तीन महीने पहले पाकिस्तान के सभी नागरिकों के अल्पकालिक वीजा रद्द करने के फैसले के बाद डिपोर्ट की गईं 63 वर्षीय रक्षंदा राशिद को अब भारत सरकार ने विजिटर वीजा देने का फैसला किया है. रक्षंदा, जो एक रिटायर्ड सरकारी अधिकारी की पत्नी हैं, अब वापस जम्मू-कश्मीर लौट सकेंगी और अपने परिवार से मिल सकेंगी.
तालाब खटिकन की रहने वाली हैं रक्षंदा
रक्षंदा राशिद जम्मू के तालाब खटिकन इलाके की रहने वाली हैं. उनके पति शेख जहूर अहमद और 4 बच्चे भारतीय नागरिक हैं और जम्मू-कश्मीर में रहते हैं. 29 अप्रैल को उन्हें अटारी-वाघा बॉर्डर के रास्ते पाकिस्तान भेज दिया गया था, जब पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत सरकार ने सभी पाकिस्तानी नागरिकों के वीजा रद्द कर दिए थे.
अदालत में चली लंबी लड़ाई, केंद्र ने दिखाई नरमी
30 जुलाई को जम्मू-कश्मीर और लद्दाख हाई कोर्ट में इस मामले की सुनवाई हुई. भारत सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कोर्ट को बताया कि मामले की विशेष परिस्थितियों को देखते हुए सरकार ने रक्षंदा राशिद को वीजिटर वीजा देने का सैद्धांतिक निर्णय लिया है.
उन्होंने यह भी कहा कि अगर जरूरी समझा गया, तो रक्षंदा अपने लंबित दीर्घकालिक वीजा (LTV) और नागरिकता के आवेदन भी आगे बढ़ा सकती हैं.
कोर्ट ने दिया था केंद्र को ‘एसओएस’ आदेश
इससे पहले 6 जून को जज राहुल भारती ने केंद्र सरकार को निर्देश दिया था कि रक्षंदा को भारत वापस लाया जाए. उन्होंने कहा था कि जब महिला के पास वैध LTV था, तो बिना पूरी जांच के उन्हें देश से बाहर भेज देना उचित नहीं था.
जज भारती ने कहा था, ‘मानव अधिकार, मानव जीवन का सबसे पवित्र तत्व हैं.’ उन्होंने यह भी कहा कि अदालतों को कभी-कभी मामले के तकनीकी पक्ष से हटकर मानवीय आधार पर भी फैसला लेना पड़ता है.
रक्षंदा बीमार, पाकिस्तान में नहीं है कोई सहारा
रक्षंदा के पति ने अदालत में बताया था कि उनकी पत्नी कई बीमारियों से जूझ रही हैं और पाकिस्तान में उनकी देखभाल करने वाला कोई नहीं है. वह केवल 50,000 रुपये लेकर गई थीं, जो अब खत्म हो गए हैं. वहां जीवन यापन करना उनके लिए बहुत मुश्किल हो गया है.
14 दिन के वीजा पर आई थीं, सालों से रह रही थीं भारत में
अदालती दस्तावेजों के मुताबिक, रक्षंदा 1990 में 14 दिन के वीजिटर वीजा पर भारत आई थीं. इसके बाद उन्हें दीर्घकालिक वीजा मिल गया, जो हर साल नवीनीकृत होता रहा. 4 जनवरी 2025 को उन्होंने वीजा के नवीनीकरण के लिए आवेदन किया था, लेकिन सरकार ने उसे मंज़ूर नहीं किया.
रक्षंदा के वकीलों अंकुर शर्मा और हिमानी खजूरिया ने सरकार के इस फैसले का स्वागत किया और कहा कि वे सुझाए गए रास्ते से सहमत हैं. परिवार अब राहत की सांस ले रहा है और उम्मीद कर रहा है कि रक्षंदा जल्द अपने घर लौट आएंगी.
कोर्ट ने कहा- ये फैसला मिसाल नहीं बनेगा
अदालत ने अपने आदेश में यह भी साफ किया कि यह फैसला मौजूदा मामले की विशेष परिस्थितियों को देखते हुए लिया गया है और इसे किसी अन्य मामले में मिसाल नहीं माना जाएगा.
पहलगाम हमले के बाद डिपोर्ट हुईं 63 वर्षीय रक्षंदा को मिलेगा यह वीजा, परिवार के पास लौटेंगी भारत
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