नूंह में अवैध खनन पर सरकार को SC की फटकार:दोषियों पर कार्रवाई नहीं करने पर 16 जुलाई तक हलफनामा दायर करने के आदेश

by Carbonmedia
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हरियाणा के नूंह जिले में हुए अवैध खनन को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने हरियाणा सरकार को खनन माफिया और दोषी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई नहीं करने के लिए गुरुवार को कड़ी फटकार लगाई। अधिकारियों पर वन कानूनों का उल्लंघन करने और नूंह में अरावली से निकाले गए पत्थरों को अवैध रूप से राजस्थान ले जाए जाने में मदद करने का आरोप है। मामले में अगली सुनवाई 16 जुलाई को होगी। प्रधान न्यायाधीश बी आर गवई और न्यायमूर्ति ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ ने इस मामले में हरियाणा के मुख्य सचिव द्वारा दायर हलफनामे की कड़ी आलोचना कर खनन माफिया और दोषी अधिकारियों के खिलाफ तत्काल कार्रवाई करने तथा 16 जुलाई 2025 तक विस्तृत रिपोर्ट पेश करने के निर्देश दिए है। खनन माफियाओं के साथ सरकार के अधिकारियों के साथ मिलीभगत का आरोप प्रधान न्यायाधीश बी आर गवई और न्यायमूर्ति ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह पीठ खनन माफिया द्वारा अरावली की संरक्षित वन भूमि पर राज्य सरकार के अधिकारियों की मिलीभगत से 1.5 किलोमीटर लंबी अनाधिकृत सड़क के निर्माण से संबंधित याचिका पर विचार कर रही थी। इस आशय की एक रिपोर्ट उच्चतम न्यायालय द्वारा नियुक्त केंद्रीय अधिकार प्राप्त समिति द्वारा प्रस्तुत की गई। प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि ऐसा प्रतीत होता है कि माफिया अपने सदस्यों को ही नहीं, बल्कि हरियाणा सरकार उन अधिकारियों को भी संरक्षण देने में सक्षम है, जिन्होंने उनके साथ मिलीभगत की है। 16 जुलाई तक मांगी रिपोर्ट ,उसी दिन होगी सुनवाई न्यायाधीश ने कहा, हलफनामे (मुख्य सचिव)के अवलोकन से यह पता नहीं चलता कि दोषी अधिकारियों और खनन माफिया के खिलाफ क्या कार्रवाई की गई है। जो बेईमानी से पहाड़ियों को नष्ट कर रहे हैं। पीठ ने कहा, ‘‘हमें यह कहने में कोई संकोच नहीं है कि मुख्य सचिव और नूंह के डीसी ने पारिस्थितिकी और पर्यावरण से संबंधित मामलों में लापरवाही बरती है। कोर्ट ने मुख्य सचिव को खनन माफिया और दोषी अधिकारियों के खिलाफ तत्काल कार्रवाई करने और 16 जुलाई 2025 तक विस्तृत रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया। अगली सुनवाई भी 16 जुलाई को होगी। काफी बंदोबस्त के बाद भी खनन माफियाओं ने बना दिए रास्ते फिरोजपुर झिरका थाना क्षेत्र अंतर्गत अरावली की पहाड़ियों में बड़े पैमाने पर अवैध खनन का खेल खेला गया है। जिले में तमाम प्रशासनिक बंदोबस्त के बाद भी अरावली की पहाड़ियों में अवैध खनन पर पाबंदी क्यों नहीं लगी यह एक बड़ा सवाल है। इतना ही नहीं गांव बसई मेव में खनन माफियाओं ने पहाड़ों में डंपरों को आने जाने के लिए कई अवैध रास्ते भी पत्थरों का मलबा डालकर बना दिया। लेकिन पूर्व में प्रशासन मूकदर्शक बना रहा है। जिला उपायुक्त विश्राम कुमार मीणा ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए न केवल खनन क्षेत्रों का दौरा किया है,बल्कि 33–33 फिट के ऐसे दो रास्तों को भी रद्द कर दिया है। जो अवैध रूप बनाए गए थे। इन रास्तों में सरपंच की संलिप्तता पाए जाने पर उसे भी निलंबित किया गया है। हरियाणा एंटी करप्शन ब्यूरो (भ्रष्टाचार निरोधक टीम) को सौंपी जांच जिला उपायुक्त विश्राम कुमार मीणा ने कहा कि रास्ता रेवेन्यू रिकॉर्ड में किस प्रकार से आया। इतना बड़ा रास्ता कैसे बनाया गया, उस दौरान कौन-कौन अधिकारी मामले में शामिल थे। अधिकारियों ने उच्च अधिकारियों को इस बारे में जानकारी क्यों नहीं दी। सरपंच, ग्राम सचिव और अन्य संबंधित विभागों ने क्या कार्रवाई की। इस मामले की जांच की जाएगी। इस मामले में मुख्यमंत्री नायब सैनी ने पांच अधिकारियों को भी चार्जशीट जारी करने के निर्देश कई दिन पहले ही दे दिए थे। अब मामले की जांच भ्रष्टाचार निरोधक टीम को सौंप दी गई है। 2002 से अरावली में खनन पर रोक,22 अरब का कर दिया अवैध खनन हरियाणा में सर्वोच्च न्यायालय ने 2002 में अरावली में खनन पर पाबंदी लगा दी थी। बावजूद इसके खनन माफिया ने नूंह जिले के रवा व आसपास के गांवों की अरावली पहाड़ में 22 अरब का अवैध खनन किया। खनन विभाग के 27 जनवरी 2023 की अधिकारियों की रिपोर्ट के अनुसार अकेले गांव रवा के अरावली पहाड़ की पैमाईश करने पर इस पहाड़ में से खनन माफियाओं ने 41 लाख 50 हजार 250 मीट्रिक टन पत्थर का अवैध खनन किया है। जिसकी कीमत लगभग 22 अरब रुपये आंकी गई थी। उपायुक्त विश्राम कुमार ने कहा कि इस मामले का सैटेलाइट सर्वे भी कराया गया था। उस रिपोर्ट पर भी सरकार काफी गंभीर है। राजस्थान सरकार भी इस मामले को लेकर गंभीर है। जितने भी खनन माफिया हैं, उनको चेतावनी है कि अगर कोई अवैध रास्तों का निर्माण कार्य कर अवैध खनन करता है तो उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई अमल में लाई जाएगी।

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