भास्कर न्यूज | जालंधर हिमाचल के डैम से आपातकालीन स्थिति में गेट खुलने पर ओवरफ्लो सतलुज शाहकोट के गांवों में बाढ़ के हालात बना देता है। सोमवार को इलाके के लोग इस मामले को लेकर डीसी दफ्तर पहुंचे। किसान संगठनों के साथ इन लोगों ने सतलुज नदी पर बने धुस्सी बांध की मरम्मत की भी मांग की। किसान मजदूर संघर्ष कमेटी के शलिंदर सिंह जाणीया ने कहा कि सतलुज पर दो पुल बने हैं। यह लोहियां के गिद्दड़पिंडी में हैं। एक रेलवे पुल है और दूसरा हाईवे का पुल। इन पुलों में जब कचरा और मलबा फंस जाता है। तो नदी का जलस्तर बढ़ जाता है और बांध पर दबाव बढ़ जाता है। इससे बांध टूटने की आशंका बन जाती है। इससे आसपास के गांवों में भी बाढ़ आ जाती है। डीसी ने सुरक्षा व्यवस्था बनाए रखने का आश्वासन दिया। डीसी डॉ. अग्रवाल को मांग पत्र देते किसान संघर्ष कमेटी के नेता व अन्य। इन गांवों में ज्यादा खतरा गांव जाणीया, जाणीया चाहल और फतेहपुर भंगवां के पास बना बांध बेहद कमजोर है। ग्रामीणों का कहना है कि इस बांध की कोई ढलान नहीं है और यह सिर्फ एक दीवार की तरह खड़ा है। बारिश के मौसम में जब नदी का जलस्तर बढ़ता है, तो इस बांध के टूटने की आशंका और बढ़ जाती है। प्रशासन ने शुरू किया अस्थायी काम प्रशासन की ओर से फिलहाल बारिश और नदी में बढ़ते पानी को देखते हुए बांध पर मिट्टी डाली जा रही है। लेकिन ग्रामीणों का कहना है कि यह सिर्फ अस्थायी समाधान है। उन्होंने मांग की है कि इस बांध की स्थायी मरम्मत की जाए ताकि हर साल आने वाली बाढ़ से गांवों को बचाया जा सके।
धुस्सी बांध टूटने के कगार पर, रिपेयर के लिए डीसी से मिले किसान
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