पूर्व CM हरीश रावत की फेसबुक पोस्ट बनी चर्चा का विषय, अब बीजेपी ने दी प्रतिक्रिया

by Carbonmedia
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Dehradun News: उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता हरीश रावत एक बार फिर चर्चा में हैं, इस बार वह अपने छोटे बेटे आनंद रावत को लेकर भावनात्मक अपील कर रहे हैं. उन्होंने एक फेसबुक पोस्ट के जरिए यह संकेत दिया है कि वह चाहते हैं कि आनंद उनके साथ रहें. उनके मिशन को आगे बढ़ाएं और उत्तराखंडियत की उस मशाल को थामें जिसे वे वर्षों से अपने राजनीतिक जीवन में लेकर चल रहे हैं.
पूर्व सीएम हरीश रावत ने अपनी फेसबुक पोस्ट में लिखा है पिछले कुछ दिनों से मैं प्रयास कर रहा हूँ कि आनंद मेरे साथ रहें. मैंने अपने साथ रहने के लिए उनसे आग्रह किया है, मेरे मन में यह बात बार-बार उमड़ती है कि मेरे परिवार से जो सार्वजनिक जीवन में है. उनमें से कोई व्यक्ति इस उत्तराखंडियत की मशाल को लेकर मैं चल रहा हूं, उसकी बात करे. उसके मिशन के लिए अपने को समर्पित करें, राजनीति में वह कौन सा रास्ता चुने, मैं इसकी भी बंदिश नहीं लगाऊंगा यह अलग बात है, मैं चाहूंगा कि वह रास्ता कांग्रेस का ही हो.
हरीश रावत की यह पोस्ट जहां एक ओर उनके राजनीतिक मिशन और उत्तराखंड के प्रति समर्पण को दर्शाती है. वहीं दूसरी ओर यह भी साफ करती है कि उन्हें अपने परिवार में उत्तराधिकारी की तलाश है, जो न केवल राजनीतिक रूप से उनके विचारों को आगे बढ़ा सके बल्कि उत्तराखंडी अस्मिता की उस चेतना को भी जीवित रख सके जिसके लिए वह लंबे समय से संघर्ष कर रहे हैं.
उन्होंने अपनी बेटी अनुपमा रावत का ज़िक्र करते हुए कहा कि वह हरिद्वार ग्रामीण से विधायक हैं और क्षेत्र की सेवा में इस कदर समर्पित हैं कि उन्हें परिवार और बच्चों के लिए भी समय नहीं मिल पाता. वहीं उनके बड़े बेटे वीरेंद्र रावत जो 2019 में हरिद्वार से लोकसभा चुनाव लड़ चुके हैं, देहरादून में रहकर भी हरीश रावत के राजनीतिक प्रयासों में विशेष सहयोग नहीं कर पा रहे हैं. हरीश रावत की यह पोस्ट एक ओर पारिवारिक चिंता को दर्शाती है, तो दूसरी ओर कांग्रेस पार्टी के भीतर नेतृत्व को लेकर चल रही चर्चाओं को भी हवा देती है.
हरीश रावत की पोस्ट पर बीजेपी की प्रतिक्रिया
हरीश रावत की पोस्ट के बाद भारतीय जनता पार्टी ने इस पर तीखी प्रतिक्रिया दी है, बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट ने एबीपी लाइव से बात करते हुए कहा है की हरीश रावत की जैसे जैसे उम्र बढ़ती जा रही है वैसे-वैसे अब उन्हें अपने परिवार की चिंता सताने लगी है. पहले उन्होंने अपनी बेटी को विधायक बनाया. फिर अपने बड़े बेटे को सांसद का टिकट दिलाया और अब छोटे बेटे आनंद रावत को देहरादून से राजनीति में लाना चाहते हैं.
महेंद्र भट्ट ने कांग्रेस पर परिवारवाद को लेकर बड़ा हमला करते हुए कहा. कांग्रेस हमेशा यह कहती है कि वह परिवारवाद की पार्टी नहीं है लेकिन हरीश रावत के इस कदम से स्पष्ट हो गया है कि कांग्रेस भी परिवारवाद से ग्रस्त है. पार्टी पूरी तरह हरीश रावत के दबाव में काम कर रही है. भट्ट ने इशारों में यह भी कहा कि हो सकता है हरीश रावत को अपने ही घर से खतरा महसूस हो रहा हो. शायद उन्हें लगता है कि अगर उन्होंने अपने बच्चों का साथ नहीं दिया तो वे किसी और पार्टी में न चले जाएं.
बेटे आनंद के लिए राजनीतिक मंच तैयार कर रहे रावत
बीजेपी के इस बयान से यह साफ हो गया है कि कांग्रेस में रावत परिवार की भूमिका को लेकर आने वाले समय में राजनीति और गरमाने वाली है. हरीश रावत का अपने बेटे आनंद के लिए राजनीतिक मंच तैयार करना जहां एक ओर एक अनुभवी राजनेता की सोच हो सकती है. वहीं विरोधी दल इसे परिवारवाद की परंपरा से जोड़ कर देख रहे है.
हरीश रावत के इस पोस्ट पर कांग्रेस पार्टी ने अभी तक कोई औपचारिक बयान नहीं दी है, लेकिन सूत्रों की मानें तो पार्टी के भीतर इस बात को लेकर चर्चाएं जरूर तेज हो गई हैं कि क्या आनंद रावत को 2027 के चुनाव में कोई बड़ी भूमिका दी जा सकती है. खासकर तब जब देहरादून जिले की सीटों पर कांग्रेस को नए चेहरे की तलाश है और हरीश रावत जैसे वरिष्ठ नेता के परिवार से कोई जुड़ता है, तो पार्टी को फायदा हो सकता है.
आनंद रावत खुद क्या सोचते हैं?
हालांकि यह सब इस बात पर निर्भर करेगा कि आनंद रावत खुद क्या सोचते हैं. हरीश रावत ने भी यह माना है कि उन्होंने अभी आनंद से इस बारे में बात नहीं की है. लेकिन उनके शब्दों से यह साफ है कि वह अपने पुत्र में उस राजनैतिक चेतना और प्रतिबद्धता को विकसित होते देखना चाहते हैं जो उन्होंने स्वयं जीवन भर निभाई है.
क्या आनंद रावत राजनीति में?
हरीश रावत की यह भावनात्मक अपील उत्तराखंड की राजनीति में एक नई बहस को जन्म दे रही है राजनीतिक विरासत बनाम परिवारवाद क्या आनंद रावत राजनीति में आएंगे क्या कांग्रेस उन्हें उत्तराखंडियत के इस मिशन का अगला चेहरा बनाएगी? या फिर यह कदम कांग्रेस के लिए विपक्षी हमलों का नया मुद्दा बन जाएगा? आने वाले समय में इन सवालों के जवाब उत्तराखंड की राजनीति की दिशा तय कर सकते हैं.

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