नूंह में पशुओं के लिए एडवाइजरी जारी:बारिश के मौसम में बाढ़ नियंत्रण कक्ष हुआ स्थापित,27 टीमों का गठन

by Carbonmedia
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हरियाणा के नूंह जिले में बारिश के मौसम को देखते हुए जिला प्रशासन द्वारा पशुओं के लिए विशेष एडवाइजरी जारी की है। विभिन्न क्षेत्रों में पशु स्वास्थ्य सेवाओं हेतु 27 विशेष टीमों का गठन किया गया है। साथ ही जिला पशुपालन कार्यालय में एक बाढ़ नियंत्रण कक्ष भी स्थापित कर दिया गया है, जो आपात स्थिति में त्वरित सहायता प्रदान करेगा। डीसी ने कहा कि वर्षा ऋतु में जलभराव की स्थिति उत्पन्न होना पशुपालकों व विशेष रूप से गौशालाओं में रह रहे गौवंश के लिए हानिकारक हो सकता है। उपायुक्त ने सभी पशु चिकित्सकों को अपने क्षेत्रों का दौरा कर स्थिति का निरीक्षण करने तथा आवश्यक पशु स्वास्थ्य रक्षक सामग्री की उपलब्धता सुनिश्चित करने के निर्देश दिए हैं। पशुओं को 12 अंक वाला टैग जरूर लगवाएं जिला उपायुक्त विश्राम कुमार ने पशुपालकों से अपील की कि वे विभाग द्वारा जारी जलभराव से संबंधित एडवाइजरी का पालन अवश्य करें। विभाग द्वारा पशुओं को संक्रामक रोगों जैसे- मुंहखुर, गलघोटू, स्वाइन फीवर, शीप-पॉक्स आदि से बचाव के लिए आवश्यक टीकाकरण किया जा चुका है। इसी प्रकार सभी पशुपालक अपने पशुओं को विभाग द्वारा लगाए जाने वाले 12 अंकों के पहचान टैग अवश्य लगवाएं, ताकि आपात स्थिति में उनकी पहचान की जा सके। इसके साथ ही वर्षा ऋतु में पशु चिकित्सक की सलाह अनुसार पशुओं को कृमिनाशक दवा अवश्य दें। पशुपालक एवं गौशाला प्रबंधक एक जल निकासी योजना तैयार रखें उन्होंने कहा कि शीघ्र ही विभाग द्वारा रियायती दरों पर पशुधन बीमा योजना शुरू की जाएगी, ताकि पशुओं की अकाल मृत्यु की स्थिति में इस योजना का लाभ लिया जा सके। उन्होंने पशुपालकों के लिए जारी एडवाइजरी के बारे में बताया कि मौसम की भविष्यवाणी एवं संभावित जलभराव के खतरों को लेकर सतर्क रहें। जल भराव की स्थिति में पशुपालक एवं गौशाला प्रबंधक एक निकासी योजना तैयार रखें, जिसमें ऊंचे एवं सुरक्षित स्थानों पर पशुओं के लिए आश्रम की व्यवस्था हो। जल भराव होने पर पहले से निर्धारित स्थान पर पशुओं को स्थानांतरित करें। जलभराव के दौरान पशुओं को कच्छी दीवारों से दूर रखे चारा एवं पानी जैसी आवश्यक वस्तुओं को सुरक्षित एवं ऊंचे स्थानों पर भंडारण करें। कीटनाशक, खाद एवं अन्य रसायनों को सुरक्षित स्थान पर रखें ताकि वे जल में घुलकर प्रदूषण न करें। जलभराव के दौरान पशुओं को कच्ची दीवारों, बिजली के तारों एवं खंभों के पास न बांधें। मच्छर एवं मक्खियों से बचाव के लिए कीटनाशक दवाओं का छिडक़ाव करें एवं संभव हो तो मच्छरदानी का प्रयोग करें। पशुपालक स्थानीय पशु चिकित्सा कर्मचारियों से नियमित संपर्क में रहें, ताकि समय पर सहायता मिल सके।

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