पहली बार किए छोटे अपराध पर जेल नहीं, नई सजा! दिल्ली सरकार का बड़ा फैसला जानकर आप चौंक जाएंगे

by Carbonmedia
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Delhi News: दिल्ली सरकार ने मामूली अपराधों में पकड़े गए दोषियों को एक अलग तरह की सजा देने का फैसला किया है. इस फैसले के तहत जुलाई 2024 से पहली बार मामूली अपराधों में पकड़े गए दोषियों को जेल या जुर्माने की बजाय सामुदायिक सेवा की सजा दी जाएगी.
यह नीति अपराधियों में मानसिक सुधार को बढ़ावा देने और गलत सोच से आगे बढ़कर पुनर्वास की दिशा में एक प्रयास मानी जा रही है. द हिंदूस्तान टाइम्स के मुताबिक, इसमें अवैध ठेला लगाना, सरकारी दफ्तर में जबरन घुसना, सार्वजनिक जगहों पर अभद्रता, ₹5000 तक की छोटी चोरी, मानहानि और सार्वजनिक उपद्रव जैसे अपराध शामिल हैं.
सामुदायिक सेवा में किस तरह की सजा दी जाएगी?नई नीति के तहत अदालतें अब ऐसे मामलों में दोषियों को स्वच्छता कार्य, जनसेवा से जुड़े कार्यों जैसे सामाजिक उपयोगी कार्यों में लगाने का आदेश दे सकेंगी. पहले सामुदायिक सेवा का प्रावधान केवल अदालतों के विवेक पर आधारित था, लेकिन अब अभियोजन पक्ष भी इसे दंड के रूप में अपनाएगा. इस बदलाव को भारतीय न्याय संहिता (BNS), 2023 और भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS), 2023 के तहत वैधानिक रूप से मान्यता दी गई है. दिल्ली सरकार ने इसके लिए हाल ही में अधिसूचना भी जारी कर दी है.
क्या होगी सामुदायिक सेवा की अवधि?एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि सामुदायिक सेवा की अवधि अपराध की गंभीरता के आधार पर 40 घंटे से 240 घंटे तक हो सकती है. इसकी निगरानी के लिए विशेष तंत्र बनाया जाएगा ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि दोषी दिए गए कार्यों को समय पर और ठीक से पूरा करें. इसका उद्देश्य जेलों का बोझ घटाना, अदालतों को विकल्प देना और दोषियों में समाज के प्रति जिम्मेदारी की भावना विकसित करना है. उन्होंने बताया कि 2023 में द्वारका में इसका एक पायलट प्रोजेक्ट किया गया था जिसमें चार मामलों को सफलतापूर्वक सामुदायिक सेवा से हल किया गया.
कानूनी विशेषज्ञों का मानना है कि यह कदम आपराधिक न्याय व्यवस्था को एक मानवीय और सुधारात्मक दिशा में ले जाता है. दिल्ली हाई कोर्ट के वरिष्ठ वकील अमरेंद्र चौधरी ने कहा कि समाज आपसी सहयोग से चलता है और कानून समाज का आईना होता है. सामुदायिक सेवा सजा का ऐसा तरीका है जिसमें अपराधी समाज के लिए बिना वेतन काम करता है, जिससे उसे अपनी गलती का अहसास होता है और वह समाज की मुख्यधारा में वापस लौटता है. 

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