‘प्रॉपर्टी बेचने की सलाह देने वाली ED कौन होती है?’, नेशनल हेराल्ड मामले पर पवन खेड़ा की दो टूक

by Carbonmedia
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National Herald case: कांग्रेस नेता पवन खेड़ा ने शनिवार को कहा कि नेशनल हेराल्ड मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के समक्ष उन्होंने कांग्रेस की ओर से पक्ष रखा. उन्होंने कहा कि इस बार ईडी से साफ कहा गया कि अगर कर्ज चुकाने के लिए संपत्तियां नहीं बेची गईं तो ईडी उन्हें ऐसा करने की सलाह देने वाली कौन होती है? खेड़ा ने कहा, ‘हम कोई महाजनी कारोबार नहीं करते. हमने ब्याज मुक्त कर्ज इसीलिए दिया था ताकि अखबार के जरिए विचारधारा को आगे बढ़ाया जा सके.’
ईडी को कांग्रेस की दो-टूकपवन खेड़ा ने कहा कि अगर लोन चुकता नहीं हो पाया तो ईडी यह सुझाव नहीं दे सकती कि संपत्तियां बेच दी जाएं. कांग्रेस का तर्क है कि अखबार को पुनर्जीवित करने के लिए उन्होंने एक गैर-लाभकारी कंपनी बनाई. साथ ही ईडी से मांग की गई है कि जब्त दस्तावेजों को सार्वजनिक रिकॉर्ड पर लाया जाए.
सुप्रिया श्रीनेत और सिंघवी ने ईडी पर साधा निशानाइससे पहले कांग्रेस प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने शुक्रवार को मामले को ‘वास्तव में अजीब’ बताया. उन्होंने कहा- यह एक ऐसा अजीब मामला है जिसमें मनी लॉन्ड्रिंग का आरोप है लेकिन इसमें पैसे का लेन-देन नहीं हुआ है. कांग्रेस पार्टी ने इसके पुनरुद्धार के लिए पैसा दिया क्योंकि AJL कोई साधारण संस्था नहीं थी, बल्कि इसकी स्थापना देश के स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान हुई थी और हम ऐसी संस्था की रक्षा करना चाहते थे.वहीं, वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने भी अपनी दलीलों की शुरुआत करते हुए कहा कि यह मामला असाधारण है, जिसमें बिना किसी संपत्ति के कथित मनी लॉन्ड्रिंग का आरोप लगाया गया है. उन्होंने कहा, ‘यंग इंडियन को एजेएल से एक इंच भी संपत्ति नहीं मिली. किसी कांग्रेस नेता को कोई पैसा नहीं मिला.’
ईडी के आरोप- 2,000 करोड़ की संपत्ति हड़पने की साजिशप्रवर्तन निदेशालय ने सोनिया गांधी, राहुल गांधी, दिवंगत मोतीलाल वोरा, ऑस्कर फर्नांडीस, सुमन दुबे, सैम पित्रोदा और यंग इंडियन पर आरोप लगाया है कि उन्होंने एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड (एजेएल) की 2,000 करोड़ रुपये से अधिक की संपत्तियों को धोखे से हड़पने की साजिश रची. ईडी का दावा है कि गांधी परिवार के पास यंग इंडियन के 76% शेयर थे और इसी के जरिए 90 करोड़ के कर्ज के बदले संपत्ति पर कब्जा किया गया. हालांकि, कांग्रेस का कहना है कि यह कदम सिर्फ एजेएल को कर्जमुक्त बनाने के लिए उठाया गया था.

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