एनसीईआरटी (NCERT) द्वारा कक्षा 8 की सामाजिक विज्ञान की नई किताब ने एक नई बहस को जन्म दे दिया है. किताब में दिल्ली सल्तनत और मुगल काल से जुड़े शासकों के बारे में कुछ तीखे शब्दों का इस्तेमाल किया गया है, जिसे लेकर इतिहासकारों और शिक्षा विशेषज्ञों के बीच मतभेद गहराते जा रहे हैं.
नई किताब में बाबर को “क्रूर विजेता”, अकबर को “सहिष्णुता और क्रूरता का मिश्रण” और औरंगजेब को “मंदिर और गुरुद्वारे तोड़ने वाला शासक” बताया गया है. पहले की किताबों की तुलना में यह भाषा ज्यादा सीधी और आलोचनात्मक मानी जा रही है. कई लोग चिंता जता रहे हैं कि इस तरह की बातों से बच्चों की सोच एकतरफा दिशा में जा सकती है.
किताब में पेज 20 पर एक खास टिप्पणी भी जोड़ी गई है जिसका शीर्षक है – “A Note on History’s Darker Period” यानी “इतिहास का अंधकारमय दौर”. इसमें लिखा है कि “बीते ज़माने की घटनाओं के लिए आज के किसी व्यक्ति या समुदाय को दोष नहीं दिया जाना चाहिए.” इसका मकसद यह संदेश देना है कि इतिहास को संतुलित नजरिए से देखा जाए, ताकि छात्रों में किसी के प्रति नफरत या भेदभाव की भावना न पनपे.एनसीईआरटी ने क्या कहा?
एनसीईआरटी ने किताब को लेकर उठे सवालों पर अपना पक्ष साफ किया है. संस्था का कहना है कि यह किताब राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020 और राष्ट्रीय पाठ्यचर्या रूपरेखा (NCF-SE) 2023 के मुताबिक तैयार की गई है. इसका मकसद सिर्फ जानकारी देना नहीं, बल्कि छात्रों को सोचने, समझने और विश्लेषण करने की क्षमता देना है.
कक्षा 8 को मिडिल स्कूल का अंतिम चरण माना जाता है. ऐसे में छात्रों को यह सिखाना जरूरी है कि कैसे समाज, राजनीति, इतिहास और भूगोल एक-दूसरे से जुड़े हैं. किताब में 13वीं सदी से 19वीं सदी तक की घटनाओं को इस नजरिए से रखा गया है कि छात्र समझ सकें कि बीते दौर का आज के भारत पर क्या असर पड़ा.
सरल भाषा, गहरी समझ
एनसीईआरटी का यह भी कहना है कि किताब में तथ्यों को सरल भाषा और उदाहरणों के साथ समझाया गया है. उद्देश्य यह है कि बच्चे सिर्फ रटने तक सीमित न रहें, बल्कि हर विषय की गहराई को समझें और खुद सवाल उठाने की आदत विकसित करें. किताब में जिन बातों का उल्लेख किया गया है, वे विश्वसनीय और प्रमाणिक स्रोतों पर आधारित हैं.
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