पंजाब की भगवंत मान सरकार द्वारा लाई गई “लैंड पूलिंग पॉलिसी” के खिलाफ सोमवार को किसान संगठनों ने प्रदेश भर में जोरदार विरोध प्रदर्शन किया। किसान मजदूर मोर्चा के आह्वान पर पंजाब के सभी जिलों में डीसी कार्यालयों के बाहर रोष प्रदर्शन कर ज्ञापन सौंपे गए। अमृतसर में भी किसान मजदूर संघर्ष कमेटी के नेतृत्व में भारी एकत्रता देखी गई, जहां किसान नेता सरवन सिंह पंधेर की अगुवाई में डीसी कार्यालय के बाहर धरना दिया गया और मांग पत्र सौंपा गया। किसान नेता सरवन सिंह पंधेर ने इस नीति की तुलना केंद्र सरकार के तीन कृषि कानूनों से करते हुए इसे किसानों के लिए “काली नीति” करार दिया। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने जिन 65,033 एकड़ जमीन को अधिसूचित किया है, उसमें किसानों की उपजाऊ जमीन भी शामिल है। अधिसूचना के बाद किसान न तो अपनी ज़मीन बेच सकते हैं, न ही उस पर लोन ले सकते हैं। राज्य सरकार दावा कर रही है कि ज़मीन किसानों की मर्जी से ली जा रही है, लेकिन ज़मीनी हकीकत इससे विपरीत है। एक एकड़ के मुकाबले 1200 गज जमीन देगी सरकार सरवन सिंह ने कहा कि एक एकड़, जिसमें 4840 गज होते हैं, में से केवल 1200 गज जमीन ही किसान को वापस मिलेगी, बाक़ी 75% जमीन सरकार की योजनाओं के अधीन चली जाएगी। यह किसानों के साथ धोखा है। उन्होंने यह भी सवाल उठाया कि अगर अगले 25 वर्षों तक जमीन विकसित नहीं होती, तो क्या किसान सड़कों और सीवरेजों के बीच अपने परिवारों के साथ सिर्फ तमाशा देखते रहेंगे। किसानेां ने आंदोलन की रूपरेखा तैयार की धरने में यह भी मांग की गई कि भारतमाला योजना के तहत उजाड़े गए किसानों को पुनर्वास मिले, प्रीपेड बिजली मीटर की योजना रद्द हो, और शंभू-खनौरी मोर्चों के दौरान बर्बाद हुआ, किसानों का सामान सरकार मुआवजा देकर लौटाए। किसान नेताओं ने यह भी आरोप लगाया कि जो किसान सरकार की नीतियों का विरोध करते हैं, उन पर पुलिस केस दर्ज किए जा रहे हैं, जिन्हें वापस लिया जाए।
पंजाब भर में किसानों का विरोध प्रदर्शन:लैंड पूलिंग नीति को तुरंत रद्द करने की मांग; अमृतसर डीसी दफ्तर के बाहर भी धरना
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