पूर्व बिजली मंत्री रणजीत सिंह बोले:सिरसा जिले के सारे हलके सुने हो गए; बागड़ी बेल्ट ने मेरे लाड को नहीं समझा

by Carbonmedia
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पूर्व उपप्रधानमंत्री स्व.देवीलाल के बेटे एवं पूर्व बिजली मंत्री रणजीत सिंह ने रविवार को सिरसा में कार्यकर्ता सम्मेलन का आयोजन किया। इस सम्मेलन में रणजीत सिंह ने कहा कि अब तो सिरसा जिले के सारे हलके ही सुने हो गए हैं। कोई संभालता ही नहीं है। पहले कोई तकलीफ होती तो मेरी कोठी पर आ जाते थे, मेरे तीन-तीन पीए हाजिर रहते थे। पहला मंत्री था, जो सीधा फोन उठाता था। नहीं उठा पाता तो बाद में कॉल करता था। मैंने ज्यादा लाड कर लिया। बागड़ी बेल्ट ने उस लाड को समझा नहीं। अब कह रहे हैं कि गलत निर्णय हो गए। अभी चार साल बाकी है। लंबा संघर्ष है। उन्होंने कहा कि चार साल का समय बाकी है। हमें अपने को मजबूत करना चाहिए। जीवन में कभी न रुकना मेरे पिता चौधरी देवीलाल ने सिखाया है। सच्चा जननायक वही है, जिसके जीवन में संघर्ष का समय आता है। चौधरी देवीलाल की जयंती या स्मृति दिवस पर रैली करूंगा। उसमें पूरे हरियाणा से कार्यकर्ताओं को बुलाएंगे। परिवार सामने न होता तो मैं जीत जाता रणजीत सिंह ने कहा कि हमारे परिवार के लोग ही सामने नहीं होते तो मैं रानियां से विधानसभा चुनाव अच्छे वोटों से जीतता। इसके बाद कैबिनेट मंत्री बनता। कार्यकर्ताओं व लोगों के काम करवाता। चौधरी देवीलाल की पूरे देश में धाक होती थी। अब उनके परिवार को एक सीट के लिए लड़ना पड़े, तो इससे छोटी बात नहीं हो सकती। कोई ऐसा फैसला नहीं लेना, जिससे आपके व मेरे गोडे टूटे रणजीत सिंह ने कार्यकर्ताओं से कहा कि लड़ाई लड़ती रहनी चाहिए। एक तरफ एनडीए है और एक तरफ इंडिया ब्लॉक है। कई फैसले लेने बहुत टफ होते हैं। कोई ऐसा फैसला नहीं लेना चाहता कि मेरे और आपके गोडे (घुटने) टूटे। हर वर्कर को सुन रहे हैं। अगली मीटिंग मेवात में करेंगे। हर जिले में कार्यकर्ताओं से मुलाकात कर रहे हैं। निर्णय वर्कर्स को करना है। सब जगह जाकर मूड देख रहा हूं। इसके बाद सभी जिलों की इकट्‌ठी मीटिंग बुलाऊंगा। हमारे काम कोई रोक दे, ऐसी किसी अफसर में हिम्मत नहीं रणजीत सिंह ने कहा कि हमारे काम कोई रोक दे, ऐसी किसी अफसर में हिम्मत नहीं है। उन्होंने एक आईएएस का पुराना किस्सा सुनाते हुए कहा कि वह यहां सिरसा में एसडीएम था। 1982 की बात है। उसे कोई काम कहा था। मगर उसने कह दिया यह कोर्ट मैटर है, इसमें दोबारा फोन मत करना। मैंने उसका नाम रेड लाइन में लिख दिया। जब हमारी सरकार बनी तो उसके खिलाफ शिकायतें ली गई। उसकाे सस्पेंड करवा दिया। वह कोठी पर रात को 2 बजे तक खड़ा रहता था। उसे पूरा टॉर्चर किया। फिर वह कई एमएलए को लेकर आया। फिर पैर पकड़ने लगा। साल 1991 में भजनलाल सीएम बन गए तो वह उनका ओएसडी बन गया। फिर भी उसने कॉल करके कहा कि मुझसे कोई भी काम हो तो बता देना।

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