पानीपत जिले के मॉडल टाउन की 16 वर्षीय असमी आज की युवा पीढ़ी के लिए एक प्रेरणा स्रोत बन गई हैं। जहां अधिकांश किशोर मोबाइल और सोशल मीडिया में व्यस्त रहते हैं, वहीं असमी अपनी मेहनत और लगन से नई मिसाल कायम कर रही है। असमी ने अपनी पढ़ाई के साथ-साथ इलाहाबाद यूनिवर्सिटी से 4 वर्षीय कथक नृत्य कोर्स भी कर रही है। शिक्षा किताबी ज्ञान तक सीमित नहीं उन्होंने दसवीं कक्षा में 93.2% अंक प्राप्त कर यह सिद्ध कर दिया है कि दृढ़ निश्चय के साथ पढ़ाई और कला में संतुलन बनाया जा सकता है। असमी का मानना है कि शिक्षा केवल किताबी ज्ञान तक सीमित नहीं है। उनके अनुसार जब तक कोई बच्चा अपनी रचनात्मक कला अभिव्यक्ति और आत्मविश्वास को विकसित नहीं करता, तब तक उसकी शिक्षा अधूरी है। कथक नृत्य अनुशासन का सशक्त माध्यम उन्हें पारंपरिक भारतीय कथक नृत्य ने विशेष रूप से आकर्षित किया है। असमी के अनुसार कथक नृत्य केवल एक नृत्य नहीं, बल्कि अनुशासन, कला और भावनाओं के माध्यम से आत्म-अभिव्यक्ति का सशक्त माध्यम है। जिला संरक्षण अधिकारी रजनी ने कहा कि असमी जैसी बच्चियां समाज के लिए प्रेरणा स्रोत हैं। क्लासिकल डांस में उत्कृष्ट प्रदर्शन करना कठिन उन्होंने बताया कि बच्चों को सही मार्गदर्शन और सहयोग मिले, तो वे पढ़ाई और कला में नए आयाम स्थापित कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि क्लासिकल डांस के साथ-साथ पढ़ाई में उत्कृष्ट प्रदर्शन करना कठिन होता है। असमी ने भविष्य की पीढ़ी को मार्गदर्शन देते हुए कहा कि अपने अंदर विश्वास बनाए रखें, तो हर मुकाम हासिल किया जा सकता है।
पानीपत की असमी युवा पीढ़ी के लिए बनी प्रेरणा:10वीं में हासिल किए 93.2% अंक, कथक नृत्य में भी निपुण
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