धर्मशाला में लोकतंत्र का महासम्मेलन: अयोग्य विधायकों पर सीएम सुक्खू का बड़ा बयान!

by Carbonmedia
()

Himachal Pradesh News: कॉमनवेल्थ पार्लियामेंटरी एसोसिएशन (CPA) के भारत क्षेत्र ज़ोन-2 का दो दिवसीय वार्षिक सम्मेलन आज (सोमवार, 30 जून) धर्मशाला के तपोवन स्थित विधानसभा परिसर में शुरू हुआ. लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला ने इस सम्मेलन का शुभारंभ किया.
इस सम्मेलन में दिल्ली, हरियाणा, पंजाब और जम्मू-कश्मीर विधानसभा के अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, मुख्य सचेतक और उप-मुख्य सचेतक शामिल हुए. इसके अलावा, कर्नाटक, असाम, उत्तर प्रदेश, गुजरात, महाराष्ट्र और तेलंगाना राज्यों के विधानसभा अध्यक्ष विशेष रूप से उपस्थित थे.
‘लोकतंत्र को मजबूत करने के लिए सम्मेलन’- सीएम सुक्खूमुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने सभी गणमान्य व्यक्तियों का स्वागत करते हुए कहा कि यह सम्मेलन लोकतंत्र को मजबूत करने, विधायी कार्यों में पारदर्शिता बढ़ाने और आपसी सहयोग को बढ़ावा देने की दिशा में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाएगा. उन्होंने हिमाचल प्रदेश विधानसभा अध्यक्ष कुलदीप सिंह पठानिया को इस सम्मेलन के सफल आयोजन के लिए बधाई दीं.
अयोग्य विधायकों पर सीएम सुक्खू की टिप्पणीमुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश में पहली बार लोकतांत्रिक रूप से चुनी हुई सरकार को गिराने का प्रयास किया गया लेकिन विधानसभा अध्यक्ष ने कानून के अनुसार कार्रवाई कर जिम्मेदार विधायकों को अयोग्य घोषित किया. उन्होंने कहा कि लोकतंत्र की रक्षा के लिए ‘एंटी डिफेक्शन लॉ’ लागू करना अत्यंत आवश्यक है. उन्होंने कहा कि प्रदेश विधानसभा ने अयोग्य विधायकों की पेंशन पर रोक के लिए बिल पास किया है, जिसे राज्यपाल को स्वीकृति के लिए भेजा गया है. 
ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि हिमाचल प्रदेश डिजिटल लोकतंत्र में देश में अन्य राज्यों के लिए अग्रणी राज्य बनकर उभरा है. वर्ष 2014 में हिमाचल प्रदेश विधानसभा देश की पहली कागज रहित विधानसभा बनी. प्रदेश विधानसभा में सभी कार्य डिजिटल माध्यम से सुनश्चित किए जा रहे हैं. उन्होंने ‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ नीति के तहत वर्ष में एक बार उप-चुनाव करवाने का सुझाव भी रखा और लोकसभा अध्यक्ष से इसे राष्ट्रीय मंच पर उठाने का आग्रह किया. 
मुख्यमंत्री ने राज्य की कठिन पारिस्थिति को ध्यान में रखते हुए हिमाचल जैसे पहाड़ी राज्यों के लिए अलग नीति की आवश्यकता पर बल दिया. उन्होंने कहा कि जीएसटी लागू होने के उपरांत राज्य को राजस्व का नुकसान हुआ है. इसलिए केंद्र को चाहिए कि वह पहाड़ी राज्यों के लिए अलग नीति तैयार करें.

How useful was this post?

Click on a star to rate it!

Average rating / 5. Vote count:

No votes so far! Be the first to rate this post.

Related Articles

Leave a Comment