पंजाब की तरनतारन विधानसभा सीट पर जल्द ही उपचुनाव होने वाला है, क्योंकि यहां के विधायक डॉ. कश्मीर सिंह सोहल की पिछले महीने बीमारी के कारण मौत हो गई। ऐसे में यह सीट खाली है। यह चुनाव इसलिए भी दिलचस्प हो सकता है कि क्योंकि यहां से खालिस्तान समर्थक अमृतपाल सिंह की पार्टी भी चुनाव लड़ने का ऐलान कर चुकी है। वहीं, उपचुनाव के लिए सभी पार्टियां तैयारियों में जुट गई हैं और विनिंग कैंडिडेट की तलाश की जा रही है। इसी बीच आम आदमी पार्टी (AAP) ने शिरोमणि अकाली दल (SAD) के नेता हरमीत सिंह संधू को पार्टी में शामिल कर लिया है। संधू बड़े नेता हैं और तरनतारन विधानसभा से लगातार तीन बार विधायक रह चुके हैं। ऐसे में पार्टी में उनकी जॉइनिंग को तरनतारन उपचुनाव के लिए कैंडिडेट के तौर पर ही देखा जा रहा है। यह पहली बार नहीं है जब AAP ने किसी दूसरी पार्टी के नेता को उपचुनाव से ठीक पहले सदस्यता दी हो और उसे अपना कैंडिडेट घोषित किया हो। इससे पहले जालंधर वेस्ट, चब्बेवाल और गिद्दड़बाहा सीटों के उपचुनाव में पार्टी यह सफल एक्सपेरीमेंट कर चुकी है। हालांकि, बरनाला में AAP को हार का सामना करना पड़ा था। 3 चुनाव, जिनमें AAP का प्रयोग सफल रहा… 1. जालंधर वेस्ट सीट (उपचुनाव 2024)
जालंधर वेस्ट में जुलाई 2024 में विधानसभा उपचुनाव हुए। यह सीट लोकसभा चुनाव 2024 से ठीक पहले खाली हो गई थी, क्योंकि AAP विधायक शीतल अंगुराल भाजपा में शामिल हो गए थे। साथ ही उन्होंने विधानसभा से भी इस्तीफा दे दिया था। मार्च में दिया इस्तीफा जून माह में मंजूर किया गया। इसके बाद निर्वाचन आयोग ने 10 जुलाई को उपचुनाव की घोषणा कर दी। ऐसे में AAP ने 2023 में भाजपा छोड़कर आए मोहिंदर भगत को अपना उम्मीदवार घोषित किया। वहीं, भाजपा ने शीतल अंगुराल को ही कैंडिडेट बनाया। इस चुनाव में मोहिंदर भगत की जीत हुई। इसके बाद उन्हें मंत्री भी बनाया गया। 2. चब्बेवाल सीट (2024)
साल 2024 में जब लोकसभा चुनाव होने वाले थे, तब AAP के पास होशियारपुर से कोई उम्मीदवार नहीं था। उसी समय 15 मार्च 2024 को चब्बेवाल से कांग्रेस के विधायक डॉ. राजकुमार चब्बेवाल ने कांग्रेस और पंजाब विधानसभा से इस्तीफा दे दिया। उसी दिन वह AAP में शामिल हुए। AAP ने उन्हें होशियारपुर लोकसभा सीट से अपना उम्मीदवार घोषित किया। वह चुनाव जीत गए। इसके बाद चब्बेवाल विधानसभा सीट से चब्बेवाल के बेटे डॉ. इशांक चब्बेवाल को AAP ने उम्मीदवार बनाया। वह भी चुनाव जीतकर विधायक बने। 3. गिद्दड़बाहा सीट (उपचुनाव 2024)
