Pakistan ICBM: एक नई अंतरराष्ट्रीय रिपोर्ट में दावा किया गया है कि पाकिस्तान एक ऐसा परमाणु इंटरकॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल (ICBM) विकसित कर रहा है जो सीधे अमेरिका की धरती तक पहुंच सकता है. यह खुलासा प्रतिष्ठित विदेशी पत्रिका Foreign Affairs ने अमेरिकी खुफिया सूत्रों के हवाले से किया है.
रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिका इस बात को लेकर बेहद चिंतित है कि पाकिस्तान की परमाणु क्षमता लगातार बढ़ रही है. अगर पाकिस्तान ICBM जैसी लंबी दूरी की मिसाइल हासिल कर लेता है, तो अमेरिका को उसे “परमाणु शत्रु” की तरह देखना पड़ेगा.
पाकिस्तान की नई मिसाइल
हालांकि पाकिस्तान अब तक यह कहता आया है कि उसका परमाणु कार्यक्रम सिर्फ भारत को जवाब देने के लिए है क्योंकि भारत की पारंपरिक सेना पाकिस्तान से काफी मजबूत है. लेकिन अमेरिकी एजेंसियों का मानना है कि पाकिस्तान का असली इरादा अब अमेरिका तक मार करने की ताकत हासिल करना है.
रिपोर्ट में कहा गया है कि इस कदम के ज़रिए पाकिस्तान अमेरिका को यह संदेश देना चाहता है कि अगर भविष्य में भारत-पाक युद्ध की स्थिति बनती है तो अमेरिका उसमें दखल देने या पाकिस्तान के परमाणु हथियारों को निशाना बनाने से पहले सौ बार सोचे.
अमेरिका की बढ़ी चिंता
अमेरिकी अधिकारियों के अनुसार, अगर पाकिस्तान ने ICBM बना लिया, तो अमेरिका को मजबूरी में उसे एक ऐसे परमाणु प्रतिद्वंद्वी के रूप में देखना होगा, जो उसकी धरती तक हमला करने में सक्षम है. अब तक अमेरिका किसी भी ऐसे देश को दोस्त नहीं मानता जिसके पास अमेरिका तक मार करने वाले ICBM हों.
यह रिपोर्ट उस वक्त आई है जब अमेरिका पहले ही रूस और चीन की बढ़ती परमाणु साझेदारी को लेकर तनाव में है. ऊपर से उत्तर कोरिया, ईरान और अब पाकिस्तान जैसे संभावित खतरों ने अमेरिका की रणनीतिक चुनौतियों को और बढ़ा दिया है.
पाकिस्तान का परमाणु कार्यक्रम 1970 के दशक की शुरुआत में भारत के पहले परमाणु परीक्षण (1974) के बाद शुरू हुआ था. 1998 में छह परमाणु परीक्षण करके उसने खुद को परमाणु संपन्न राष्ट्र घोषित कर दिया. अंतरराष्ट्रीय आलोचना के बावजूद पाकिस्तान अपने रुख पर अडिग रहा है और अपने परमाणु हथियारों को भारत के खिलाफ एक अहम ‘डिटरेंट’ यानी रोकथाम की ताकत मानता है, खासकर कश्मीर मुद्दे को लेकर जारी तनाव के बीच.
पाकिस्तान के पास है 165 परमाणु हथियार
वर्तमान में, पाकिस्तान के पास लगभग 165 परमाणु हथियार होने का अनुमान है. लेकिन वह आज तक न तो परमाणु अप्रसार संधि (NPT) और न ही परमाणु परीक्षण पर प्रतिबंध लगाने वाली संधि (CTBT) पर हस्ताक्षर कर पाया है जिससे साफ है कि वह अपने परमाणु कार्यक्रम को पूरी तरह राष्ट्रीय संप्रभुता से जोड़कर देखता है.
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