पहली बार जुलाई महीने में खुला बीसलपुर डैम का गेट, निचले इलाकों को किया गया अलर्ट

by Carbonmedia
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राजस्थान के टोंक जिले में स्थित बीसलपुर डैम का गेट आज खोल दिया गया है. बारिश के पानी की वजह से यह बांध पूरी तरह भर गया था और ओवरफ्लो हो रहा था. डैम का गेट शाम चार बजकर छप्पन मिनट पर खोला गया. 
फिलहाल बांध का एक गेट ही खोला गया है. बांध का गेट खोले जाने से पहले ही लगातार सायरन बजाकर और मुनादी करा कर निचले इलाकों को खाली करा दिया गया है. डैम का गेट खोले जाने के नजारे को देखने के लिए बड़ी संख्या में लोग पहुंचे हुए थे और वहां मेले सरीखा माहौल था.
पूजा अर्चना के बाद खोला गया गेट
डैम का गेट खोले जाने से पहले परंपरागत तौर पर पूजा अर्चना की गई. जिला कलेक्टर कल्पना अग्रवाल और देवली सीट से बीजेपी के विधायक राजेंद्र गुर्जर ने पूजा अर्चना करने के बाद बटन दबाकर डैम का गेट खोला. फिलहाल डैम के 18 में से सिर्फ 10 नंबर गेट को ही खोला गया है. डैम का गेट खुलते ही किसी ने ताली बजाकर खुशी मनाई तो किसी ने जयकारे लगाकर. इस मौके पर कुछ लोगों ने मिठाइयां भी बांटीं. 
बांध से जयपुर और अजमेर को मिलता पानी
दोपहर 12 बजे से ही डैम के आसपास के इलाके में लगातार सायरन बजाए जा रहे थे. सायरन बजाकर लोगों को निचले इलाकों से हटने को लेकर अलर्ट किया जा रहा था. राजस्थान में राजधानी जयपुर के साथ ही अजमेर और टोंक जैसे शहरों में पानी इसी बीसलपुर डैम से ही सप्लाई होता है. 
बांध का निर्माण पूरा होने के बाद जयपुर और अजमेर जैसे बड़े शहरों में पीने के पानी की समस्या कम हुई है. इसके अलावा आसपास के तमाम जिलों में लोगों को अब सिंचाई के लिए भी पर्याप्त पानी मिल जाता है.
पहली बार जुलाई में खुले गेट
यह बांध तकरीबन 40 मीटर ऊंचा और 574 मीटर लंबा है. यह पहली बार है, जब बांध के गेट जुलाई महीने में ही खोले गए हैं. इससे पहले बांध के गेट किसी भी साल 18 अगस्त से पहले नहीं खोले गए थे. बीसलपुर बांध के गेट आठवीं बार खुले हैं. 
बांध के गेट को सबसे पहले 18 अगस्त 2004 में खोला गया था. इसके बाद 25 अगस्त 2006, 19 अगस्त 2014, 10 अगस्त 2016, 19 अगस्त 2019, 26 अगस्त 2022 और 6 सितंबर 2024 को खोला गया था.
556 करोड़ की लागत से हुआ था तैयार
बांध के कुल 18 गेट हैं. इस डैम का निर्माण 556 करोड़ रुपये की लागत से कराया गया था. बांध से निकलने वाला पानी बनास नदी में छोड़ा जा रहा है. इसमें बनास नदी और बारिश का पानी ही स्टोर किया जाता है. बनास नदी पहले ही उफान पर है. 
बांध का पानी कुछ निचले इलाकों में तबाही मचा सकता है. हालांकि प्रशासन ने पहले ही सभी एहतियाती कदम उठा लेने का दावा किया है. 

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