साल 2024 में हुए लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने गिद्दड़बाहा से विधायक अमरिंदर सिंह राजा वड़िंग को लुधियाना से लोकसभा चुनाव लड़ाया था। जब वड़िंग जीत गए तो गिद्दड़बाहा विधानसभा सीट खाली हो गई। इस वजह से यहां उपचुनाव कराया गया। इस उपचुनाव में उतारने के लिए AAP के पास अपना कोई मजबूत चेहरा नहीं था। ऐसे में पार्टी ने उपचुनाव से करीब ढाई महीने पहले बड़ा उलटफेर करते हुए पूर्व डिप्टी सीएम सुखबीर बादल के करीबी हरदीप सिंह डिंपी ढिल्लों को पार्टी में शामिल कर लिया। पार्टी ने उन्हें ही उम्मीदवार घोषित किया। वहीं, कांग्रेस ने राजा वड़िंग की पत्नी अमृता वड़िंग और भाजपा से मनप्रीत बादल को कैंडिडेट बनाया। इस चुनाव में डिंपी ढिल्लों 71,644 वोट से विजयी बने। 2 सीटों पर अपने कैंडिडेट उतारकर भी जीते… 1. डेरा बाबा नानक सीट (उपचुनाव 2024)
डेरा बाबा नानक में नवंबर 2024 में उपचुनाव हुए थे, क्योंकि यहां के कांग्रेस विधायक सुखजिंदर सिंह रंधावा गुरदासपुर से लोकसभा चुनाव जीतकर सांसद बन गए थे। इसके बाद उपचुनाव में पार्टी ने रंधावा की पत्नी जतिंदर कौर रंधावा को उम्मीदवार बनाया। जबकि, AAP ने गुरदीप रंधावा को अपना उम्मीदवार बनाया था, जो काफी समय से पार्टी में जुड़े हुए थे। चुनाव में गुरदीप सिंह रंधावा 5,699 वोटों से जीते। उन्हें 59,104 मत मिले थे, जबकि जतिंदर कौर को 53,405 वोट मिले थे। 2. लुधियाना वेस्ट सीट (उपचुनाव 2025)
लुधियाना वेस्ट के विधायक गुरप्रीत सिंह गोगी की जनवरी 2025 में मौत हो गई थी। इसके बाद यहां उपचुनाव करवाया गया। AAP ने इस सीट पर अपने राज्यसभा सांसद डॉ. संजीव अरोड़ा को उम्मीदवार बनाया।जबकि, कांग्रेस ने पूर्व मंत्री भारत भूषण आशू और बीजेपी ने जीवन गुप्ता को उम्मीदवार बनाया। AAP की तरफ से यहां चुनाव प्रचार की कमान सभी मंत्रियों और विधायकों के अलावा AAP सुप्रीमो अरविंद केजरीवाल और CM भगवंत मान ने संभाली। अंत में पार्टी ने अरोड़ा को मंत्री बनाने का दांव खेला, जिसका परिणाम पार्टी के हक में आया और अरोड़ा को जीतने के बाद उद्योग मंत्री बनाया गया। बरनाला सीट पर AAP को मिली हार बरनाला विधानसभा सीट को AAP की राजधानी कहा जाता है, क्योंकि यहां से पार्टी लगातार चुनाव जीतती रही। 2 बार यहां से गुरमीत सिंह मीत हेयर विधायक बने। इसके बाद जब 2022 में पार्टी सत्ता में आई, तो वह मंत्री बने। हालांकि, 2024 के लोकसभा चुनाव में पार्टी ने गुरमीत सिंह मीत हेयर को संगरूर से अपना लोकसभा उम्मीदवार बनाया। वह चुनाव जीतकर सांसद बन गए। इसके बाद यहां हुए उपचुनाव में पार्टी हार गई, और कांग्रेस के कुलदीप सिंह काला विधायक बने। AAP ने यहां से हेयर के करीबी हरिंदर धालीवाल को अपना उम्मीदवार बनाया था। जबकि, AAP नेता और तत्कालीन जिला योजना कमेटी के चेयरमैन गुरदीप बाठ बागी हो गए थे। उन्होंने आजाद उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ा। इस चुनाव में धालीवाल को 26,097 वोट मिले थे, जबकि बागी बाठ को 16,899 वोट मिले। माना जाता है कि यहां पार्टी की हार का कारण यह बगावत ही थी।
पंजाब में AAP की एक और उपचुनाव की तैयारी:दूसरी पार्टी से आए नेता को कैंडिडेट बना सकती है, इसी फॉर्मूले से जालंधर-गिद्दड़बाहा जीते
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