भारतीय वायुसेना का एक जगुआर फाइटर जेट बुधवार (9 जुलाई, 2025) को राजस्थान के चूरू जिले में क्रैश हो गया. दुर्घटना में दोनों पायलटों की मौत हो गई. वायुसेना ने क्रैश के कारणों के लिए जांच के आदेश दे दिए हैं. बीते 5 महीनों में ये जगुआर के क्रैश होने की तीसरी घटना है.
वायुसेना के मुताबिक, क्रैश हुआ जगुआर एक ट्रेनर एयरक्राफ्ट था, जिस पर दो पायलट तैनात थे. इस लड़ाकू विमान ने सूरतगढ़ एयरबेस से उड़ान भरी थी. जानकारी के मुताबिक, ये फाइटर जेट एक रूटीन ट्रेनिंग मिशन पर था. हमले में किसी भी तरह की सिविल प्रॉपर्टी को कोई नुकसान नहीं हुआ है.
IAF ने घटना पर जताया शोक
वायुसेना ने घटना पर शोक जताते हुए दोनों पायलट के परिवारों के प्रति संवेदनाएं जताई हैं. जानकारी के मुताबिक, जिस जगुआर लड़ाकू विमान का बुधवार (9 जुलाई) को चूरू में क्रैश हुआ, उसे वर्ष 2023 में बेंगलुरु में आयोजित एयरो शो में ग्राउंड-प्रदर्शनी के लिए प्रदर्शित किया गया था. उस दौरान, जगुआर को स्मार्ट एंटी एयरफील्ड वेपन (SAAW) और आएसा रडार से लैस किया गया था. विमान का टेल नंबर (JS159) भी बुधवार (9 बुधवार) को क्रैश के बाद चूरू में मलबे में बरामद हुआ है. मलबे में फाइटर जेट के निर्माण का महीना और वर्ष भी लिखा है यानी जुलाई 1980. ठीक 45 साल बाद यानी जुलाई 2025 में विमान क्रैश हुआ है.
बुधवार (9 जुलाई) को दक्षिणी राजस्थान में वायुसेना की दो दिवसीय एक्सरसाइज भी चल रही थी. इसके लिए वायुसेना ने 9-10 जुलाई के लिए पाकिस्तानी से सटी एयरस्पेस के लिए नोटम (नोटिस टू एयरमैन) जारी किया था.
7 महीनों में वायुसेना के 5 एयरक्राफ्ट हुए क्रैश
इसी साल फरवरी के महीने में भी गुजरात के जामनगर में वायुसेना का एक जगुआर तकनीकी खराबी के चलते क्रैश हुआ था. हादसे में पायलट सुरक्षित बच गया था. 2 अप्रैल को ही हरियाणा के पंचकूला में भी एक ट्रेनर जगुआर क्रैश हो गया था. इस हादसे में एक पायलट की मौत हो गई थी और एक सुरक्षित बच गया था. इस साल यानी 2025 के पहले सात महीनों में वायुसेना के कुल पांच एयरक्राफ्ट क्रैश हुए हैं.
वहीं, ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भी भारतीय वायुसेना को नुकसान हुआ था, लेकिन इस बारे में कोई आधिकारिक जानकारी साझा नहीं की गई है.
भारत के पास ‘शमशेर’ के हैं छह स्क्वाड्रन
भारतीय वायुसेना ने 70 के दशक के आखिरी वर्षों और 80 के दशक में यूरोप (इंग्लैंड और फ्रांस) की सैपकैट (SEPECAT) कंपनी से जगुआर लड़ाकू विमानों को खरीदा था. वायुसेना के पास फिलहाल जगुआर के कुल छह स्क्वाड्रन हैं. ये स्क्वाड्रन, अंबाला, जामनगर और गोरखपुर में तैनात रहती है. परमाणु हथियार ले जाने में सक्षम, जगुआर फाइटर जेट को दुश्मन की सीमा में घुसकर हमला करने और मेरीटाइम ऑपरेशन्स के लिए जाना जाता है. वायुसेना में जगुआर को ‘शमशेर’ के नाम से जाना जाता है. ये एक ट्वीन यानी दो इंजन वाला सुपरसोनिक फाइटर एयरक्राफ्ट है, जिसकी रेंज करीब 575 किलोमीटर है.
वहीं, सैपकेट कंपनी अब बंद हो चुकी है. ऐसे में जगुआर फाइटर जेट का निर्माण भी बंद हो चुका है. लेकिन, भारतीय वायुसेना उन चुनिंदा एयरफोर्स में है, जो अभी भी जगुआर फ्लाई करती है.
यह भी पढे़ंः ऑपरेशन सिंदूर के बाद बड़ी तैयारी कर रहा भारत, वायुसेना से जुड़े मामलों पर मोदी सरकार की सीधी नजर, PMO के अधिकारी पहुंचे HAL
परमाणु हथियार ले जाने में सक्षम, बॉर्डर क्रॉस ऑपरेशन में माहिर… राजस्थान के चूरू में क्रैश हुए जगुआर फाइटर जेट की क्या थी खासियत?
3