मुंबई क्राइम ब्रांच की प्रॉपर्टी सेल ने महाराष्ट्र सरकार में मंत्री मंगल प्रभात लोढ़ा के चचेरे भाई राजेंद्र लोढ़ा को गिरफ्तार कर लिया है. राजेंद्र लोढ़ा, लोढ़ा डेवलेपर्स के पूर्व डायरेक्टर रह चुके हैं, उन्हें 85 करोड़ रुपये के धोखाधड़ी के मामले में गिरफ्तार किया है. मुंबई के वर्ली इलाके से उन्हें गिरफ्तार किया गया और फिर कोर्ट में पेश किया गया, जहां कोर्ट ने उन्हें 23 सितंबर तक पुलिस कस्टडी में भेज दिया है. मुंबई की नामी रियल एस्टेट कंपनी लोढ़ा डेवलपर्स लिमिटेड में बड़े पैमाने पर आर्थिक घोटाले का खुलासा हुआ है.
आरोप है कि सितंबर 2013 से लेकर 18 अगस्त 2025 तक निदेशक पद पर रहते हुए राजेंद्र लोढ़ा ने अपने अधिकारों का दुरुपयोग किया. कंपनी ने उन्हें केवल जमीन अधिग्रहण का अधिकार दिया था, लेकिन बिक्री का कोई अधिकार नहीं था. इसके बावजूद, उन्होंने कंपनी के साथ विश्वासघात करते हुए अपने बेटे साहिल लोढ़ा, उषा प्रॉपर्टीज के भरत नरसाना, नितिन वडोर और रितेश नरसाना के साथ संगनमत कर कंपनी की आधिकारिक जमीन और TDR कम दामों में बेच दी.
जांच में हुआ बड़ा खुलासा
जांच में सामने आया है कि राजेंद्र लोढ़ा ने ऐसी जमीनें भी बेचीं, जो वास्तव में राजाराम पाटिल और निलेश अग्रवाल नाम के शख्स के कब्जे में भी नहीं थीं. कंपनी को यह विश्वास दिलाया गया कि जमीन उनके अधिकार में है और इस आधार पर उनसे भारी रकम और फ्लैट अदा करवाए गए.
इस धोखाधड़ी से आरोपी पक्ष को करोड़ों का फायदा हुआ, जबकि कंपनी को लगभग 85 करोड़ रूपये का नुकसान झेलना पड़ा. इस पूरे घोटाले में कंपनी की कर्मचारी श्रीमती निशा मेनन, श्रीमती नेहा देसाई, अमित कांबले तथा विक्रेता सुजीतकुमार जीतप्रताप सिंह और विनोद पाटिल की भी भूमिका सामने आई है.
कंपनी के निदेशकों को धमकी
बताया जा रहा है कि इन सबने समय-समय पर आरोपियों की मदद की. इतना ही नहीं, कंपनी के निदेशकों को धमकी भी दी गई कि उन्हें जिंदा नहीं छोड़ा जाएगा. शिकायतकर्ता ने अपने बयान के साथ कई महत्वपूर्ण दस्तावेज भी पेश किए हैं.
इनमें पावर ऑफ अटॉर्नी, अभिषेक लोढ़ा का ईमेल, नितलस गांव की जमीन का MOU, करारनामे और इस्तीफे की कॉपी समेत कई प्रमाण शामिल हैं. इन सबूतों के आधार पर अब पुलिस और जांच एजेंसियों से आरोपियों पर सख्त कानूनी कार्रवाई की मांग की गई है.
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पद का दुरुपयोग कर करोड़ों की धोखाधड़ी, जमीन घोटाले में इस मंत्री का रिश्तेदार गिरफ्तार
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