हरियाणा के नूंह जिले गांव किरा में स्तिथ एक निजी अस्पताल द्वारा महिला के गर्भाशय का ऑपरेशन करने में लापरवाही बरतने के मामले में पुलिस ने तीन डाॅक्टर्स सहित पांच लोगों के खिलाफ लापरवाही से मौत का मामला दर्ज किया गया है। गर्भाशय में गांठ के इलाज के लिए भर्ती की गई महिला को ऑपरेशन में गड़बड़ी के बाद दो और अस्पताल में भर्ती करवाया गया। इलाज पर 35 लाख रुपये से अधिक खर्च हुए, लेकिन फिर भी महिला की जान नहीं बच सकी। दो साल चली जांच में मेडिकल नेग्लिजेंस बोर्ड ने भी डाॅक्टर्स को दोषी माना। गर्भाशय में गांठ के इलाज के लिए किया था भर्ती पलवल के गांव सिहौल की रहने वाली सुनीता (38) को गर्भाशय में गांठ के इलाज के लिए नूंह के किरा गांव स्थित केके अस्पताल में 18 अगस्त 20 को भर्ती करवाया गया। डाॅक्टर्स ने सुनीता की जान को खतरा बताकर तत्काल ऑपरेशन करने की बात कही। अस्पताल संचालक डॉक्टर मुकेश ने डॉक्टर संदीप जैन (सर्जन), डाॅक्टर सुदेश राघव (एनेस्थेटिस्ट), विकास (ओटी टेक्नीशियन) व सीमा (स्टाफ नर्स) की टीम बनाकर सुनीता का ऑपरेशन कर दिया। ऑपरेशन के दो घंटे शरीर पड़ने लगा नीला डाॅक्टर्स ने ऑपरेशन को सफल बताया,लेकिन दो घंटे बाद ही सुनीता का शरीर नीला पड़ने लगा तथा जुबान भी तुतलाने लगी। इसकी शिकायत जब सुनीता के पति उदयचंद ने डाॅक्टर्स से की तो वे ‘संभाल लेने’ का आश्वासन देकर टाल-मटोल करते रहे। ज्यादा तबीयत खराब होने पर 20 अगस्त को पुनः ऑपरेशन किया गया। आरोप है कि बाद में डाॅक्टर्स महिला को दूसरे अस्पताल में भेजने की बात कह डिस्चार्ज कार्ड बनाकर बिना कुछ बताए ही चले गए। फरीदाबाद में करीब 48 दिन के इलाज के बाद पत्नी सुनीता ने दम तोड़ दिया उदय चंद में बताया कि ऑपरेशन करने के साथ ही पत्नी सुनीता का पेशाब बंद हो गया और ब्लडिंग भी होने लगी। अस्पताल में कार्यरत डॉक्टर पत्नी का इलाज करते रहे। पीड़ित का आरोप है कि जब तीसरे दिन महिला की तबीयत ज्यादा बिगड़ने लगी तो डॉक्टरों ने पत्नी को रेफर के लिए बोल दिया। रात करीब 11 बजे उदयचंद अपनी पत्नी सुनीता को फरीदाबाद के एक निजी अस्पताल लेकर पहुंचे जहां डॉक्टरों ने जांच के बाद बताया कि गर्भाशय का ऑपरेशन के दौरान डॉक्टरों की लापरवाही से किडनी और लीवर में इन्फेक्शन फैल चुका है। फरीदाबाद में करीब 48 दिन के इलाज के बाद पत्नी सुनीता ने दम तोड़ दिया। सिविल सर्जन नूंह को शिकायत दी नहीं हुई कोई कार्रवाई इसी बीच उदयचंद ने पत्नी के ऑपरेशन में लापरवाही का आरोप लगाते हुए केके अस्पताल, किरा के खिलाफ सिविल सर्जन नूंह को शिकायत दे दी। लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। कई महीने बीत जाने के बाद भी शिकायत पर कोई कार्रवाई नहीं होने से पीड़ित ने दर–दर की ठोकरें खाई और वह समाधान शिविर में पहुंचकर अधिकारियों को अपनी समस्या से अवगत कराया। इसके बाद अधिकारियों ने पीड़ित को जल्द ही कार्रवाई करने का आश्वासन दिया। बोर्ड को डाॅक्टर्स ने दिए झूठे हलफनामे पूरे मामले की जांच जब मेडिकल नेग्लिजेंस बोर्ड ने की तो डॉक्टर संदीप जैन (सर्जन) ने हलफनामा देकर सुनीता का ऑपरेशन उनके द्वारा नहीं किए जाने का दावा किया गया। दूसरी तरफ डॉक्टर सुदेश राघव (एनेस्थेटिस्ट) ने हलफनामा देकर दावा किया कि सुनीता का ऑपरेशन डॉक्टर संदीप जैन ने ही किया है। बोर्ड ने हलफनामे की सच्चाई पुलिस जांच में ही साफ होने की बात कही है। साथ ही कहा कि दोनों में से एक डॉक्टर ने झूठा हलफनामा दिया है। पत्नी की जान बचाने के लिए जमीन बेची शिकायतकर्ता उदयचंद ने पुलिस को दिए बयान में बताया कि अपनी पत्नी की जान बचाने के लिए गांव में अपनी जमीन भी बेच दी। करीब 48 दिन चले इलाज पर 35 लाख रुपये से अधिक का खर्चा आया। फरीदाबाद के दोनों अस्पतालों में मोटा खर्चा हुआ। केके अस्पताल किरा में भी ऑपरेशन से पहले ही पैसे जमा करवा लिए गए थे। नूंह सदर पुलिस स्टेशन के जांच अधिकारी सब इंस्पेक्टर इंद्रजीत ने बताया कि अस्पताल संचालक समेत तीन डाॅक्टर्स, लैब टेक्निशियन व स्टाफ नर्स के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है। आरोपियों को जांच में शामिल किया जाएगा। जांच शुरू कर दी गई है।
नूंह में महिला के ऑपरेशन में लापरवाही:शरीर में फैले इंफेक्शन से हुई मौत,2 साल की जांच के बाद सर्जन सहित 5 पर केस
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