पानीपत नगर निगम में प्रॉपर्टी आईडी बदलने का खेल:पंचायत की जमीन का भी कर दिया रजिस्ट्रेशन; बर्खास्त की गई महिला पीए का बड़ा गिरोह

by Carbonmedia
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पानीपत नगर निगम की प्रॉपर्टी टैक्स शाखा में टैक्स राशि में 4.50 करोड़ की गड़बड़ी के मामले में जेसी की पीए बर्खास्त की गई मामले की जांच अब तेज हो गई है। इसकी जांच निगम के वरिष्ठ अधिकारियों की ज्वाइंट टीम कर रही है। उनकी जांच में सामने आया कि सिर्फ टैक्स चोरी ही नहीं, बल्कि प्रॉपर्टी आईडी में भी फेरबदल का बड़ा खेल निगम में चल रहा है। घोटालेबाजों का गठजोड़ इतना मजबूत था कि वे एक ही तारीख में दो-तीन बार प्रॉपर्टी को लिंक या डीलिंक कर देते थे। यहां तक ​​कि मालिकाना हक परिवर्तन के एक मामले में भी घोटालेबाजों ने कचरौली गांव की एक प्रॉपर्टी के रजिस्ट्रेशन का दस्तावेज जमा करवा दिया, जबकि वह गांव नगर निगम की सीमा में नहीं था। अब नगर निगम आयुक्त ने पुलिस केस दर्ज करने और इस केस को विजिलेंस ब्यूरो को भेजने की सिफारिश की है। कई विंग के विशेषज्ञ कर रहे जांच उल्लेखनीय है कि पानीपत नगर निगम की प्रॉपर्टी टैक्स शाखा में 4.5 करोड़ रुपए का घोटाला सामने आया है। संयुक्त आयुक्त की आधिकारिक आईडी का उनके निजी सहायक (पीए) कुसुम द्वारा प्रॉपर्टी आईडी में सुधार, प्रॉपर्टी के स्वामित्व में परिवर्तन, प्रॉपर्टी की श्रेणियों में परिवर्तन, प्रॉपर्टी टैक्स में सुधार, नो-ड्यूज सर्टिफिकेट (एनडीसी) जारी करने और प्रॉपर्टी से संबंधित अन्य कार्यों में गलत तरीके से इस्तेमाल किया जा रहा था। नगर निगम आयुक्त डॉ. पंकज यादव ने तुरंत अतिरिक्त आयुक्त विवेक चौधरी, संयुक्त आयुक्त मणि त्यागी और विभिन्न विंगों के विशेषज्ञ सदस्यों के नेतृत्व में एक विशेष टीम का गठन किया है। निगम-तहसील कार्यालयों में एजेंट सक्रिय, मिलीभगत के बिना संभव नहीं जांच के दौरान यह बात सामने आई कि ज्वाइंट कमिश्नर संजय कुमार ने केवल 74 फाइलों को ही आधिकारिक तौर पर मंजूरी दी है, जबकि महिला पीए ने कंप्यूटर में कुल 400 प्रविष्टियां की हैं। 74 आधिकारिक फाइलों को छोड़कर, पीए द्वारा की गई अन्य सभी प्रविष्टियां किसी भी दस्तावेज पर बिना किसी आधिकारिक अनुमति के की गई थीं, क्योंकि इन प्रविष्टियों का एमसी में कोई रिकॉर्ड नहीं था। सूत्रों ने बताया कि जांच कमेटी को स्पष्ट रूप से संदेह है कि यह बड़ा घोटाला अन्य शाखाओं के अधिकारियों और एमसी व तहसील कार्यालय में सक्रिय एजेंटों की मिलीभगत के बिना संभव नहीं हो सकता है और इस मामले की भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) से गहन जांच कराई जानी चाहिए। फर्जी दस्तावेजों के आधार पर चल रहा खेल जांच रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि संपत्तियों की लिंक-डीलिंक एंट्री सबसे ज्यादा 24 अप्रैल और 5 मई को की गई। सूत्रों के अनुसार एक व्यक्ति ने नगर निगम में मालिकाना हक बदलने के लिए आवेदन किया और फर्जी दस्तावेजों के आधार पर अवैध एंट्री करके उसका मालिकाना हक बदल दिया गया। क्योंकि जमा किए गए दस्तावेज कचरौली गांव की संपत्ति के थे, जबकि गांव नगर निगम की सीमा में नहीं था। वहां पंचायत थी। इसके अलावा, संपत्तियों के लिंक-डीलिंक का खेल करके दत्ता कॉलोनी में मंजू के नाम पर 147 वर्ग गज का एक अवैध प्लॉट संयुक्त आयुक्त के आधिकारिक आईडी का दुरुपयोग करके 24 अप्रैल को ही अधिकृत कर दिया गया। कमिशनर बोलें- शाखा की व्यवस्था बदली नगर निगम आयुक्त डॉ. पंकज यादव ने कहा कि यह एक बड़ा घोटाला है और हमने पुलिस विभाग को आपराधिक मामला दर्ज करने और मामले की गहन जांच करने के लिए लिखा है। आयुक्त ने कहा, हमने कर शाखा में भी व्यवस्था बदल दी है और एक वार्ड के लिए एक ही व्यक्ति को नियुक्त किया है और इस तरह के सभी भ्रष्टाचार के मामलों को रोकने के लिए उन पर चार विशेष जांचकर्ता भी नियुक्त किए हैं। मैंने स्पष्ट रूप से निर्देश दिया है कि यदि किसी भी कर्मचारी पर 10 से अधिक मामले लंबित पाए गए तो सख्त कार्रवाई की जाएगी। आयुक्त ने कहा कि इसके अलावा शाखा से दैनिक आधार पर रिपोर्ट भी मांगी जा रही है।

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