पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने आज नीति आयोग की टीम के सामने राज्य के लिए विशेष आर्थिक पैकेज मांग रखी, जिसमें दो हजार करोड़ रुपये का विशेष आर्थिक जोन, औद्योगिक कॉरिडोर (वैश्विक विनिर्माण हब), भारत माला परियोजना, मोहाली में सेमीकंडक्टर लैब का विस्तार, मोहाली में सॉफ्टवेयर प्रौद्योगिकी पार्कों का विस्तार, और पंजाब में प्रत्येक क्षेत्र के लिए विशेष निर्यात जोन बनाने की मांग शामिल है। जिनमें अमृतसर के लिए खाद्य प्रसंस्करण, लुधियाना के लिए टेक्सटाइल और मोहाली के लिए ऑटोमोबाइल पार्क शामिल हैं। सीएम ने कहा कि पंजाब देश का लगभग 12 प्रतिशत और विश्व का लगभग दो प्रतिशत चावल पैदा करता है। उन्होंने कहा कि पंजाब सरकार राज्य में फसली विविधता को बढ़ावा देने के लिए लगातार प्रयास कर रही है। वहीं, उन्होंने केंद्र सरकार से पंजाब के हकों की रक्षा की अपील की। इसके अलावा सीमावर्ती जिलों के लिए विशेष राहत पैकेज और एग्रो फूउ प्रोसेसिंग जोन बनाए जाने की मांग भी सीएम ने उठाई है। नीति आयोग के सामने सीएम ने यह छह प्वाइंट प्रमुखता से उठाए है- – छह जिलों की सीमा पाकिस्तान से लगती है नीति आयोग के सदस्य प्रो. रमेश चंद और प्रोग्राम डायरेक्टर संजीत सिंह के नेतृत्व वाली टीम के समक्ष सीएम ने कहा कि यह उपयुक्त समय है जब आयोग को पानी और कृषि से संबंधित पंजाब की समृद्ध विरासत को बचाने के लिए खुले दिल से मदद करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि राज्य की 553 किलोमीटर लंबी अंतरराष्ट्रीय सीमा पाकिस्तान से लगती है। छह जिले अमृतसर, तरन तारन, गुरदासपुर, पठानकोट, फिरोजपुर और फाजिल्का सीमा पर स्थित हैं। मान ने अफसोस जताया कि केंद्र सरकार द्वारा हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड और जम्मू-कश्मीर को विशेष रियायतें देने से पंजाब के सीमावर्ती जिलों की अर्थव्यवस्था पर बुरा असर पड़ा है। एग्रो फूड प्रोसेसिंग जोन स्थापित किए जाए मुख्यमंत्री ने कहा कि पंजाब के व्यापार और औद्योगिक क्षेत्र में फिर से जान फूंकने के लिए हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड और जम्मू-कश्मीर की तर्ज पर पंजाब के सीमावर्ती जिलों को भी सहारा देने की जरूरत है। सीमावर्ती जिलों के लिए विशेष रियायती पैकेज की मांग करते हुए उन्होंने प्रत्येक सीमावर्ती जिले में एग्रो फूड प्रोसेसिंग जोन स्थापित करने की वकालत की। इसमें विशेष ध्यान बासमती चावल उद्योग और लीची जैसे बागवानी उत्पादों पर दिया जाए। सीमावर्ती जिलों में मौजूदा फोकल पॉइंट्स के नवीनीकरण और अमृतसर में प्रदर्शनी-कम-सम्मेलन केंद्र स्थापित करने की भी वकालत की। किसानों का मुआवजा बढ़ाया जाए मुख्यमंत्री ने एग्रो क्षेत्र के लिए पीएलआई स्कीम, टेक्सटाइल क्षेत्र के लिए कर रियायतें, उद्योग के लिए परिवहन सब्सिडी, और सीमावर्ती जिलों के लिए रियायती ब्याज दरों पर ऋण और कार्यशील पूंजी की भी मांग की। उन्होंने अंतरराष्ट्रीय सीमा पर कांटेदार तारों के बीच की जमीन के मालिकों के लिए मुआवजे में वृद्धि की मांग करते हुए कहा कि किसानों की 17,000 एकड़ से अधिक जमीन कांटेदार तारों के पार है। वर्तमान में किसानों को प्रति एकड़ प्रति वर्ष 10,000 रुपए मुआवजा दिया जाता है, जिसे बढ़ाकर 30,000 रुपए किया जाए। उन्होंने आगे कहा कि यह मुआवजा केंद्र और राज्य सरकार द्वारा संयुक्त रूप से देने के बजाय पूरी तरह से केंद्र सरकार द्वारा दिया जाए, क्योंकि ये मेहनती किसान देश को खाद्यान्न के मामले में आत्मनिर्भर बनाने के लिए कड़ी मेहनत कर रहे हैं। सुरक्षा के लिए 2829 करोड़ रुपए मांगे सीमावर्ती क्षेत्रों में रक्षा की दूसरी पंक्ति को मजबूत करने के संबंध में, मुख्य मंत्री ने सभी 2107 सीमावर्ती गांवों के लिए बॉर्डर विंग होमगार्ड स्कीम को मजबूत करने पर जोर दिया। उन्होंने प्रत्येक जवान के लिए 1999 में निर्धारित ड्यूटी भत्ता 45 रुपए प्रतिदिन से बढ़ाकर न्यूनतम 655 रुपए करने की भी मांग की। उन्होंने कहा कि सीमावर्ती गांवों और बी.