पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने वर्तमान और पूर्व विधायकों व सांसदों के खिलाफ दर्ज आपराधिक मामलों की जांच और सुनवाई में हो रही देरी पर असंतोष जताया है। चीफ जस्टिस शील नागू और जस्टिस संजीव बेरी की पीठ ने शुक्रवार को इन मामलों की जांच पर सवाल खड़ा करते हुए कहा कि अभी भी कई मामलों की जांच जारी है। इस पर पंजाब सरकार की तरफ से जवाब दायर करने के लिए समय दिए जाने की मांग की गई। खंडपीठ ने पंजाब और हरियाणा के गृह सचिवों को व्यक्तिगत रूप से हलफनामा दाखिल कर जांच में देरी की स्पष्ट वजह बताने का निर्देश दिया है। मामले पर 5 अगस्त के लिए आगे की सुनवाई तय की गई है। कोर्ट के समक्ष हरियाणा सरकार द्वारा दाखिल की गई स्टेटस रिपोर्ट से पता चला कि वर्ष 2016, 2018 और 2023 में तत्कालीन या वर्तमान जनप्रतिनिधियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज होने के बावजूद अब तक जांच पूरी नहीं हुई है। जबकि इन मामलों में कोई कानूनी अड़चन नहीं थी। पंजाब में कुल 16 आपराधिक मुकदमे ऐसे हैं जो कई वर्षों से लंबित हैं। इनमें से एक मामला तो वर्ष 2011 से ही लंबित है। इस स्थिति को देखते हुए हाईकोर्ट ने न केवल गृह सचिव से व्यक्तिगत जवाब मांगा है बल्कि संबंधित जिला एवं सत्र न्यायाधीशों से भी अपने-अपने क्षेत्राधिकार में चल रहे मामलों की स्थिति रिपोर्ट मांगी है। इन रिपोर्ट में विशेष रूप से लंबित मामलों में देरी के कारण स्पष्ट रूप से दर्ज करने को कहा गया है।
पंजाब के गृह सचिव बताएं, विधायकों और सांसदों के खिलाफ धीमी जांच क्यों: हाईकोर्ट
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