थोड़ा ध्यान रखकर बड़ी बीमारियों से बचा जा सकता है – बारिश के पानी में भीगने से बचें, भीगने पर तुरंत कपड़े बदलें। मच्छरदानी और मच्छर भगाने वाले प्रोडक्ट्स का इस्तेमाल करें। पानी को उबालकर या फिल्टर करके ही पिएं। हल्का, ताजा और घर का बना खाना खाएं। पैरों को सूखा रखें, गीले जूते पहनने से फंगल इंफेक्शन हो सकता है। रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने वाले फूड्स (आंवला, हल्दी, गिलोय) का सेवन करें। हर उम्र के लोगों के लिए जरूरी है कि वे इस मौसम में थोड़ी अतिरिक्त सावधानी बरतें। खासकर जो पहले से बीमार हैं या जिनकी इम्युनिटी कमजोर है, उन्हें डॉक्टर की सलाह से अपना डेली रूटीन बनाना चाहिए। बदलते मौसम में थोड़ा ध्यान रखकर बड़ी बीमारियों से बचा जा सकता है और मौसम का आनंद भी लिया जा सकता है। भास्कर न्यूज| लुधियाना। जुलाई से सितंबर तक का मानसून मौसम जहां हरियाली, ठंडक और सुहावना वातावरण लेकर आता है, वहीं यह मौसम कई तरह की बीमारियों का कारण भी बनता है। बारिश की वजह से वातावरण में नमी बढ़ जाती है, जो बैक्टीरिया और वायरस के तेजी से पनपने के लिए अनुकूल माहौल तैयार करती है। डॉक्टरों का कहना है कि इस मौसम में वायरल और बैक्टीरियल संक्रमणों के मामले सबसे अधिक देखे जाते हैं। खासकर जिन लोगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता पहले से कमजोर होती है जैसे छोटे बच्चे, बुज़ुर्ग और लंबे समय से बीमार चल रहे मरीज उन्हें इस मौसम में विशेष सतर्कता बरतनी चाहिए। मानसून में सबसे ज्यादा देखने को मिलने वाली बीमारियों में वायरल फीवर, सर्दी-खांसी, मलेरिया, डेंगू, टाइफाइड, पेट में संक्रमण, दस्त, फूड पॉइजनिंग, स्किन पर फंगल इंफेक्शन और आंखों में वायरल इंफेक्शन प्रमुख हैं। नमी के कारण कपड़े, बिस्तर और जूते चिपचिपे और सीलनयुक्त हो जाते हैं, जिससे त्वचा पर चकत्ते और खुजली जैसी समस्याएं बढ़ जाती हैं। इसके अलावा, गंदा पानी और खुले में रखा खाना इन रोगों को और अधिक फैलाता है। सड़क किनारे मिलने वाले कटे-फटे फल, तले-भुने आइटम और खुले पेय पदार्थों का सेवन करने से पेट संबंधी बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है। बच्चों को अक्सर बारिश के पानी में खेलने की आदत होती है, जिससे पैर की त्वचा में फंगल संक्रमण और पेट में कीटाणु चले जाने की आशंका रहती है। वहीं बुज़ुर्गों को बदलते तापमान और ठंडी हवाओं से सांस लेने में परेशानी हो सकती है। मानसून का मौसम जितना आनंददायक है, उतना ही स्वास्थ्य के लिहाज से संवेदनशील भी है और हर उम्र के व्यक्ति को अपनी दिनचर्या में सावधानी लानी चाहिए। इस मौसम में शरीर को संक्रमण से बचाने के लिए हाइजीन का विशेष ध्यान रखना चाहिए। बच्चों को बारिश के पानी से खेलने से रोकें। बुज़ुर्गों को भीगने या ठंडे मौसम में ज्यादा देर रहने से बचाना चाहिए। घरों में पानी जमा न होने दें क्योंकि वहां मच्छर पनपते हैं जो डेंगू और मलेरिया जैसी बीमारियों का कारण बनते हैं। खाने-पीने में भी सतर्कता बरतना जरूरी है। बाहर का तला-भुना खाना और कटे-फटे फल खाने से बचें। टॉयलेट का इस्तेमाल करने के बाद और खाना खाने से पहले साबुन से हाथ धोने की आदत डालें। डॉक्टर की सलाह है कि बच्चों और बुजुर्गों में इन लक्षणों को नजरअंदाज न करें। बच्चों में बार-बार उल्टी, दस्त या बुखार आए तो तुरंत डॉक्टर को दिखाएं। बुजुर्गों में खांसी, कमजोरी या सांस लेने में दिक्कत हो तो देरी न करें। शरीर पर दाने, लाल चकत्ते या खुजली भी मानसून की बीमारियों का संकेत हो सकते हैं।
फिल्टर पानी और हल्का भोजन बना सकते हैं मानसून में फिट
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