जम्मू कश्मीर में 13 जुलाई को शहीदी दिवस को लेकर प्रदेश में सियासी पारा गरम है. इस बीच श्रीनगर के शहीदों के कब्रिस्तान में दीवार फांदने और पुलिस से उलझने का वीडियो वायरल होने के कुछ घंटों बाद, मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने कहा कि अगर बीजेपी को लगता है कि हमारी सरकार को कमजोर और बेबस दिखाने से घाटी में उन्हें राजनीतिक रूप से फायदा होगा, तो वह गलत है. एनडीटीव से बातचीत में सीएम नेता ने दिल्ली से तुलना की और जोर देकर कहा कि बीजेपी को कश्मीर में भी ऐसे ही रिजल्ट की उम्मीद नहीं करनी चाहिए.
13 जुलाई, 1931 को महाराजा हरि सिंह की डोगरा सेना द्वारा मारे गए प्रदर्शनकारियों के स्मारक पर जाने से मुख्यमंत्री और उनके सहयोगियों को रोकने की कोशिश की गई थी. इस पर सीएम अब्दुल्ला ने कहा, “बात यह नहीं है कि मेरे या मेरे मंत्रिमंडल के सहयोगियों के साथ क्या हुआ? बात यह है कि आप जम्मू-कश्मीर के लोगों को लोकतंत्र के मतलब के बारे में व्यापक संदेश दे रहे हैं. यह ठीक वैसा ही है जैसे आप जम्मू-कश्मीर के लोगों से कह रहे हैं कि उनकी आवाज, पसंद, भावनाएं और संवेदनाएं मायने नहीं रखतीं.”
मेरे साथ हाथापाई की गई- उमर अब्दुल्ला
एक्स पर एक वीडियो शेयर करते हुए अब्दुल्ला ने कहा, “मेरे साथ हाथापाई की गई, लेकिन मैं ज़्यादा कठोर स्वभाव का हूं और मुझे रोका नहीं जा सकता था. मैं कोई गैरकानूनी या अवैध काम नहीं कर रहा था. इन ‘कानून के रक्षकों’ को यह बताना होगा कि वे किस कानून के तहत हमें फातिहा पढ़ने से रोकने की कोशिश कर रहे थे.”
This is the physical grappling I was subjected to but I am made of sterner stuff & was not to be stopped. I was doing nothing unlawful or illegal. In fact these “protectors of the law” need to explain under what law they were trying to stop us from offering Fatiha pic.twitter.com/8Fj1BKNixQ
— Omar Abdullah (@OmarAbdullah) July 14, 2025
उमर अब्दुल्ला ने केंद्र को दी चेतावनी
एनडीटीवी की रिपोर्ट के मुताबिक केंद्र को चेतावनी देते हुए उन्होंने कहा, “इसलिए कल, अगर चुनाव हो और 60 फीसदी के बजाय 20 फीसदी लोग वोट देने आएं, तो कृपया इस दिन को याद रखें और किसे दोष देना है, यह भी याद रखें क्योंकि अगर आप लोकतांत्रिक रूप से चुनी गई संस्थाओं के साथ खिलवाड़ करते रहेंगे तो दिल्ली जैसे नतीजों की उम्मीद न करें.”
उमर अब्दुल्ला दिल्ली की पिछली आम आदमी पार्टी (AAP) सरकार का ज़िक्र कर रहे थे, जो इस साल की शुरुआत में हुए चुनावों में हार गई थी. मुख्यमंत्री के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान, आप नेता अरविंद केजरीवाल अक्सर शिकायत करते थे कि केंद्र ने उनकी सरकार की शक्तियों में कटौती की है और LG राज्य सरकार के कामकाज को पटरी से उतार रहे हैं. दिल्ली की तरह, अब जम्मू-कश्मीर सरकार के पास सीमित अधिकार हैं, और कानून-व्यवस्था जैसे प्रमुख विषय उपराज्यपाल मनोज सिन्हा के नियंत्रण में हैं.
‘अगर कुछ भी होता है उसके लिए हमें दोष न दें’
CM अब्दुल्ला ने कहा, “BJP में किसी को लगता है कि अगर वे हमें कमजोर साबित कर पाएंगे, तो कल कश्मीर के लोग बीजेपी को चुनेंगे? वे ऐसा नहीं करेंगे, वे किसी को भी नहीं चुनेंगे और अगर केंद्र सरकार एक सफल चुनाव के बाद यही चाहती है, तो फिर इसी तरह का व्यवहार करते रहें, लेकिन जो कुछ भी होता है उसके लिए हमें दोष न दें.”
अब्दुल्ला ने पिछले साल अक्टूबर में जम्मू कश्मीर के मुख्यमंत्री का पद संभाला था. जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा खत्म किये जाने और पूर्ववर्ती राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित किये जाने के बाद हुए पहले चुनाव में नेशनल कॉन्फ्रेंस-कांग्रेस गठबंधन को भारी जीत मिली थी.