पति-पत्नी की एक ही जिले में पोस्टिंग अब जरूरी नहीं, इलाहाबाद हाईकोर्ट का अहम फैसला

by Carbonmedia
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इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने एक महत्वपूर्ण आदेश पारित करते हुए कहा है कि सरकारी नौकरियों में कार्यरत पति-पत्नी की एक ही जिले में तैनाती अनिवार्य नहीं है. यह केवल एक सुविधा है, न कि उनका अधिकार. यह फैसला न्यायमूर्ति अंजनी कुमार श्रीवास्तव की एकल पीठ ने सुनाया, जिसमें राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड में कार्यरत एक अभियंता की याचिका खारिज कर दी गई.
बता दें कि याचिका प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड कानपुर में कार्यरत एक अभियंता ने दायर की थी, जिसकी पत्नी भी राज्य सेवा में है और उसकी तैनाती भी कानपुर में ही है. याची ने दोनों की एक ही जिले में तैनाती की मांग की थी. ताकि दोनों पति-पत्नी एक ही स्थान पर कार्य कर सकें. हालांकि, राज्य सरकार ने नई स्थानांतरण नीति 2024-25 का हवाला देते हुए कहा कि पति-पत्नी दोनों सरकारी नौकरी में हों तो उनकी एक जिले में तैनाती की कोशिश की जा सकती है, लेकिन यह एक सुविधा है, अधिकार नहीं. विभागीय जरूरतों को प्राथमिकता दी जाती है.
कोर्ट का फैसला
न्यायमूर्ति अंजनी कुमार श्रीवास्तव ने सरकार की दलीलों को सही माना और कहा कि पति-पत्नी की एक ही जिले में तैनाती सुनिश्चित करने का कोई कानूनी अधिकार नहीं है. कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि स्थानांतरण नीति में दी गई सुविधा प्रशासनिक सुविधा के आधार पर लागू होती है, न कि हर स्थिति में अनिवार्य है. इस आधार पर याचिका को खारिज कर दिया गया.
क्या है नई स्थानांतरण नीति 2024-25 ?
राज्य सरकार की ओर से पेश की गई जानकारी के अनुसार, 2024-25 की स्थानांतरण नीति में यह प्रावधान है कि जहां संभव हो, पति-पत्नी दोनों की तैनाती एक ही जिले में करने का प्रयास किया जाएगा, लेकिन विभागीय कार्यभार और प्रशासनिक जरूरतों को प्राथमिकता दी जाएगी. इस नीति को कोर्ट ने उचित ठहराया और कहा कि यह कर्मचारियों के हित के साथ-साथ प्रशासनिक संतुलन बनाए रखने के लिए है.

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