पंचकूला में मजदूरों की हड़ताल:चार लेबर कोड रद्द करने और न्यूनतम वेतन की मांग, बरवाला में जोरदार प्रदर्शन

by Carbonmedia
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पंचकूला शहर में मजदूरों ने बुधवार को राष्ट्रव्यापी हड़ताल की। मजदूर विरोधी चार लेबर कोड को रद्द करने, न्यूनतम वेतन लागू करने और श्रम कानूनों को सख्ती से लागू करने की मांगें रखी गई। बरवाला में रामदासिया धर्मशाला में प्रदर्शन और सभा का आयोजन हुआ। सभा की अध्यक्षता सुमन ने की। मंच संचालन सीटू के जिला सचिव लच्छी राम शर्मा ने किया। सभा को कई नेताओं ने किया संबोधित प्रदर्शन में आशा वर्कर्स, मिड डे मील कर्मचारी, निर्माण मजदूर और ग्रामीण चौकीदार शामिल हुए। बिजली बोर्ड के कर्मचारियों ने भी आंदोलन में भाग लिया। सभा को कई नेताओं ने संबोधित किया। इनमें लच्छी राम शर्मा, संगीता, मेहर चंद गोयल, सोदगार सिंह और गुरमीत सिंह शामिल थे। रामेश्वर दास, जसवीरा, लाभो देवी और किसान नेता कर्म चंद कामी ने भी संबोधन दिया। चार लेबर कोड धीरे-धीरे हो रहे लागू सर्व कर्मचारी संघ से सोनू नागर, मंजीत सिंह और नितिन कुमार मौजूद रहे। सीटू जिला सचिव लच्छी राम शर्मा ने कहा कि बीजेपी सरकार द्वारा पारित किए चार लेबर कोड धीरे-धीरे लागू किए जा रहे हैं। उन्होंने बताया कि इन कानूनों के कारण फैक्ट्रियों के 74% मजदूर न्यूनतम श्रम अधिकारों से वंचित हो गए हैं। सरकार के विरोध में निकाला जुलूस सभा के बाद बरवाला बाजार में सरकार के विरोध में जुलूस निकाला गया। उन्होंने कहा कि यह “हायर एंड फायर” नीति मजदूरों को असुरक्षा के गर्त में धकेल रही है। न न्यूनतम वेतन की गारंटी है, न तय काम के घंटे और न ही स्थायी रोजगार। सरकार पूंजीपतियों को फायदा पहुंचाकर आम जनता को जाति-धर्म के नाम पर बाँटने की कोशिश कर रही है। लच्छी राम ने आगे कहा, “लेबर कोड की मिसाल अग्निवीर और कौशल रोजगार निगम हैं। सरकार 8 घंटे की बजाय 12 घंटे काम का कानून ला रही है और पक्के रोजगार को खत्म किया जा रहा है। हड़ताल में उठाई गई प्रमुख मांगें – चारों लेबर कोड को रद्द किया जाए। – श्रम कानूनों को सभी क्षेत्रों में सख्ती से लागू किया जाए। – सभी अस्थायी कर्मचारियों को स्थायी किया जाए। – जब तक स्थायी नहीं किया जाता, तब तक 26 हजार न्यूनतम वेतन लागू किया जाए। – सामाजिक सुरक्षा की गारंटी दी जाए। – पुरानी पेंशन बहाल की जाए। – आउटसोर्सिंग और ठेका प्रथा बंद हो। – मनरेगा का काम हर गांव में शुरू किया जाए, दिहाड़ी बढ़ाई जाए। – निर्माण मजदूरों के फॉर्म रद्द करने की प्रक्रिया बंद हो। – फैमिली आईडी के नाम पर हो रही परेशानियों पर रोक लगाई जाए। केंद्र और राज्य सरकारों को चेतावनी सभा में वक्ताओं ने कहा कि 9 जुलाई की यह सफल राष्ट्रव्यापी हड़ताल केंद्र और राज्य सरकारों को चेतावनी देने का काम करेगी। सभी ने मिलकर इसे मजदूरों-कर्मचारियों की ताकत और एकजुटता का प्रतीक बताया।

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