हिमाचल प्रदेश में एचपीटीडीसी के 14 होटलों को निजी हाथों में सौंपने के सरकारी फैसले पर विवाद गहरा गया है। धर्मशाला में सुलह से भाजपा विधायक और पूर्व विधानसभा अध्यक्ष विपिन सिंह परमार ने इस कदम का विरोध किया है। परमार ने कहा कि सरकार एक लाख करोड़ के कर्ज का हवाला देकर इन होटलों को बेचना चाहती है। ये होटल प्रदेश की सांस्कृतिक और पर्यटन धरोहर हैं। एचपीटीडीसी 100 करोड़ रुपए से अधिक का राजस्व कमा रही है। ऐसे में सरकार को स्पष्ट करना चाहिए कि वह किन आंकड़ों के आधार पर इन्हें घाटे में बता रही है। कैबिनेट में फैसले की पूरी जानकारी नहीं दी विधायक ने बताया कि सरकार ने पहले हाईकोर्ट से 18 होटलों को घाटे से उबारने का समय मांगा था। अब वही होटल निजी क्षेत्र को देने की बात हो रही है। एचपीटीडीसी के चेयरमैन आरएस बाली के अनुसार कैबिनेट में इस फैसले की पूरी जानकारी नहीं दी गई। बाली ने यह भी कहा था कि ये होटल 200 करोड़ रुपए तक का राजस्व कमा सकते हैं। कर्मचारियों की नौकरी खतरे में परमार ने चिंता जताई कि इन होटलों में कार्यरत हजारों नियमित और अनुबंधित कर्मचारियों की नौकरी खतरे में पड़ सकती है। निजीकरण से न केवल सैकड़ों लोगों का रोजगार जाएगा, बल्कि प्रदेश का पर्यटन व्यवसाय भी प्रभावित होगा। उन्होंने मुख्यमंत्री सुक्खू से नैतिक आधार पर इस्तीफे की मांग की है। सरकार की कार्यप्रणाली पूरी तरह शून्य परमार ने कहा कि सुक्खू सरकार कांगड़ा को पर्यटन राजधानी बनाने की बात करती रही है। लेकिन अब तक धरातल पर कोई ठोस काम नहीं हुआ। होटल बेचने जैसे फैसले यह दिखाते हैं कि सरकार की पर्यटन नीति सिर्फ घोषणाओं तक सीमित है। उन्होंने कहा कि अब सरकार ऑपरेशन एंड मेंटेनेंस मोड की बात कर रही है। यह दर्शाता है कि सत्ता में आने के बाद सरकार की कार्यप्रणाली पूरी तरह शून्य रही है।
धर्मशाला में भाजपा MLA बोले-होटल सांस्कृतिक और पर्यटन धरोहर:कर्ज का हवाला देकर बेचना चाहती है सरकार, खतरे में कर्मचारियों की नौकरी
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