UP News: उत्तर प्रदेश में अब मानसून ने दस्तक दे दी है. बारिश से जहां तप रहे लोगों को राहत मिली है तो वहीँ कई शहरों में बारिश ने स्थानीय नगर निगम व नगर पालिकाओं की पोल खोल दी है. इसी क्रम में प्रयागराज में भी मानसून की पहली ही बारिश ने नगर निगम के तमाम दावों की सच्चाई उजागर कर दी. जहां एक तरफ शहर की सड़कों को बारिश से पहले चकाचक रखने और जलभराव से निजात दिलाने के लिए नगर निगम की ओर से तैयारियों के तमाम दावे किए गए थे, वहीं हकीकत इससे कोसों दूर नजर आई. ज्यादातर मुख्य सड़कें पूरी तरह जलमग्न हो गयीं.
महापौर उमेश चंद्र गणेश केसरवानी द्वारा दावा किया गया था कि इस बार मानसून से पहले ही नगर निगम ने पूरी तैयारी कर ली है और नालों की सफाई पूरी कर दी गई है, लेकिन पहली बारिश ने इन दावों की हकीकत सामने ला दी. शहर के कई हिस्सों में जलभराव की गंभीर स्थिति बनी रही, जिससे यातायात प्रभावित हुआ और लोगों को घंटों जाम में फंसे रहना पड़ा.
नालों की सफाई के लिए 10 करोड़ का खर्च हुए थे
महापौर उमेश चंद्र गणेश केसरवानी द्वारा बताया गया कि नगर निगम द्वारा 145 बड़े नालों और 639 छोटे नालों की सफाई के लिए 10 करोड़ रुपये का बजट तय किया गया था. मगर बारिश के बाद सड़कों पर जमा पानी और जगह-जगह भरे कचरे ने यह साफ कर दिया कि न तो सफाई समय पर हुई और न ही निकासी की कोई मजबूत व्यवस्था की गई.
इन इलाकों का बुरा हाल
करेली, कटरा, सुलेमसराय, , स्टेशन रोड आलापुर,झूंसी,और सिविल लाइंस जैसे इलाकों में सड़कों पर पानी भर गया. कुछ स्थानों पर तो पानी इतना भर गया कि सड़कें तालाब जैसी नजर आने लगीं. इससे पैदल चलने वालों के साथ-साथ दोपहिया और चारपहिया वाहन चालकों को भारी परेशानी झेलनी पड़ी.
स्थानीय लोगों का आरोप है कि मानसून से पहले सिर्फ खानापूर्ति की गई और धरातल पर काम न के बराबर हुआ. नगर निगम की लापरवाही के चलते जनता को अब बारिश के हर दिन परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है.
प्रयागराज में पहली बारिश ने खोली नगर निगम की पोल, जलभराव ने बढ़ाई लोगों की मुसीबत
3