‘पशुओं का खून बहाना उचित नहीं’, बकरीद से पहले IAS नियाज खान की अपील सुर्खियों में छाई

by Carbonmedia
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IAS Niyaz Khan On Animal Slaughter: मध्य प्रदेश कैडर के वरिष्ठ IAS अधिकारी नियाज खान एक बार फिर अपने बेबाक बयानों के चलते चर्चा में हैं. इस बार उन्होंने बकरीद पर्व से ठीक पहले एक ऐसा बयान दिया है, जिसे लेकर सोशल मीडिया पर जोरदार बहस छिड़ गई है. खान ने विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर पशु-हत्या को अनुचित बताते हुए लोगों से शाकाहारी जीवन अपनाने की अपील की है. हालांकि, उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि उनका उद्देश्य किसी धार्मिक परंपरा को ठेस पहुंचाना नहीं है.


क्या कहा IAS नियाज खान ने? 


आईएएस नियाज खान ने बकरीद से कुछ घंटे पहले X (पूर्व में ट्विटर) पर एक पोस्ट करते हुए लिखा:


”पशुओं का खून बहाना कहीं से भी उचित नहीं है.”
”पेड़-पौधे, जीव-जंतु  इन सबकी रक्षा होनी चाहिए.”


खान ने आगे कहा, “पर्यावरण दिवस के मौके पर मेरी यही अपील है कि लोग शाकाहार को अपनाएं. जो अल्लाह कुर्बानी से खुश होता है, वही अल्लाह इस बात से भी खुश होगा कि आप पशुओं से कितना प्रेम करते हैं.”


खान ने यह भी स्पष्ट किया कि वह किसी धर्म या परंपरा के विरोधी नहीं हैं. नियाज़ खान ने कहा,”मैं किसी धर्म या परंपरा के खिलाफ नहीं हूं. यह एक लोकतांत्रिक देश है और सभी को अपनी-अपनी परंपराओं को मानने का अधिकार है. मैं स्वयं शाकाहारी हूं, इसलिए इसकी सलाह देता हूं.”


सोशल मीडिया पर मचा हंगामा 


IAS खान के इस बयान को सोशल मीडिया पर बकरीद के परिप्रेक्ष्य में देखा जा रहा है. कुछ लोगों ने उनके विचारों का समर्थन किया है, तो वहीं कई यूज़र्स ने इसे धार्मिक परंपरा में दखल करार दिया है. मुस्लिम समुदाय के कुछ वर्गों ने इसे बकरीद जैसे पवित्र त्योहार के दौरान अनुचित समय पर दिया गया बयान बताया है.


कौन हैं IAS नियाज खान?  


नियाज खान 2015 बैच के IAS अधिकारी हैं. पहले वो राज्य प्रशासनिक सेवा में थे. उन्हें मध्य प्रदेश कैडर आवंटित किया गया है, जबकि वह मूल रूप से छत्तीसगढ़ के निवासी हैं. खान अपने साहित्यिक कार्यों और बेबाक राय के लिए भी जाने जाते हैं. उन्होंने ‘ब्राह्मण द ग्रेट’, ‘वॉर ऑफ कलियुग’ जैसे चर्चित उपन्यास लिखे हैं.
इससे पहले भी वह गौहत्या, धार्मिक कट्टरता और सामाजिक कुरीतियों पर टिप्पणियों को लेकर विवादों में रह चुके हैं.


क्या यह विवाद बढ़ेगा?


बकरीद से ठीक पहले आया यह बयान एक बार फिर से धार्मिक परंपराओं बनाम व्यक्तिगत राय की बहस को जन्म दे सकता है. खासतौर पर तब, जब बयान किसी सरकारी सेवक और वह भी मुस्लिम समुदाय से आने वाले अधिकारी की ओर से आया हो. फिलहाल खान के बयान पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है, लेकिन यह देखना दिलचस्प होगा कि मुस्लिम समुदाय और प्रशासनिक हलकों में इसे लेकर क्या रुख अपनाया जाता है.


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