फरीदाबाद के बीके हॉस्पिटल में फर्जी कार्डियोलॉजिस्ट का खुलासा:बिना सत्यापन के 70 से ज्यादा हार्ट सर्जरी की, तीन मरीजों की मौत

by Carbonmedia
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फरीदाबाद के बादशाह खान सिविल अस्पताल (बीके अस्पताल) में एक गंभीर लापरवाही और धोखाधड़ी का मामला सामने आया है। यहां एक फर्जी कार्डियोलॉजिस्ट डॉक्टर पंकज मोहन शर्मा ने पिछले वर्ष में जुलाई से इस वर्ष फरवरी तक लगभग 70 से 80 हार्ट सर्जरी कीं। डॉक्टर पर दूसरे के नाम और दस्तावेजों का दुरुपयोग कर नौकरी हासिल करने का आरोप है। इस घोटाले का खुलासा तब हुआ जब सर्जरी के बाद तीन मरीजों की मौत हुई और एक शिकायतकर्ता ने पूरे मामले की परतें खोलनी शुरू कीं। इस घोटाले का पर्दाफाश संजय गुप्ता नामक शिकायतकर्ता ने किया। उन्हें सूचना मिली थी कि बीके अस्पताल के मेडिट्रिना हार्ट सेंटर में कार्यरत डॉक्टर पंकज मोहन असली नहीं है। शैक्षणिक प्रमाणपत्रों का दुरुपयोग कर ली नौकरी जब उन्होंने इसकी तह तक जाकर दस्तावेज खंगाले, तो पता चला कि डॉक्टर ने हमनाम असली डॉक्टर पंकज मोहन के शैक्षणिक प्रमाणपत्रों का दुरुपयोग कर खुद को कार्डियोलॉजिस्ट दिखाया और बीके अस्पताल में नियुक्ति पा ली। संजय गुप्ता ने अपने स्तर पर साक्ष्य इकट्ठा किए और तीन नंबर पुलिस चौकी व सिविल सर्जन कार्यालय को शिकायत दी, लेकिन कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई। आखिरकार उन्होंने डीसीपी एनआईटी मकसूद अहमद से मुलाकात की, जिन्होंने मामले की जांच का आश्वासन दिया। अस्पताल और प्रशासन की लापरवाही यह मामला इसलिए भी गंभीर है क्योंकि हरियाणा सरकार और मेडिट्रिना हॉस्पिटल्स प्राइवेट लिमिटेड के बीच 2018 में हुए समझौते के तहत बीके अस्पताल में पीपीपी मोड पर हार्ट सेंटर शुरू किया गया था। इस एग्रीमेंट में स्पष्ट प्रावधान था कि किसी भी डॉक्टर की नियुक्ति से पहले उसका सत्यापन सिविल सर्जन (CMO) और प्रधान चिकित्सा अधिकारी (PMO) कार्यालय से कराना अनिवार्य होगा। इसके बावजूद, बिना सत्यापन के एमबीबीएस डॉ. पंकज मोहन शर्मा को कार्डियोलॉजिस्ट के रूप में नियुक्त कर दिया गया। सरकारी योजनाओं में भी धोखाधड़ी आरोप यह भी है कि फर्जी डॉक्टर ने केवल सर्जरी ही नहीं की, बल्कि बीपीएल कार्डधारकों, आरक्षित वर्गों और आयुष्मान भारत योजना के तहत फर्जी बिल लगाकर सरकारी धन का भी गबन किया। जब मामले की गहराई से जांच की गई, तो सामने आया कि आरोपी डॉक्टर को फरवरी 2024 में चुपचाप हटा दिया गया था, लेकिन तब तक वह मरीजों की जान से खिलवाड़ कर चुका था। पुलिस और प्रशासन की प्रतिक्रिया डीसीपी मकसूद अहमद ने कहा है कि शिकायत पर संज्ञान लेते हुए दस्तावेजों की बारीकी से जांच की जा रही है और जो भी तथ्य सामने आएंगे, उसके आधार पर उचित कार्रवाई की जाएगी। वहीं अस्पताल के प्रधान चिकित्सा अधिकारी डॉ. सत्येंद्र वशिष्ठ ने बताया कि पुलिस की मांग पर उन्होंने संबंधित कागजात पुलिस को सौंप दिए हैं और जांच प्रक्रिया जारी है।

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