ब्लॉक बागवानी अफसर डॉ. जितेंद्र कुमार बताते हैं कि लीची को प्रोत्साहित करने को सरकार पैकिंग बक्सों पर 50 %, एक बक्से पर 40 रुपए और 500 बक्सों पर 10 हजार रुपए की सब्सिडी देती है। बागान में ऑन फार्म कोल्ड स्टोर पर 1.5 लाख की सब्सिडी दी है। किसानों को पेस्टीसाइड, स्प्रे, तुड़ाई की ट्रेनिंग के साथ निर्यातकों की किसानों के साथ बैठकें करवा रहे हैं। निर्यात के लिए सरकार से क्लीयरेंस कराएंगे। सुजानपुर लीची एस्टेट से कम कीमत पर पेस्टीसाइड उपलब्ध करवाई जा रही है। डॉ. जितेंद्र कुमार, ब्लॉक बागवानी अफसर शिवबरन तिवारी| पठानकोट पठानकोट के बाग लीची से लकदक हैं। इस बार उत्पादन बढ़कर 40 हजार मीट्रिक टन पहुंचने का अनुमान है। इसकी क्वालिटी अच्छी होने के कारण पिछले साल (12 क्विंटल) से पांच गुणा अधिक निर्यात लंदन-दुबई में करने की तैयारी की जा रही है। अगले हफ्ते मोहाली स्थित लैबोरेटरी से इसकी केमिकल फ्री जांच कराई जाएगी। यहां की लीची की दिल्ली, बेंगलुरू, मुंबई, कोलकाता, हैदराबाद, राजस्थान, हरियाणा में भी खूब डिमांड है। सरकार भी लीची की खेती को प्रोत्साहित कर रही है। पिछले साल जिले में 35 हजार मीट्रिक टन लीची का उत्पादन हुआ था। इस बार लीची बागान का क्षेत्र 300 एकड़ बढ़ गया। बागवानी विभाग के अधिकारियों के अनुसार, इस दफा बारिश होने के कारण उत्पादन 15 से 20 फीसदी बढ़ा है और क्वालिटी भी बेहतर है। किसानों से स्प्रे कम करने को कहा गया है, ताकि निर्यात करने के लिए क्वालिटी अच्छी रहे। मोहाली लैबोरेटरी की रिपोर्ट के आधार पर ही लीची के निर्यात ऑर्डर हासिल होंगे। लंदन और दुबई के निर्यातक पठानकोट के बागानों में पहुंच रहे हैं। अमृतसर के एक्सपोर्टर रोहित सरीन ने बागवानी विभाग के डिप्टी डायरेक्टर डॉ. जितेंद्र सिंह के साथ मुरादपुर और शरीफचक्क के बागानों का दौरा किया और किसानों से संपर्क साधा। रोहित का कहना है कि वह यहां की लीची को लंदन और दुबई निर्यात करना चाहते हैं। वहीं, बागवानी विभाग ने निर्यातकों और लीची उत्पादकों का वाट्सअप ग्रुप बनाकर जोड़ा गया है, जिसमें अधिकारियों के अलावा 300 लोग जुड़े हैं। इसमें सेल, परचेज के बारे में भी विचार हो जाता है और मीटिंगें तय कर ली जाती हैं। एग्रो डेस्क | लुधियाना लुधियाना स्थित गुरु अंगद देव पशु चिकित्सा एवं पशु विज्ञान विश्वविद्यालय (गडवासू) ने बकरी पालन पर 7 दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम संचालित किया, जिसमें पंजाब के विभिन्न जिलों के 29 पुरुषों और 2 महिलाओं ने उत्साहपूर्वक हिस्सा लिया। उन्होंने इस पेशे की बारीकियां सीखीं। कार्यक्रम के समापन समारोह में विस्तार शिक्षा निदेशक डॉ. आरएस ग्रेवाल ने पशुधन आधारित व्यवसायों के माध्यम से ग्रामीण समुदायों के उत्थान के लिए विश्वविद्यालय के समर्पण को दोहराया। उन्होंने आर्थिक सशक्तीकरण और सतत विकास के साधन के रूप में बकरी पालन की क्षमता को रेखांकित किया। पाठ्यक्रम निदेशक और पशु चिकित्सा एवं पशुपालन विस्तार शिक्षा विभाग के अध्यक्ष डॉ. जसविंदर सिंह ने कार्यक्रम के व्यापक पाठ्यक्रम पर प्रकाश डाला। सैद्धांतिक अंतर्दृष्टि को व्यावहारिक प्रशिक्षण के साथ मिलाते हुए पाठ्यक्रम ने आवास, पोषण, प्रजनन, स्वास्थ्य सेवा, रोग की रोकथाम, जैव सुरक्षा, जूनोटिक खतरों और विपणन रणनीतियों जैसे महत्वपूर्ण पहलुओं को संबोधित किया। बकरी पालन में मुख्यमंत्री पुरस्कार विजेता बलदेव सिंह संधू ने अपने अनुभव और आधुनिक बकरी पालन प्रथाओं के बारे में व्यावहारिक जानकारी साझा की। इससे प्रशिक्षुओं की समझ काफी समृद्ध हुई और उनका आत्मविश्वास बढ़ा। प्रशिक्षित लोग अपने प्रमाणपत्रों के साथ।
पैकिंग बक्सों पर 50 फीसदी सब्सिडी, तकनीकी मदद भी
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