नेपाल में जेन-Z क्रांति से बचकर वीरवार रात अमृतसर एयरपोर्ट पहुंचे 100 श्रद्धालु, पोखरा से सोनाली बॉर्डर तक खौफ के बीच तय किया 200 किमी…

by Carbonmedia
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विक्की कुमार | अमृतसर नेपाल में जेन-Z क्रांति के हिंसक प्रदर्शनों के बीच 8 तारीख से फंसे अमृतसर-दिल्ली समेत 5 शहरों के 100 यात्री वीरवार रात अमृतसर एयरपोर्ट पहुंचे। 3 सितंबर को अमृतसर से गए इन श्रद्धालुओं ने जनकपुर, काठमांडू और पोखरा तक दर्शन किए, लेकिन 8 सितंबर से नेपाल में हिंसा और कर्फ्यू शुरू हो गया। जत्थे का नेतृत्व कर रहे रिंकू बटवाल ने बताया कि सड़कों पर आगजनी, इमारतों से उठता धुआं, धमाकों की आवाज और प्रदर्शनकारियों की भीड़ से खौफ मन में बैठ गया। लगा कि शायद वापसी मुमकिन नहीं होगी। ऐसे माहौल में प्रभु के नाम का कीर्तन करते हुए 8 घंटे में 200 किमी का सफर तय कर 9 तारीख को सोनाली बॉर्डर पहुंचे। वीरवार को वहीं से वापसी हुईं। रिंकू बटवाल ने बताया कि कुल 6 रातें रुकना था। तीन दिन कर्फ्यू में गुजारने पड़े। 8 सितंबर को कर्फ्यू लगा। फिर वहां से निकलना मुश्किल हो गया । होटल एसोसिएशन वालों ने बस का बंदोबस्त किया। 10 सितंबर की सुबह बजे सोनाली बॉर्डर के लिए निकले। यहां से बार्डर तक का 200 किलोमीटर का रास्ता था। इस सफर के 8 घंटे ऐसी दहशत में निकले कि कभी भूलेंगे नहीं। वह शाम 4 बजे बॉर्डर पहुंचे। फिर 11 सितंबर को वहां से गोरखपुर आए। चौक लछमनसर के कस्तूरी लाल ने बताया कि वह नेपाल पहुंचे तो पहले जनकपुर में दर्शन किए। फिर काठमांडू में कर्फ्यू लग गया। किस्मत अच्छी थी तो वह बच गए। पोखरा में माहौल खराब था। वह पोखरा के ही एक होटल में रुके हुए थे। यहां आस-पास तो धमाकों की आवाजें आ रही थीं। उन्हें होटल प्रबंधकों ने होटल से बाहर निकलने को मना कर दिया था। जब वह होटल में रुके तो वहां पर राशन काफी महंगा बिक रहा था। पानी तक ब्लैक में खरीदना पड़ा। बीके दत्त गेट की रहने वाले रामपाल शर्मा और गीता शर्मा का कहना था कि जब उनका जत्था अमृतसर से निकला तो उनके मन में इच्छा थी कि सभी मंदिरों के दर्शन करें। वहां उन्होंने पशुपति नाथ मंदिर, मनोकामना मंदिर, जनकपुर धाम के दर्शन किए। वह पोखरा के माता मंदिर और भगवान शिव के मंदिरों में भी माथा टेकने वाले थे, लेकिन नहीं टेक सके। नदी में स्नान करना उनका सबसे जरूरी था। वह उन्होंने अपनी जान हथेली पर रखकर ही किए थे। पंडित ओम प्रकाश क कहना था कि ऐसा लग रहा था कि अभी कोई कुछ न कुछ आकर कर देगा। कभी तो ऐसा भी लगा कि वह शायद कभी अपने घर वापस ही नहीं जाएंगे। उन्होंने कहा कि वह भगवान भोलेनाथ का नाम लेकर ही नेपाल में सभी धार्मिक स्थलों के दर्शन करने के लिए गए थे। उन्होंने कहा कि उन्हें भगवान ने ही बचाया है। अमृतसर जब अपने परिवार से वह मिले तो उन्होंने कहा कि भगवान का शुक्र है कि वह अपने परिवार के बीच सही सलामत पहुंचे हैं। अमृतसर वापस पहुंचने पर जत्थे के सदस्यों ने एक-दूसरे को गले लगाकर प्रभु का शुकराना किया। फोटो | सुनील कुमार

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