भास्कर न्यूज| लुधियाना पंजाब वेतनमान बहाली संयुक्त मोर्चा ने ऑनलाइन राज्य स्तरीय बैठक कर अधूरे वेतनमान पर कार्यरत कर्मचारियों के लिए 17 जुलाई को काला दिवस मनाने का फैसला लिया। इस दिन अधूरे वेतनमानों की प्रतियां जलाई जाएंगी और कर्मचारी कर्तव्य स्थलों पर काले बिल्ले व काली पट्टी बांधकर सरकार के खिलाफ विरोध दर्ज कराएंगे। मोर्चा नेताओं ने आरोप लगाया कि पंजाब सरकार सर्वोच्च न्यायालय के आदेशों की अनदेखी कर रही है और बार-बार बैठकें तय कर उनसे भाग रही है। मोर्चा की राज्य कमेटी ने बताया कि 23 मार्च को उन्होंने संगरूर स्थित मुख्यमंत्री के आवास का घेराव किया था। उस समय संगरूर प्रशासन ने सर्वदलीय समिति की बैठक कराने का लिखित आश्वासन दिया, लेकिन यह बैठक दो बार स्थगित कर दी गई। उपचुनाव के दौरान 25 जून को तय की गई बैठक भी नहीं हो पाई। नेताओं ने कहा कि सरकार की बार-बार की मीटिंग और इंकार अब मामूली बात बन गई है। नेताओं ने कहा कि सत्ता में आने से पहले आम आदमी पार्टी ने पंजाब वेतनमान बहाल करने का वादा किया था, लेकिन सुप्रीम कोर्ट में हारने के बाद भी वेतनमान लागू नहीं किया जा रहा। उल्टा, विभिन्न विभागों के सेवा नियमों में संशोधन कर कंजूसी की नीति अपनाई जा रही है। इससे विभिन्न मामलों में जीत चुके कर्मचारियों के मन में भारी रोष है। मोर्चा ने वित्त मंत्री हरपाल चीमा पर निशाना साधते हुए कहा कि वह कांग्रेस के पूर्व वित्त मंत्री मनप्रीत बादल के रास्ते पर चल रहे हैं। मौजूदा सरकार का खजाना खाली है और वित्त मंत्री भी “पीपा मंत्री” बनने की राह पर हैं। सिविल सर्जन कार्यालय लुधियाना में स्वास्थ्य कर्मचारियों ने 17 जुलाई को काला दिवस मनाने का समर्थन किया। इस दौरान स्वास्थ्य निरीक्षक सतिंदर सिंह, सरबजीत सिंह, जसवीर सिंह, कोच अल्ताफ खान, राजविंदर सिंह, सुखप्रीत सिंह, अमनजोत मेहरा, नरिंदर कुमार, गुरमिंदर सिंह, गुरप्रीत सिंह, मनजीत सिंह, सौरव वालिया, गुरविंदर सिंह, अमीरपाल व अन्य नेता मौजूद रहे।
पंजाब वेतनमान बहाली संयुक्त मोर्चा 17 जुलाई को काला दिवस मनाएगा
3
previous post