Jammu and Kashmir High Court: जम्मू-कश्मीर हाई कोर्ट ने यह कहते हुए केंद्रीय गृह मंत्रालय को पहलगाम आतंकवादी हमले के बाद पाकिस्तान भेजी गई एक महिला की वापसी में मदद करने का आदेश दिया कि मानवाधिकार मानव जीवन का सबसे पवित्र अंग है. जस्टिस राहुल भारती रक्षंदा रशीद और शेख जहूर अहमद की बेटी की याचिका पर सुनवाई कर रहे हैं, जिसमें उसने (याचिकाकर्ता ने) कहा है कि पाकिस्तानी नागरिक रशीद लगभग चार दशकों से विवाहित है और दीर्घकालिक वीजा (एलटीवी) पर भारत में रह रहा है.
महिला को 10 दिनों के भीतर वापस लाया जाए- कोर्ट
कोर्ट ने छह जून को अपने आदेश में केंद्रीय गृह मंत्रालय के सचिव को यह सुनिश्चित करने को कहा था कि महिला को 10 दिनों के भीतर वापस लाया जाए और परिवार के साथ मिलाया जाए. यह आदेश हाल में उपलब्ध कराया गया. हालांकि, यह तत्काल स्पष्ट नहीं हो पाया है कि क्या उसे वापस लाने के लिए प्रयास किए गए हैं या मंत्रालय इसे (कोर्टी आदेश को) खंडपीठ में चुनौती देने जा रहा है.
याचिकाकर्ता ने पाकिस्तान में अपनी मां की नाजुक स्थिति की चर्चा करते हुए कहा कि (पाकिस्तान में) उसकी मां की देखभाल करने वाला कोई नहीं है और वह कई बीमारियों से ग्रस्त हैं, जिससे उनके स्वास्थ्य और जीवन को गंभीर खतरा है.
तीन पन्नों के कोर्ट आदेश में क्या कहा गया?
तीन पन्नों के कोर्ट आदेश में कहा गया है, ‘‘मानवाधिकार मानव जीवन का सबसे पवित्र घटक है. इसलिए, ऐसे अवसर आते हैं जब एक संवैधानिक कोर्ट को किसी मामले के गुण-दोषों के बावजूद क्षमादान जैसे एसओएस के साथ आना चाहिए, जिस पर समय आने पर ही निर्णय लिया जा सकता है.’’
आदेश में कहा गया है, ‘‘…इसलिए, यह कोर्ट भारत सरकार के गृह मंत्रालय (एमएचए) को याचिकाकर्ता को उसके निर्वासन से वापस लाने का निर्देश दे रहा है.’’
पहलगाम हमला: पाकिस्तान भेजी गई महिला को वापस लाएं, गृह मंत्रालय को हाई कोर्ट का आदेश
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