भास्कर न्यूज|लुधियाना पब्लिक एक्शन कमेटी ने प्रदूषण फैलाने के आरोप में डाइंग इंडस्ट्रीज को बचाने के लिए पीपीसीबी पर हमला बोला। कमेटी ने इसे लेकर एनजीटी में अवमानना याचिकाएं दायर कीं हैं। उन्होंने कहा कि एनजीटी को 20 मार्च तक अनुपालन रिपोर्ट पेश की जानी थी, जो पेश नहीं की गई है। पब्लिक एक्शन कमेटी (पीएसी) के सदस्यों ने पंजाब प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (पीपीसीबी) पर आरोप लगाया कि वह रंग उद्योगों के साथ बार-बार मिलीभगत कर रहा है ताकि उन्हें अपने-अपने कॉमन एफ्लुएंट ट्रीटमेंट प्लांट्स (सीईटीपी) से पर्यावरण में अवैध और निरंतर प्रदूषकों के निर्वहन के लिए कानूनी जवाबदेही से बचाया जा सके। कुलदीप सिंह खैरा और जसकीरत सिंह ने कहा कि डाइंग इंडस्ट्रीज द्वारा सीईटीपी को रोकने के पीपीसीबी के आदेशों के खिलाफ अपील दायर करने के बाद पीएसी ने एनजीटी के समक्ष तीन अलग-अलग आवेदन दायर किए। न्यायाधिकरण ने पीपीसीबी को पर्यावरण मंजूरी (ईसी) की शर्तों के अनुसार कार्य करने और बुड्ढा दरिया में अपशिष्ट जल के निर्वहन को रोकने का निर्देश दिया। शुरुआत में डाइंग इंडस्ट्रीज और सरकार ने दावा किया कि वे एनजीटी के आदेशों को समझ नहीं पा रहे हैं, फिर उद्योग ने लोअर बुड्ढा दरिया ड्रेन के निर्माण में विफलता के लिए पंजाब सरकार को दोषी ठहराया। उन्होंने अपना रुख बदलते हुए दावा किया कि 2018 की केंद्र सरकार की अधिसूचना के बाद अब पर्यावरण मंजूरी की आवश्यकता नहीं है और फिर उन्होंने दावा किया कि 2013 की पर्यावरण मंजूरी भी उनकी नहीं है। आरोप लगाया कि पीपीसीबी ने ऐसी बदलती व्याख्याओं का समर्थन किया और समय बर्बाद करने और बुड्ढा दरिया में अवैध निर्वहन जारी रखने के लिए वकील बदलते रहे। डॉ. अमनदीप सिंह बैंस, इंजीनियर कपिल अरोड़ा और गुरप्रीत सिंह ने कहा कि लुधियाना को सीपीसीबी द्वारा भारत के अत्यधिक प्रदूषित शहरों में से एक घोषित किया गया है। पीएसी सदस्यों ने कहा कि पीपीसीबी ने अदालती शिकायतों में जानबूझकर अधूरे पते लिखे, जिससे अदालतों के लिए समन जारी करना असंभव हो गया।
पब्लिक एक्शन कमेटी ने प्रदूषण फैलाने के आरोप में पीपीसीबी पर निशाना साधा
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