हरियाणा के नूंह जिले में अल आफिया नागरिक अस्पताल मांडीखेड़ा में खामियों का जायजा लेने पहुंचे फिरोजपुर झिरका के एसडीएम लक्ष्मी नारायण और सिविल सर्जन डाॅक्टर सर्वजीत थापर के बीच ‘सीनियर-जूनियर’ का विवाद उत्पन्न हो गया। एसडीएम ने सिविल सर्जन पर तरजीह नहीं देने का आरोप लगा तो सिविल सर्जन ने साफ कहा, ‘वह ब्लॉक लेवल के अधिकारी हैं और मैं जिला स्तर का।’ बाद में एसडीएम ने अकेले अस्पताल का निरीक्षण किया तथा इसकी शिकायत उच्चाधिकारियों को भेजने की बात कही। फील्ड में रहते है एसडीएम लक्ष्मी नारायण एसडीएम लक्ष्मी नारायण सामान्यतः फील्ड में काफी एक्टिव रहते हैं। आए दिन वह शहर से अतिक्रमण हटाने सहित अन्य अन्य समस्याओं को समाप्त करने की कोशिश करते हैं। बुधवार को वह अल आफिया नागरिक अस्पताल का औचक निरीक्षण करने मांडीखेड़ा पहुंच गए। वह सीधे अस्पताल परिसर में ही बने सिविल सर्जन कार्यालय पहुंचे। जहां सिविल सर्जन डाॅक्टर सर्वजीत थापर डाॅक्टर्स व अपने स्टाफ के साथ बातचीत कर रहे थे। एसडीम ने जब कहा कि वह अस्पताल का निरीक्षण करने आए हैं तो सीएमओ ने इस बात को अनसुना कर दिया। करीब 5 मिनट तक एसडीएम सिविल सर्जन का इंतजार करते रहे। कुछ देर बैठने के बाद वह कमरे से बाहर निकले और अकेले ही अस्पताल का निरीक्षण करने लगे। डॉक्टर के कमरे के सामने भीड़ देखकर जताई नाराजगी डाॅक्टर कृष्ण के कमरा नंबर छह के बाहर अनियंत्रित भीड़ देखकर एसडीएम ने नाराजगी जताते हुए कर्मचारियों को लाइन या नंबर की व्यवस्था करने के लिए कहा। इसके बाद हाजिरी रजिस्टर चेक किया तो इसमें डाॅक्टर मोहम्मद फारुक के हाजिरी रजिस्टर में 28 मई की हाजिरी का कॉलम खाली पाया गया। इसके अलावा डाॅक्टर नेकी यादव का 27 व 28 मई तथा त्रिलोक यादव का 26, 27 व 28 मई 2025 की हाजिरी का कॉलम खाली पाया गया। उन्होंने अस्पताल के हालातों पर चिंता जताई तथा साफ-सफाई नहीं होने पर नारजगी जताते हुए अवस्थाओं के लिए सिविल सर्जन को दोषी बताया। एसडीएम बोले मेरे एरिया में है अस्पताल कर सकता हूं निरीक्षण फिरोजपुर झिरका एसडीएम लक्ष्मी नारायण ने कहा कि अस्पताल मेरे उपमंडल एरिया में है। मैं कभी भी इसका निरीक्षण कर सकता हूं। काफी समय से शिकायतें मिल रही थी। उसी के आधार पर अस्पताल का निरीक्षण करने पहुंचा। सबसे पहले सिविल सर्जन को कहा कि वह अस्पताल का निरीक्षण करने आए हैं, तो सिविल सर्जन अपने ऑफिस में बैठकर अपने लोगों से बातें कर रहे थे। सिविल सर्जन ने एक बार भी उनकी तरफ मुड़कर नहीं देखा। वो बातें करने में मस्त थे। करीब 5 मिनट उनका इंतजार किया,लेकिन वह उनके साथ निरीक्षण करने के लिए नहीं आए। सिविल सर्जन अपने दफ्तर में बैठकर कर्मचारियों के साथ बातों में मशगूल रहते हैं, उन्हें अस्पताल और मरीजों की परवाह नहीं। अस्पताल का नियमित निरीक्षण कर व्यवस्था बनवाना सिविल सर्जन का काम है और वो अपने काम के प्रति लापरवाह हैं। कमियां छिपाने के लिए सिविल सर्जन ने निरीक्षण में सहयोग नहीं किया। सरकार का शिक्षा और स्वास्थ्य पर फोक्स है। खामियों को लेकर उच्च अधिकारियों को लिखा एसडीएम लक्ष्मी नारायण ने कहा कि निरीक्षण के दौरान उनको सफाई व्यवस्था बदहाल मिली। कमरा नंबर छह पर ओपीडी के बाहर काफी संख्या में मरीज मिले। गर्मी के कारण मरीज परेशान थे, एक दूसरे को धक्का मुक्की कर रहे थे। लाइन लगवाने के लिए ड्यूटी पर कोई गार्ड नहीं था। रजिस्टर में डॉक्टरों के खाने खाली मिले। एसडीएम ने अस्पताल में ड्यूटी करने वाले कर्मचारियों का रजिस्टर जांचा जो दिन एवं रात में ड्यूटी करने वाले कर्मचारियों का एक ही रजिस्टर बनाया हुआ था। मूवमेंट रजिस्टर मांगने पर अस्पताल के अधिकारियों ने उनको मूवमेंट रजिस्टर नहीं दिखाया। इस बदहाल व्यवस्था को देखकर एसडीएम का गुस्सा बढ़ गया। उन्होंने कहा कि इसकी रिपोर्ट बनाकर उच्च अधिकारियों को भेज दी गई है। सिविल सर्जन बोले वह कोरोना लेकर कर रहे थे बात सिविल सर्जन डॉक्टर सरबजीत थापर ने कहा कि जब एसडीएम उनके पास आए तो वह कोरोना को लेकर अपने डॉक्टर के साथ महत्वपूर्ण बात कर रहे थे। कुछ देर बैठने के बाद वह यह कहते हुए उठकर चले गए कि अकेले की निरीक्षण कर लूंगा। प्रोटोकॉल में मैं एसडीएम से सीनियर हूं। वो ब्लॉक लेवल के अधिकारी हैं और मैं जिला स्तर का। उन्हें मेरे खिलाफ इस तरह के शब्दों का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए।
नूंह में SDM और CMO में प्रोटोकॉल का विवाद:अस्पताल का निरीक्षण करने पहुंचे SDM, बातों में लगे रहे CMO,कई खामियां मिली
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