प्रेगनेंसी की जानकारी नहीं देने वाली महिलाओं को नोटिस:7 जिलों की 1700 गर्भवतियों से जवाब मांगा; नहीं देने पर कोई कार्रवाई

by Carbonmedia
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हरियाणा में समय पर प्रसवपूर्व देखभाल (ANC) रजिस्ट्रेशन नहीं कराने वाली गर्भवती महिलाओं को लेकर स्वास्थ्य विभाग सख्त हो गया है। विभाग ने ऐसी महिलाओं को अब शोकाज नोटिस जारी करने की कार्रवाई शुरू कर दी है। स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने कम लिंगानुपात जिले करनाल, गुरुग्राम, रेवाड़ी, चरखी दादरी, रोहतक, पानीपत, और महेंद्रगढ़ में करीब 1700 गर्भवती महिलाओं को नोटिस जारी कर कारण पूछा है। अकेले करनाल जिले में ही लगभग 200 गर्भवती महिलाओं को कारण बताओ नोटिस जारी किया, ये वो महिलाएं हैं जिन्होंने गर्भवती होने के बाद अनिवार्य 10 सप्ताह के समय के भीतर अपनी गर्भावस्था का रजिस्ट्रेशन नहीं कराया है। गर्भधारण के 10 महीने में रजिस्ट्रेशन जरूरी स्वास्थ्य अधिकारियों के अनुसार, स्वास्थ्य विभाग के दिशा-निर्देशों में कहा गया है कि हर गर्भवती महिला को गर्भधारण के 10 सप्ताह के भीतर अपना नाम एएनएम कार्यकर्ताओं के पास पंजीकृत करवाना होगा। विभाग द्वारा हाल ही में की गई समीक्षा में पता चला है कि कई मामलों की सूचना देरी से दी गई, जिसके कारण संबंधित महिलाओं को नोटिस जारी किए गए। जवाब नहीं देने पर होगी प्रशासनिक कार्रवाई इसके अतिरिक्त, संबंधित एएनएम को लापरवाही के लिए नोटिस जारी किए गए, क्योंकि वे गर्भवती महिलाओं का समय पर पंजीकरण सुनिश्चित करने में विफल रहीं। स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने बताया कि जिन महिलाओं को नोटिस मिला है, उन्हें वैध स्पष्टीकरण के साथ सिविल सर्जन के कार्यालय में रिपोर्ट करना होगा। ऐसा न करने पर आगे की प्रशासनिक कार्रवाई हो सकती है। अभी 1 हजार बेटों पर 911 बेटियां ​​​​​​​हाल ही में चंडीगढ़ में स्वास्थ्य विभाग के एसीएस सुधीर राजपाल की अध्यक्षता में हुई रिव्यू मीटिंग में डॉ. कुलदीप सिंह ने बताया था कि गांव के अनुसार लिंगानुपात (2019 से मार्च 2025 तक) संकलित किया गया है और कम लिंगानुपात वाले गांवों पर विशेष ध्यान दिया जाएगा। एसटीएफ के संयोजक डॉ. वीरेंद्र यादव ने बताया कि नागरिक पंजीकरण प्रणाली (सीआरएस) पोर्टल के अनुसार 22 अप्रैल, 2025 तक राज्य का लिंगानुपात 911 है। 481 ऐसे गांव, जहां 700 से कम लिंगानुपात ​​​​​​​हरियाणा के स्वास्थ्य विभाग ने ऐसे 481 गांवों की पहचान की है, जिनका लिंगानुपात 700 से कम है। खास बात यह है कि इनमें अकेले अंबाला और यमुनानगर के 107 गांव शामिल हैं। दरअसल, कुछ दिन पहले ही स्वास्थ्य विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव (ACS) सुधीर राजपाल की अध्यक्षता में एसटीएफ का गठन किया गया था। एसटीएफ के गठन के बाद ही ऐसे गांवों की रिपोर्ट बनाई गई, जहां लिंगानुपात कम है।

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