एस.एफ. के बीच बेहतर तालमेल के लिए यह आवश्यक है। ड्रोन के माध्यम से नशे और हथियारों की तस्करी रोकने के लिए जैमर सहित अन्य उपकरण और बुनियादी ढांचे को अपग्रेड करने के लिए 2829 करोड़ रुपये की भी मांग की। मुख्यमंत्री ने कहा कि यह बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि सीमा का 4/5 हिस्सा जैमिंग सिस्टम के बिना है, जिसके कारण देश की एकता, अखंडता और संप्रभुता के लिए बड़ी चुनौती खड़ी होती है। भगवंत सिंह मान ने केंद्र सरकार द्वारा शुरू किए गए ‘गतिशील गांव प्रोग्राम’ में संशोधन करके राज्य के अधिक से अधिक सीमावर्ती गांवों को इसका लाभ देने की मांग की। उन्होंने कहा कि पंजाब के सीमावर्ती जिलों में अन्य राज्यों की तुलना में अधिक आबादी रहती है। उन्होंने कहा कि सीमा के 10 किलोमीटर के दायरे में राज्य के 1500 गांव आते हैं, जिनमें से केवल 101 गांवों को इस योजना के लिए चुना गया है। यमुना-सतलुज-लिंक परियोजना मिले हक मुख्यमंत्री ने कहा कि पंजाब ने बार-बार यमुना के पानी की वितरण के लिए बातचीत में शामिल होने की मांग की है क्योंकि यमुना-सतलुज-लिंक परियोजना के लिए 12 मार्च, 1954 को पुराने पंजाब और उत्तर प्रदेश के बीच एक समझौता हुआ था, जिसमें पुराने पंजाब को यमुना के पानी के दो-तिहाई हिस्से का हकदार बनाया गया था। उन्होंने कहा कि इस समझौते में यमुना के पानी से सिंचाई के लिए किसी विशेष क्षेत्र को नहीं दर्शाया गया था। उन्होंने कहा कि पुनर्गठन से पहले यमुना नदी रावी और ब्यास की तरह पुराने पंजाब से होकर बहती थी। भगवंत सिंह मान ने दुख व्यक्त किया कि पंजाब और हरियाणा के बीच नदी जल वितरण के समय यमुना के पानी पर विचार नहीं किया गया, जबकि रावी और ब्यास के पानी को ही विचार में लिया गया।भारत सरकार द्वारा गठित सिंचाई आयोग की 1972 की रिपोर्ट का हवाला देते हुए, मुख्यमंत्री ने कहा कि इसमें कहा गया है कि पंजाब (1966 के पुनर्गठन के बाद) यमुना नदी बेसिन में आता है। उन्होंने कहा कि इसलिए यदि हरियाणा का रावी और ब्यास नदियों के पानी पर दावा है, तो पंजाब का भी यमुना के पानी पर समान दावा होना चाहिए। उन्होंने अनुरोध किया कि इस समझौते के संशोधन के दौरान पंजाब के दावे पर विचार किया जाना चाहिए और पंजाब को यमुना के पानी पर उसका उचित हिस्सा दिया जाना चाहिए। बीबीएमबी का मुददा भी उठाया भाखड़ा ब्यास प्रबंधन बोर्ड (बी.बी.एम.बी.) की पक्षपातपूर्ण रवैये का मुद्दा उठाते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि बोर्ड का गठन पंजाब पुनर्गठन अधिनियम, 1966 के प्रावधानों के तहत किया गया था, जिसका अधिकार भाखड़ा, नंगल और ब्यास परियोजनाओं से भागीदार राज्यों पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश, दिल्ली और चंडीगढ़ को पानी और बिजली की आपूर्ति को नियंत्रित करने के लिए है। उन्होंने कहा कि पिछले समय में पंजाब अपनी पीने के पानी और अन्य वास्तविक जरूरतों को पूरा करने के लिए भागीदार राज्यों के साथ पानी साझा करने में बहुत उदार रहा है क्योंकि पंजाब अपनी पानी की मांग, खासकर धान की फसल के लिए पानी की मांग को पूरा करने के लिए अपने भूजल भंडारों पर निर्भर रहा है। सीएम ने कहा कि परिणामस्वरूप भूजल का स्तर बहुत हद तक नीचे चला गया है, यहां तक कि पंजाब राज्य के 153 ब्लॉकों में से 115 ब्लॉक, जो कि 76.10 प्रतिशत है, में पानी का स्तर बहुत अधिक नीचे चला गया है और यह प्रतिशत देश के बाकी राज्यों में सबसे अधिक है।
पंजाब को मिले दो हजार करोड़ का आर्थिक पैकेज:नीति आयोग की मीटिंग में सीएम बोले , केंद्र राज्य के हकों की रक्षा करे
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