पलवल में 1 करोड़ लूट के मामले में 3 अरेस्ट:UP के बदमाश पुलिस कर्मी बन कर बस में चढ़े; 2 साथी अभी फरार

by Carbonmedia
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पलवल पुलिस ने नेशनल हाईवे-19 पर बस में हुई एक करोड़ रुपए की लूट के मामले में सीआईए टीम ने तीन बदमाशों को गिरफ्तार कर लिया है। दो अभी फरार हैं। पुलिस ने गिरफ्तार आरोपियों को मंगलवार को कोर्ट में पेश कर तीन दिन के रिमांड पर लिया है। पुलिस उनकी क्राइम हिस्ट्री खंगाल रही है। पलवल सीआईए प्रभारी जगमिंद्र सिंह ने बताया कि राजस्थान के सिकर जिले का रहने वाले रामप्रमेश्वर शर्मा ने पुलिस को शिकायत दी थी कि पिछले 25 वर्षों से वह गुवाहाटी (असम) निवासी सुरेश कुमार अग्रवाल के यहां काम करता है।वह वृंदावन में बेची गई जमीन के एक करोड़ रुपए लेकर राजस्थान रोडवेज की बस से दिल्ली जा रहा था। उसने बताया कि बघौला फ्लाईओवर के पास रात के समय पांच लोगों ने खुद को पुलिसकर्मी बताते हुए बस रोकी। वे गांजा तस्करी का आरोप लगाकर उससे रुपयों से भरे दो बैग छीन लिए। इसके बाद बदमाश उसे जंगल में छोड़कर फरार हो गए। इनकी हुई गिरफ्तारी पलवल एसपी वरुण सिंगला ने मामले की गंभीरता को देखते हुए सीआईए टीम को जांच सौंपी। टीम ने त्वरित कार्रवाई करते हुए तीन आरोपियों को हुडा सेक्टर-2 मोड़ से गिरफ्तार किया है। गिरफ्तार आरोपियों की पहचान मथुरा (यूपी) के कुरकुंडा गांव निवासी रामकिशन, जयंत गांव निवासी रवि और दिनेश के रूप में हुई है। जांच में सामने आया है कि रामप्रमेश्वर शर्मा ने वृंदावन में कपिल देव उपाध्याय से एक करोड़ रुपए प्राप्त किए थे, जिन्हें उसने दो बैग में रखा था। वह कैलाश अग्रवाल की स्कूटी पर बैठकर नेशनल हाईवे-19 पर पहुंचा और वहां से राजस्थान रोडवेज की बस में सवार हुआ। बघौला फ्लाईओवर के नीचे सर्विस रोड पर बदमाशों ने पहले एक-एक करके बस में प्रवेश किया और फिर पुलिसकर्मी होने का दावा करते हुए वारदात को अंजाम दिया। पुलिस के अनुसार यह महत्वपूर्ण तथ्य है कि गिरफ्तार तीनों आरोपी और लाई गई रकम, दोनों मथुरा से जुड़े हैं। इससे आशंका है कि लुटेरे वृंदावन से ही उसका पीछा कर रहे थे। हालांकि पुलिस अभी यह खुलासा नहीं कर रही है कि लुटेरों को पैसों की जानकारी किसने और कैसे दी। सीआईए टीम अब कई अहम सवालों की गुत्थी सुलझाने में जुटी है। जैसे कि लुटेरों को पैसों की जानकारी कैसे मिली, क्या कोई अंदरूनी व्यक्ति शामिल था, और फरार आरोपियों का ठिकाना कहां है। पुलिस का कहना है कि रिमांड के दौरान पूछताछ से कई अहम खुलासे हो सकते हैं। फिलहाल पुलिस की प्राथमिकता लूट के पैसों की बरामदगी और फरार दो आरोपियों की गिरफ्तारी है। साथ ही टीम यह भी पता लगाने की कोशिश कर रही है कि क्या इस गिरोह के अन्य सदस्य भी हैं और वे किन-किन वारदातों में शामिल रहे हैं।

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