दक्षिणी हरियाणा में जहां अब तक बाजरा व सरसों की फसलों पर किसान जोर देते रहे हैं। वहीं एक जागरूक किसान सुरेश कुमार ने बांस की खेती को अपनाकर अन्य किसानों की इसके प्रति जागरूक करने का प्रयास किया है। किसान ने अपने डेढ़ एकड़ में लगभग 800 बांस के पेड़ लगाकर उससे ज्यादा आय लेने की एक शुरुआत की है। गांव खानपुर के रहने वाले किसान सुरेश कुमार ने आसाम से ये टिश्यु कल्चर के पौधे मंगवाए थे। जिनकी प्रति पौधा एक सौ रुपए कीमत थी। उसका बांस भीमा बंबुसा किस्म का है जो कि अच्छी किस्म मानी जाती है। दो साल पूर्व लगाए गए ये पेड़ अब पूरे यौवन पर हैं तथा 20 से 25 फुट की ऊंचाई ले चुके हैं। किसान का कहना है कि अगले दो साल बाद ये पेड़ उनकी आय के स्थायी साधन हो जाएंगे तथा प्रति एकड़ प्रति वर्ष एक लाख रुपए से ज्यादा की आय देने लगेंगे। सूखा क्षेत्र है नारनौल जिला महेंद्रगढ़ सूखा क्षेत्र है। नांगल चौधरी व निजामपुर क्षेत्र में तो पानी एक हजार फुट से भी नीचे जा चुका है। इसलिए इसको डार्क जोन भी कहते हैं। यहां पर पानी का अत्याधिक दोहन कानून अपराध है। नहरों में भी पानी खेती के लिए नहीं, केवल पीने के लिए ही आता है। नहरों से पानी अगर किसान लेता है तो उस पर चोरी का मामला दर्ज होता है। लहलहाने लगे हैं पौधे वर्तमान समय में उनके खेत बांस के पेड़ों से पूरी तरह लहलहा रहे हैं। आसपास के जागरूक किसान आए दिन बांस के पेड़ों को देखकर अपने खेतों में भी बांस के पौधे लगाने की सोच रहे हैं। ये पेड़ अभी बिल्कुल हरे हैं। किसी भी प्रकार की मिट्टी में हो सकती है खेती
किसान का कहना है कि बांस की खेती किसी भी प्रकार की मिट्टी में की जा सकती है। इसमें चाहे दोमट, काली, बालू या बंजर जमीन हो, अच्छी पैदावार की जा सकती है। बांस की खेती में न तो नलाई, गुड़ाई, खाद या दवा आदि की जरूरत होती है। बांस का पौधा लगाते समय 3 या 4 महीने तक पानी की आवश्यकता होती है। एक बार पौधा बढ़ने लग जाए तो कम सिंचाई से भी पैदावार की जा सकती है। बांस का पेड़ 4 या 5 साल में कटने के लिए तैयार हो जाता है तथा प्रति वर्ष जो बांस बड़ा हो जाता है उसकी कटाई की जाती है। काफी उपयोगी है बांस
बांस एक बहुउपयोगी व तेजी से बढ़ने वाला पौधा है। जो कि कृषि, निर्माण, कागज उद्योग, हस्तशिल्प, सजावट की चीजें, रसोई, गिफ्ट आईटम आदि के अलावा फर्नीचर बनाने के काम आता है। हम यह भी कह सकते हैं कि बांस प्लास्टिक का प्रयाय हो सकता है। बांस पर्यावरण के संतुलन को बनाए रखने में मदद करता है। एथेनॉल भी होता है तैयार बांस से एथेनॉल भी तैयार किया जाता है जो कि पेट्रोल में कुछ मात्रा तक मिलाया जाता है। किसान सुरेश कुमार का कहना है कि बांस से किसान स्वयं एक कुटीर व लघु उद्योग भी लगा सकता है जो कि रोजगार का साधन बन जाता है। हरियाणा सरकार इसके लिए सहायता भी करती है।
नारनौल में एक किसान ने कर दी बांस की खेती:आसाम से मंगवाई पौध, अब बन चुके हैं 20 से 25 फुट ऊंचे पेड़
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