भास्कर न्यूज | अमृतसर नगर निगम में 30 लाख रुपए के लोन फर्जीवाड़े मामले में इंक्वायरी 5 माह बाद भी अधूरी है। इस दौरान जांच में एक नया मोड़ सामने आया है, जिससे कई सवाल खड़े हो गए हैं। शुरुआत में यह चर्चा थी कि फर्जीवाड़े में हेल्थ अफसर के जाली साइन हुए हैं। लेकिन अब यह बात सामने आई है कि उस समय फाइनेंशियल पावर किसी और अफसर के पास थी। ऐसे में यह सवाल उठ रहा है कि क्या उस अफसर ने खुद दस्तखत किए या फर्जी दस्तावेज बनाने वाले मास्टरमाइंड ने उसके भी जाली साइन कर लिए। बता दें कि लोन फर्जीवाड़ा मामले में पूर्व कमिश्नर गुलप्रीत सिंह औलख ने ज्वाइंट कमिश्नर जय इंद्र को जांच सौंपी थी। ^मामले में इंक्वायरी रिपोर्ट निगम कमिश्नर को सौंपी थी। लेकिन कुछ कमियां रहने की वजह से फाइल वापस करके दोबारा सब्मिट करने को कहा गया था। जांच पूरी की जा चुकी है। जल्द ही रिपोर्ट फिर से कमिश्नर को सौंप दी जाएगी। हेल्थ अफसर के दस्तखत इसमें नहीं हैं। लिस्टों में भी हेरफेर की गई है। रिपोर्ट फाइल करने के बाद कमिश्नर अपने स्तर पर मामले में एक्शन लेंगे। – जय इंद्र सिंह , ज्वाइंट कमिश्नर निगम फाइनल रिपोर्ट इंक्वायरी अफसर ने कमिश्नर को सौंप दी थी। लेकिन कुछ खामियां होने के कारण उसे पूरा करे सब्मिट करने के लिए फाइल वापस लौटा दिया गया था। हेल्थ अफसर के साइन नहीं होने के बाद चर्चा बनी है कि आखिर अब कौन सा मास्टरमाइंड अफसर इस कारनामे में जुड़ गया है। फिलहाल, डिपार्टमेंट में क्या गड़बड़ियां चल रहीं इस पर निगरानी की जिम्मेदारी संबंधित विभाग के इंचार्ज की भी बनती है। बता दें कि बीते मई महीने में फर्जीवाड़ा सामने आया था कि दो लोगों ने जाली मुलाजिम बनकर 15-15 लाख रुपए का लोन जाली दस्तावेजों के आधार पर पास करवाया है। मामले में हेल्थ विभाग के क्लर्क हैप्पी को सस्पेंड किए जाने की कार्रवाई हो सकी है। बाकी कौन-कौन लोग इस कांड में शामिल हैं, उनके चेहरे सामने नहीं आ पाए हैं। गौर हो कि पहले भी जाली दस्तावेजों व दस्तखत के फर्जीवाड़ा का मामला सामने आया था, हालांकि पहले ही पकड़ में आ जाने से जालसाज अंजाम देने में सफल नहीं हो पाए थे। ऐसे में संबंधित विभाग के इंचार्ज को इस तरह की गड़बड़ियां दोबारा नहीं हो इसके इस पर कड़ी नजर फाइलों पर रखनी चाहिए थी। भले ही फाइनेंशियल पॉवर किसी दूसरे अफसर या मुलाजिम को ही क्यों न दे दी गई हो। फिलहाल, फर्जीवाड़ा सामने आने के बाद से ही जिम्मेदार अफसर अपने-अपने बचाव के जुगाड़ में लगे हुए हैं। वहीं साल-2015 के 6 माह का डीए भुगतान के लिए 174 मुलाजिमों के दिया जाना था। लेकिन अंदरखाते मेन लिस्ट को बदलकर 66 की लिस्ट तैयार की गई। इस मामले में भी हेल्थ अफसर के जाली साइन होने की चर्चाएं रही लेकिन किसके हैं, यह सामने नहीं आ सका है। जल्द ही इससे भी पर्दा उठ सकता है। फिलहाल, इंक्वायरी रिपोर्ट फाइनल होने पर गड़बड़ी में संलिप्त पाए जाने वालों पर एक्शन तय है। अगले हफ्ते तक फिर से फाइनल रिपोर्ट सौंपी जा सकती है।
निगम में 30 लाख लोन फर्जीवाड़ा की इंक्वायरी अधूरी, हेल्थ अफसर के जाली साइन की लगती रहीं अटकलें
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