पूर्व पीएम चंद्रशेखर में छिपा था एक उम्दा लेखक, कई किताबों समेत साप्ताहिकी का भी किया संपादन

by Carbonmedia
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Former PM Chandrashekhar Death Anniversary: भारत के आठवें प्रधानमंत्री चंद्रशेखर की आज 18वीं पुण्यतिथि है. इस अवसर पर लोग उन्हें अलग-अलग तरह से याद कर रहे हैं. उनका राजनीतिक जीवन जितना उत्कृष्ट था, उनका व्यक्तित्व भी उतनी ही खूबियों से भरा था. इनमें से एक है उनके लेखन की कला, चंद्रशेखर के भीतर एक उम्दा लेखक भी छिपा हुआ था. उन्होंने कई किताबों के अलावा साप्ताहिक का भी संपादन किया था. 
पूर्व पीएम चंद्रशेखर का जन्म 17 अप्रैल 1927 को उत्तर प्रदेश के बलिया जिले के इब्राहीमपट्टी गांव में हुआ था. उन्होंने इलाहाबाद विश्वविद्यालय से राजनीति विज्ञान में स्नातकोत्तर किया था. जून 1975 में आपातकाल के दौरान वे जेल में भी बंद रहे. खास तौर से इसी दौरान उनके भीतर छिपा लेखक जागृत हुआ. जेल में रहते उन्होंने बखूबी लेखन किया. उन्होंने ‘मेरी जेल डायरी’ नामक पुस्तक इसी लिखी थी. 
चंद्रशेखर में छिपा था उम्दा लेखकलेखन के पीछे उनका मानना था कि अपने विचारों की अभिव्यक्ति लेखन द्वारा बहुत सशक्त तरीके से किया जा सकता है। उन्होंने ‘यंग इंडिया’ नामक साप्ताहिक समाचार पत्र का संपादन-प्रकाशन पत्रकारिता का शौक पूर्ण करने के लिए किया। इसका संपादकीय स्वयं चंद्रशेखर लिखते थे, जो सारगर्भित और मर्मस्पर्शी होता था. 
चंद्रशेखर साल 1990 में कांग्रेस के समर्थन से विश्वनाथ प्रताप सिंह सरकार गिरने के बाद प्रधानमंत्री बने थे. वो 10 नवंबर 1990 से 21 जून 1991 तक प्रधानमंत्री रहे. इस बीच उनको केंद्रीय मंत्री बनने का प्रस्ताव भी आया लेकिन, उन्होंने उसे स्वीकार नही किया. वे सीधे देश के प्रधानमंत्री बने. इस दौरान चंद्रशेखर भले ही अल्प समय तक प्रधानमंत्री रहे. लेकिन, प्रधानमंत्री पद का दायित्व उन्होंने बखूबी निभाया था. 
विदेशी मुद्रा संकट को सुलझायाचंद्रशेखर की सरकार में विदेशी मुद्रा संकट होने पर स्वर्ण के रिजर्व भंडारों से यह समस्या सुलझाई गई. कुछ ही समय में स्वर्ण के रिजर्व भंडार लबालब हो गए और विदेशी मुद्रा का संतुलन भी बेहतर हो गया. जननायक चंद्रशेखर 8 बार बलिया से सांसद चुने गए. इनके दो पुत्र है बड़े पुत्र पंकज शेखर व्यवसाय से जुड़े है वही उनके छोटे पुत्र नीरज शेखर उनकी राजनीतिक विरासत संभाल रहे है. 
नीरज शेखर इस समय भाजपा से राज्यसभा सांसद है. नीरज शेखर पिछली बार भाजपा के टिकट पर बलिया से चुनाव लड़े लेकिन, वो समाजवादी पार्टी के सनातन पांडेय से चुनाव हार गए. 
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