उत्तर प्रदेश के औरैया स्थित अछल्दा थाना क्षेत्र के ग्राम खजुरिया में एक पांच वर्षीय बच्ची डीएफसी लाइन से कटने जा पहुंची. आस पास मौजूद लोगों ने बच्ची को देख जब हाल जाना तो सुनकर दंग रह गए. बच्ची ने अपना नाम रोशनी और पिता का नाम संतोष बताते हुए कहा कि उसके पिता उसके साथ मारपीट करते हैं. भरपेट खाना भी नहीं देते हैं, न ही वो मुझे स्कूल भेजते हैं. यहाँ तक की जब वह बाहर जाते हैं तो घर में बंद करके मुझे छोड़ जाते हैं.
रोशनी ने बताया कि इस घटना के चलते वह परेशान है और वह रेलवे ट्रेक पर कटने के लिए आई है. इसके बाद स्थानीय निवासी द्वारा डायल 112 को सूचना दी गई. पुलिस बच्ची को थाने लेकर पहुंची और बच्ची के पिता को भी बुलवाया गया. जहां पिता ने अपनी आर्थिक स्थिति का हवाला देते हुए अपनी मजबूरियां बयां की. वहीं बच्ची के पिता के अनुसार, रोशनी दूसरे नंबर की बेटी है उनके पांच बच्चे हैं दो बेटे और तीन बेटियां है. पालन पोषण करने में वह असमर्थ है.
स्थानीय व्यक्ति ने बच्ची को लिया गोदवहीं थाने में मौजूद स्थानीय निवासी चंदन जो कि राजमिस्त्री का काम करते हैं, उन्होंने बच्ची को गोद लेने की इच्छा जताई. हालांकि पुलिस ने इस तरह की कोई भी कानूनी प्रक्रिया न होने का हवाला देते हुए इसे दरकिनार कर दिया. साथ ही बच्ची के पिता को हिदायत दी. जिसके बाद चंदन और बच्ची के पिता संतोष ने लिखित रूप से बच्ची को देने व अपनाने का अनुबंध कर लिया. वहीं जब मीडिया द्वारा इस पूरे घटना क्रम में बच्ची के पिता से बात करनी चाही तो उन्होंने इंकार कर दिया.
चंदन राजमिस्त्री (बच्ची को गोद लेने वाला व्यक्ति) ने एबीपी लाइव को बताया कि उनके एक बच्चा है. वह इस पूरी घटना क्रम को शुरुआत से देख रहे थे. बच्ची की लाचारी और उसके भविष्य को देखते हुए उनका हृदय पसीजा जिसके बाद उन्होंने बच्ची को गोद लेने की इच्छा जताई है. गोद लेने के दौरान बच्ची के पिता व अन्य लोगों की सहमति भी शामिल है. हालांकि इस मामले में पर सीओ विधूना से भी बातचीत की कोशिश की गई, मगर उनसे संपर्क नहीं हो सका.
बाल कल्याण समिति ने बच्ची को सौपने को बताया गलतवहीं बच्ची को बिना कानूनी प्रक्रिया पूरी किये बिना दूसरे व्यक्ति को सौंपे जाने के मामले पर बाल कल्याण समिति की ओर से बयान सामने आया है. संस्था की तरफ से कहा गया है कि कागज पर लिखकर नाबालिग को दूसरे को देना गलत है. बाल कल्याण समिति की संस्तुति के बिना बच्ची को दूसरे को नहीं दिया जा सकता है. उसे देने से पहले कानूनी प्रक्रिया अपनाना जरूरी है. शिकायत आने पर मामले की जांच कर जरूरी वैधानिक कार्रवाई की जाएगी.
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