेखी जारी रखी तो संघर्ष तेज किया जाएगा. 9 जुलाई को देशभर की ट्रेड यूनियनों द्वारा आयोजित धरनों में एप्पल फार्मर्स फेडरेशन भी भाग लेगी और अपनी आवाज बुलंद करेगी.
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देश में अमेरिकी सेब को बढ़ावा देने का आरोप, सरकार के खिलाफ मोर्चा खोलेंगे हिमाचल के बागवान
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