नोएडा में टेम्पर्ड ग्लास मैन्युफैक्चरिंग यूनिट का शुभारंभ, केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव बोले- ’25 लाख रोजगार के अवसर’

by Carbonmedia
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नोएडा के सेक्टर-68 स्थित ऑप्टिमस इंफ्राकॉम लिमिटेड में देश की पहली टेम्पर्ड ग्लास मैन्युफैक्चरिंग यूनिट का शुभारंभ हुआ. इस ऐतिहासिक अवसर पर केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव (Ashwini Vaishnaw) ने यूनिट का उद्घाटन किया.
यह संयंत्र ‘कॉर्निंग’ के सहयोग से स्थापित हुआ है और भारत में पहली बार टेम्पर्ड ग्लास का बड़े पैमाने पर उत्पादन शुरू करेगा. अब तक मोबाइल फोन और अन्य इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों में इस्तेमाल होने वाला टेम्पर्ड ग्लास विदेशों से आयात करना पड़ता था, लेकिन अब यह उत्पादन भारत में संभव हो सकेगा.
‘भारत में तैयार किये जाएंगे ढ़ाई करोड़ टेम्पर्ड ग्लास’
केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने मीडिया से बातचीत में बताया कि इस यूनिट के संचालन से ढाई करोड़ टेम्पर्ड ग्लास भारत में तैयार किए जाएंगेऔर इससे करीब 25 लाख लोगों को रोजगार के प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष अवसर प्राप्त होंगे. उन्होंने कहा कि यह कदम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मेक इन इंडिया और आत्मनिर्भर भारत अभियान को नई ऊंचाई पर ले जाने वाला साबित होगा.
11 वर्षों में इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफैक्चरिंग में छह गुना वृद्धि- अश्विनी वैष्णव
उन्होंने बताया कि बीते 11 वर्षों में इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफैक्चरिंग में छह गुना वृद्धि दर्ज की गई है, जबकि इलेक्ट्रॉनिक्स निर्यात आठ गुना बढ़ा है. मोबाइल, लैपटॉप, सर्वर, हार्डवेयर के अन्य कंपोनेंट्स और रूटर्स का निर्माण अब भारत में ही हो रहा है.
उन्होंने यह भी कहा कि भारत में इलेक्ट्रॉनिक्स निर्माण का एक बड़ा इकोसिस्टम तेजी से विकसित हो रहा है, जिसमें यह नया टेम्पर्ड ग्लास प्लांट एक अहम मील का पत्थर साबित होगा.
वहीं अश्विनी वैष्णव ने कहा कि यह यूनिट न केवल भारत को आयात पर निर्भरता से मुक्त करेगी बल्कि वैश्विक बाजार में भारत की प्रतिस्पर्धा क्षमता को भी बढ़ाएगी. आज भारत मोबाइल फोन निर्माण में दुनिया का प्रमुख केंद्र बन चुका है और आने वाले वर्षों में लैपटॉप, सर्वर और रूटर्स के क्षेत्र में भी भारत दुनिया का बड़ा खिलाड़ी बनेगा.
‘इलेक्ट्रॉनिक्स उद्योग में आत्मनिर्भरता की दिशा में मजबूत कदम’
उन्होंने कहा, नोएडा में शुरू हुई यह यूनिट देश को ‘मेक इन इंडिया’ की भावना से जोड़ते हुए इलेक्ट्रॉनिक्स उद्योग में आत्मनिर्भरता की दिशा में मजबूत कदम है. इसके माध्यम से न केवल रोजगार सृजन होगा, बल्कि भारत की छवि एक वैश्विक इलेक्ट्रॉनिक्स हब के रूप में और भी मजबूत होगी.

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