पंजाब में 4,591 एफआईआर की जांच तीन साल से अधिक समय से लंबित है। यह जानकारी खुद पंजाब सरकार ने पंजाब हरियाणा हाईकोर्ट में दी है। इनमें 1,338 एफआईआर सिर्फ अमृतसर की है। इन एफआईआर की जांच तीन साल से अधिक समय से अधूरी हैं और हजारों आरोपी फरार चल रहे हैं। जस्टिस एनएस शेखावत की पीठ के समक्ष पेश हुए राज्य के वकील ने बताया कि कुल 6,054 लंबित एफआईआर में से 1,463 मामलों में चार्जशीट, रद्दीकरण या ‘अनट्रेस्ड’ रिपोर्ट कोर्ट में दाखिल की जा चुकी है। उन्होंने कोर्ट को आश्वासन दिया कि शेष 4,591 मामलों की निगरानी के लिए वरिष्ठ अधिकारियों की नियुक्ति की गई है और जांच शीघ्र पूरी की जाएगी। कोर्ट ने राज्य के डीजीपी द्वारा दायर एक हलफनामा भी रिकॉर्ड पर लिया, जो कि 2 अप्रैल को जारी आदेश के पालन में दाखिल किया गया था। अब मामले की अगली सुनवाई 18 जुलाई को होगी, जिसके लिए कोर्ट ने डीजीपी से ताजा स्टेटस रिपोर्ट मांगी। अनावश्यक विलंब से आरोपी का अधिकार होता है प्रभावित यह मामला संवेदनशील इसलिए भी है क्योंकि संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत प्रत्येक व्यक्ति को निष्पक्ष और त्वरित सुनवाई का अधिकार है। वहीं, दंड प्रक्रिया संहिता (CrPC) की धारा 173(1) के अनुसार, जांच अधिकारी को बिना अनावश्यक देरी के जांच पूरी करनी होती है। सुप्रीम कोर्ट भी कई बार यह स्पष्ट कर चुका है कि अनावश्यक विलंब से आरोपी का “स्पीडी ट्रायल” का अधिकार प्रभावित होता है, जिससे एफआईआर खारिज करने या जमानत मिलने की संभावना बढ़ जाती है। हाईकोर्ट कर चुकी निराशा जाहिर इससे पहले की सुनवाई में जस्टिस शेखावत ने तीखी टिप्पणी करते हुए कहा था कि “2013 में दर्ज मामलों की जांच अब तक लंबित है। कई मामलों में जांच अधिकारियों की फाइलें पिछले 10 वर्षों से लापता हैं और कहा गया है कि वे फाइलें अब पुनर्निर्मित की जा रही हैं। कुछ मामलों में तो पीड़ितों को लगी चोटों पर डॉक्टर की राय तक पिछले चार वर्षों से नहीं ली गई है। अधिकांश मामलों में आरोपियों की गिरफ्तारी के लिए कोई प्रयास नहीं किया गया है और अकेले अमृतसर जिले में हजारों आरोपी फरार हैं।”
पंजाब में तीन साल में 4,591 FIRs की जांच लंबित:हाईकोर्ट में राज्य सरकार ने सौंपी रिपोर्ट; 1,338 मामले सिर्फ अमृतसर से संबंधित
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