दिल्ली हाई कोर्ट ने एक युवक की जमानत याचिका खारिज कर दी है, जिसकी पत्नी ने शादी के 9 महीने के भीतर ही आत्महत्या कर ली थी. महिला तीन महीने की गर्भवती थी और उसे दहेज की मांग को लेकर लगातार प्रताड़ित करने का आरोप है.
दिल्ली हाई कोर्ट में जस्टिस स्वर्णकांत शर्मा ने कहा कि मृतका की आवाज अब भले ही खामोश हो गयी हो लेकिन उसके माता पिता द्वारा लाए गए सबूत के माध्यम से सच्चाई सुनी जा सकती है.
दिल्ली हाई कोर्ट की अहम बातें
दिल्ली हाई कोर्ट में जस्टिस स्वर्णकांत शर्मा ने मामले की सुनवाई के दौरान कहा कि एक ऐसी महिला जो दहेज की मांग और मानसिक प्रताड़ना के चलते आत्महत्या करने के लिए मजबूर हो गई. उसकी आवाज अब उसके माता-पिता के माध्यम से ही न्यायपालिका तक पहुंच सकती है. उसका मौलिक अधिकार है कि उसके साथ हुए अन्याय की सुनवाई हो.
कोर्ट ने कहा कि मृतका का अब स्वयं अपनी कहानी नहीं सुना सकती. इसलिए उसके माता-पिता जो अभियोजन पक्ष के प्रमुख गवाह हैं. उसकी तरफ से न्याय की मांग कर सकते हैं.
दिल्ली हाई कोर्ट ने पति की उस दलील को भी खारिज कर दिया जिसमें उसने कहा था कि उनके बीच का झगड़ा सामान्य वैवाहिक झगड़ा था. दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा कि रिकॉर्ड में मौजूद सबूत, एफआईआर और घटना से पहले की परिस्थितियां इस स्तर पर अभियोजन पक्ष के आरोपों को मजबूत करती है.
दहेज में मोटरसाइकिल और सोने की चेन की मांग
दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा कि पति की ओर से दहेज में मोटरसाइकिल और सोने की चेन की मांग की जाती थी और इसको लेकर वह अक्सर पत्नी से लड़ाई करता था. यह एक प्रताड़ना का पैटर्न था जिस नजर अंदाज बिल्कुल नहीं किया जा सकता.
शादी के बाद भी नहीं टूटता ममता का बंधन
दिल्ली हाई कोर्ट ने इस दलील को भी खारिज कर दिया कि महिला के माता-पिता दूसरे शहर में रहते थे. इसलिए उन्हें इसकी वैवाहिक जीवन की जानकारी नहीं हो सकती. दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा भारत में माता-पिता अपनी बेटियों की शादी के बाद भी उनसे भावनात्मक रूप से जुड़े रहते हैं. यह सोचना की बेटी की शादी के बाद माता-पिता अनजान हो जाते हैं सामाजिक यथार्थ से कोसो दूर है.
दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा कि ऐसी महिलाएं जो दहेज की मांग शोषण और प्रताड़ना का शिकार होती है उनके लिए माता-पिता ही का एकमात्र मानसिक और भावनात्मक सहारा होते हैं.
दिल्ली हाई कोर्ट ने आरोपी पति की अर्जी खारिज की
दिल्ली हाई कोर्ट मामले की सुनवाई के दौरान कहा कि यह मामला केवल एक महिला की मौत का नहीं है. बल्कि उसके गर्भ में पल रहे एक और जीवन के अंत का भी है. जिस तरह से सबूत और साक्ष्य अभियोजन पक्ष ने कोर्ट में पेश किए हैं उसके आधार पर आरोपी पति को जमानत नहीं दिया जा सकता है.
पत्नी के सुसाइड मामले में पति की जमानत याचिका खारिज, HC ने कहा, ‘माता-पिता दे सकते हैं गवाही’
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