पंजाब के फाजिल्का में एथलेटिक्स में नेशनल चैंपियन रहा 22 वर्षीय दीपक कुमार आज गन्ने के जूस की रेहड़ी लगा रहा है। नेशनल और राज्य स्तर पर पहला मुकाम हासिल करने वाला दीपक कुमार मिनी सचिवालय के बाहर गन्ने का जूस बेच रहा है l जहां उसने अपनी कामयाबी सारे मेडल लटका रखे हैं l जिस पर बाकायदा लिखा गया है कि जूस की रेहड़ी लगाना उसकी मजबूरी है l क्योंकि उसके पास रोजगार नहीं l मलाल इस बात का है कि जिंदगी में कामयाबी की इतनी दौड़ लगाने के बावजूद सरकार ने उसकी और कोई ध्यान नहीं दिया l दीपक कुमार का कहना है कि वह फाजिल्का के गांव साबुआना का रहने वाला है l दीपक ने बताया कि उसे मजबूरी में गन्ने के जूस की रेहड़ी लगानी पड़ रही है l क्योंकि नेशनल मेडल हासिल करने के बावजूद उसे नौकरी नहीं मिल पाई है l यही वजह अब वह अपनी मेहनत मजदूरी के लिए रोजाना फाजिल्का के मिनी सचिवालय के बाहर गन्ने के जूस की रेहड़ी लगा अपना रोजगार चला रहा है l मध्य प्रदेश और नागालैंड में लगा चुका दौड़ दीपक ने बताया कि मेडलों की संख्या इतनी ज्यादा है कि शायद जिंदगी के मेहनत और भागदौड़ के कई वर्षों का समय भी इसके सामने फीका है l लेकिन मायूसी इस बात की है कि जिंदगी में कामयाबी के लिए वह भोपाल, नागालैंड और पंजाब के कई जिलों में दौड़ चुका है l यही वजह है कि आज तक उसने नेशनल स्तर पर दूसरा और राज्य स्तर पर पहले स्थान में 16 मेडल हासिल किए हैं l यानी 16 बार वह पहले स्थान पर रह चुका है l इतना ही नहीं पंजाब सरकार द्वारा करवाई गई खेलों में भी लुधियाना, संगरूर, पटियाला व अन्य जगहों पर वह छह बार पहला स्थान हासिल कर चुका है l उसकी जीत के हासिल किए मेडल बताते है कि उसकी कामयाबी की ऊंचाई कितनी है l क्योंकि यह कामयाबी आज भी कई युवाओं के लिए सपना हैl सरकार की तरफ से नहीं मिली नौकरी दीपक ने बताया कि दर-दर की ठोकने खाने के बाद भी जब उसे सरकार की तरफ से नौकरी नहीं मिली तो उसे मजबूरी में जूस की रेडी लगानी पड़ रही है l जिसके लिए उसने फाजिल्का के मिनी सचिवालय की जगह को चुना हैl मिनी सचिवालय के पटवारखाने के दफ्तर में लगते गेट के पास उसके द्वारा जूस की रेहड़ी लगाने के साथ-साथ इतने वर्षों में खेलों के दौरान हासिल किए मेडल भी अपनी रेहड़ी पर लटका दिए गए l ताकि आने जाने वाले लोगों को पता चले की जूस की रेहड़ी लगाने वाला युवक कोई आम नहीं बल्कि जीत के वह मुकाम हासिल करनl चुका है l जो आम युवाओं के लिए सपना हैl हालांकि मौके पर उसके पिता चरणजीत भी मौजूद रहे l जिन्होंने कहा कि वह मेहनत मजदूरी करते हैं और अपने बच्चे के शौक के लिए उन्होंने मेहनत मजदूरी कर उसे हर मुकाम पर खेलों में भेजा l लेकिन सरकार की तरफ से नौकरी न मिलने से उनके हाथ में सिर्फ मायूसी लगी है l
फाजिल्का में गन्ने का जूस बेच रहा नेशनल चैंपियन:एथलेटिक्स में जीते 16 मेडल, रेहड़ी पर लटकाए, बोला- सरकार ने नहीं दी नौकरी
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