निगम का तेल कांड : जांच मैनेज, एक्शन एडजस्ट

by Carbonmedia
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भास्कर न्यूज | अमृतसर नगर निगम की ऑटो वर्कशॉप में चल रहे तेल ब्लैक कांड में निगम कमिश्नर गुरप्रीत औलख ने उन दो ड्राइवरों को सस्पेंड कर दिया है, जिनके चेहरे दैनिक भास्कर ने अपने स्टिंग में दिखाए थे। मामले की जांच का जिम्मा संभाल रहे एडिशनल कमिश्नर को इन ड्राइवरों की पहचान करने में 6 दिन लग गए। उन्होंने जांच पूरी करने के बाद रिपोर्ट कमिश्नर को सौंपी, जिस पर कमिश्नर ने कार्रवाई के नाम पर खानापूर्ति कर दी। वर्कशॉप से जुड़े असली जिम्मेदार अफसरों को बचाते हुए दो फोर्थ क्लास कर्मचारी ट्रक ड्राइवर वैष्णो ओंकार और अमरजीत को सस्पेंड किया गया। अकेले इन ड्राइवरों पर कार्रवाई करके संबंधित अफसरों को बचाने को लेकर कर्मचारी यूनियन में जबरदस्त नाराजगी है। सीनियर डिप्टी मेयर प्रियंका शर्मा ने कहा कि तेल चोरी की यह घटना निगम और सरकार की साख पर सवाल है। किसी एक-दो लोगों का काम नहीं हो सकता। सभी दस्तावेजों की मिलान जांच होनी चाहिए, खासकर लॉगबुक और इंडेंट बुक की। इसके लिए उच्च स्तरीय जांच कमेटी बनानी चाहिए।’ उधर सीनियर एडवोकेट पीसी शर्मा ने भी तीखा हमला बोलते हुए कहा कि मामले की जांच में चहेते अफसरों को बचा लिया गया। दो कर्मचारियों को सस्पेंड कर खानापूर्ति कर दी गई। दोषियों को चार्जशीट देकर सस्पेंड करना काफी नहीं, बर्खास्त कर उनके खिलाफ केस दर्ज होना चाहिए। साथ ही सफाई प्रबंधों के लिए जिम्मेदार अफसरों की भूमिका की जांच करके भ्रष्टाचारियों को जनता के सामने लाना चाहिए। न कि छिप कार्रवाई करनी चाहि​ए। बुधवार को एएमएचओ डॉ. रमा को वर्कशॉप इंचार्ज पद से हटाकर प्रमोशन जैसा डिमोशन दे दिया गया था। पहले रमा वर्कशॉप में तैनात 40 कर्मियों के काम की निगरानी कर रही थी, अब उन्हें 1800 मुलाजिमों की एस्टेब्लिशमेंट ब्रांच सौंप दी गई है, जिसमें वेतन और इंक्रीमेंट जैसे अहम काम आते हैं। उधर मामले में बड़ा हेरफेर तो यह ​है कि सफाई प्रबंधों का जिम्मा एडिशनल कमिश्नर सुरिंदर सिंह के पास है। उन्हें ही गाड़ियों के फेरों की ​निगरानी करनी होती है, अगर वर्कशॉप से बाहर आते ही ड्राइवर डीजल बेच रहे हैं तो उसकी निगरानी की जिम्मेदारी भी उन्हीं की है। मगर नगर निगम कमिश्नर ने उन्हें ही जांच का जिम्मा सौंपा था। ऐसे में पहले दिन से ही निगम कमिश्नर के एक्शन पर सवाल उठने लगे थे। इन सवालों पर वीरवार को मुहर लग गई, जब सिर्फ दो ड्राइवरों के खिलाफ एक्शन लिया गया। सूत्रों के मुताबिक यूनियन के कुछ पदाधिकारी एक वरिष्ठ अफसर से बंद कमरे में मिले और इस कार्रवाई पर विरोध जताया, लेकिन बात अनसुनी कर दी गई। यूनियन नेताओं ने नाम न छापने की शर्त पर कहा कि जब जांच अखबार में छपी फोटोज तक ही सीमित रखनी थी तो फिर 6 दिन जांच करने का ड्रामा क्यों किया गया? असली गड़बड़ी कहां और किस स्तर पर हुई, सबको पता है। कार्रवाई देखकर साफ लग रहा है कि बड़े अफसरों को बचाने के लिए 2 मुलाजिमों की बलि दी गई है। अब जिन अफसरों को वर्कशॉप से जुड़ा जिम्मा मिला है, उन्हें विजिलेंस के सामने इंडेंट व लॉगबुक सौंपनी होगी। इससे पहले ही वे ज्वाइन करने से घबरा रहे हैं। बुधवार को एडिश्नल कमिश्नर ने यह जांच रिपोर्ट नगर निगम कमिश्नर को सौंप दी थी। इसके बाद विभागों में फेरबदल और दो कर्मचारियों का सस्पेंशन हुआ, लेकिन असली गुनहगारों पर अब तक चुप्पी है। वर्कशॉप से 60 मीटर दूर पेट्रोल पंप से लंबे समय से चल रही डीजल चोरी की भनक अफसरों को क्यों नहीं लगी? . क्या दो ड्राइवर ही दोषी हैं? बाकी स्टाफ-अफसर क्यों बख्शे गए? . जो लॉग बुक और इंडेंट बुक मेंटेन ही नहीं, उसकी जांच कर एडिशनल कमिश्नर ने कैसे मामले में पर्दा डाल दिया?

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