नूंह में महिला ने बनवाई फर्जी बुढ़ापा पेंशन:जांच के डर से अधिकारियों ने 4 बार बदल दी जन्म तिथि,महिला पर केस,अधिकारी रडार पर

by Carbonmedia
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हरियाणा के नूंह जिले में फर्जी तरीके से फैमिली आईडी में जन्म तिथि बढ़ाकर बुढ़ापा पेंशन बनवाने का मामला सामने आया है। पुलिस ने इस मामले में जिला उपायुक्त द्वारा प्राप्त शिकायत के आधार पर एक फर्जी तरीके से पेंशन लेने वाली महिला के खिलाफ केस दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। महिला ने वर्ष 2023 में फर्जी तरीके से पेंशन बनवाई थी। जिसे जांच के बाद 2024 में बंद कर दिया गया था। जब मामले की जांच चली तो डी क्रीम विभाग के अधिकारियों जांच से बचने के लिए 4 बार महिला की उम्र को फैमिली आईडी में बदल दिया। इस मामले में परिवार पहचान पत्र अथॉरिटी नूंह की भी संलिप्तता मिल सकती है। मुख्यमंत्री को भेजी थी शिकायत जानकारी के अनुसार जरीना पत्नी आस मोहम्मद निवासी सालाहेड़ी की पेंशन 3 मार्च 2023 को बुढ़ापा पेंशन बनाई गई थी। लेकिन वह इस योजना की पात्र नहीं थी। गांव के ही सरफराज अहमद ने महिला की शिकायत सीएम विंडो के मार्फत मुख्यमंत्री को भेजी। शिकायत में बताया गया कि जरीना की उम्र 1968 है, लेकिन उसने फैमिली आईडी में छेड़छाड़ कराकर अपनी उम्र को ज्यादा दर्शा दिया। जो पेंशन की योग्य बन गई। यह पूरा फर्जीवाड़ा परिवार पहचान पत्र अथॉरिटी नूंह से मिलीभगत कर किया है। जिसके बाद इस मामले की जांच शुरू हो गई। मामले को दबाने की कोशिश में 4 बार बदली महिला की उम्र शिकायत के बाद डी क्रीम (परिवार पहचान पत्र विभाग) में और मामले को दबाने की कोशिश होने लगी। शिकायतकर्ता ने बताया कि तत्कालीन जांच अधिकारी द्वारा डी क्रीम विभाग के एक अधिकारी को बचाने के लिए करीब 4 बार महिला के परिवार पहचान पत्र को बदला गया और उसमें हर बार जन्म तिथि को भी अधिकारियों द्वारा चेंज किया गया ताकि वह इस जांच से बच सके। लेकिन शिकायतकर्ता ने हिम्मत नहीं हारी और उन्होंने इस मामले से उच्च अधिकारियों को अवगत कराया। मामले की जांच में मतदाता विभाग को भी शामिल किया गया। वोटर कार्ड में यह साबित हो गया कि महिला की उम्र 1968 है। लेकिन उसने परिवार पहचान पत्र में अधिकारियों से मिलीभगत कर अपनी उम्र को 1958 करा लिया। चार बार बदली जन्म तिथि मामले की जांच के दौरान डी क्रीम विभाग द्वारा महिला जरीना की जन्म तिथि को 4 बार बदला गया। जिसमें पहले फैमिली आईडी संख्या 8TAV4912 में 6 जुलाई 1960 ,दूसरी बार फैमिली आईडी संख्या 6EBX1569 में 1 जनवरी 1968,तीसरी बार फैमिली आईडी संख्या 6EBX1569 में 16 अक्टूबर 1958 और चौथी बार फैमिली आईडी संख्या 6EBX1569 में 1 जनवरी 1968 जन्म तिथि की गई। ये सारा खेल डी क्रीम विभाग के एक अधिकारी द्वारा किया गया। जिला उपायुक्त में आदेश पर महिला के स्कूल दस्तावेजों की जांच हुई, वहां भी महिला की वास्तविक आयु 1968 पाई गई। 48 हजार 750 रुपए महिला ने सरकार से लिए पेंशन विभाग के अधिकारियों के मुताबिक महिला जरीना के दस्तावेजों की जब जांच हुई तो उसकी 18 सितंबर 2024 को पेंशन रोक दी गई थी। उन्होंने बताया कि उनके पास महिला की वेरीफाई उम्र परिवार पहचान पत्र अथॉरिटी से आई थी,जिसके आधार पर उसकी पेंशन बनाई गई। फर्जी दस्तावेजों के आधार पर महिला सरकार से 48 हजार 750 रुपए ले चुकी है। महिला को राशि रिकवरी के लिए नोटिस किया गया है। उन्होंने यह भी बताया कि जरीना के पति आस मोहम्मद ने भी इसी तरह से फर्जीवाड़ा कर पेंशन बनवाई है। उसे भी राशि रिकवरी के आदेश दिए गए है। अधिकारियों पर भी कार्रवाई के निर्देश जिला उपायुक्त द्वारा पुलिस को सौंपी गई रिपोर्ट में बताया गया इस षड्यंत्र में उन अधिकारियों पर भी कार्रवाई की जिन्होंने महिला जरीना के परिवार पहचान पत्र में जन्मतिथि में बदलाव किया है। क्योंकि बिना अधिकारियों की मिली भगत से यह संभव नहीं है। हालांकि अभी पुलिस ने केवल जरीना के खिलाफ केस दर्ज किया है। लेकिन बाद में इस मामले में परिवार पहचान पत्र अथॉरिटी नूंह के एक अधिकारी को भी शामिल किया जा सकता हैं। जिला प्रबंधक को दी गई है जन्म तिथि बदलने की शक्तियां सूत्रों की मानें तो जिले में दस्तावेजों के साथ छेड़छाड़ कर पेंशन का लाभ लेने वाला एक व्यक्ति नहीं बल्कि ऐसे सैंकड़ों लोग है,जिन्होंने छोटी उम्र में इस तह का फर्जीवाड़ा डी क्रीम विभाग के अधिकारियों से मिलीभगत कर किया है। नूंह में लोगों से 10 से 15 हजार रुपए लेकर उनकी छोटी उम्र में पेंशन बनाई गई है। जिसमें परिवार पहचान पत्र में लगे अधिकारी और पेंशन विभाग के कर्मचारी शामिल है। हालांकि जिला प्रबंधक को ही जन्म तिथि में बदलाव करने की शक्तियां दी गई है। ऐसे में आशंका है कि जिला प्रबंधक ने ही अपनी लॉगइन आईडी से जन्मतिथि में बदलाव कर आवेदन को गलत तरीके से स्वीकार किया। यहीं से यह फर्जीवाड़ा शुरू हुआ है। मामला पेंशन विभाग को सौंपा परिवार पहचान पत्र के जिला प्रबंधक शराफत ने बताया कि उनके संज्ञान में यह मामला है। उन्होंने जांच के बाद यह मामला पेंशन विभाग को सौंप दिया था। उन्होंने ही इसकी जांच की है। जन्म तिथि बदलने की शक्तियां एडीसी साहब के पास होती है। कई बार ऑटोमैटिक भी डाटा उठ जाता है। जन्मतिथि कैसे बदली गई इसकी जानकारी उन्हें नहीं है, क्योंकि 8 से 9 महीने पहले ही उन्होंने यहां जिला प्रबंधक का चार्ज संभाला है।

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