फिल्म बनाने के लिए डायरेक्टर को गिरवी रखना पड़ा घर:महावतार नरसिम्हा की सक्सेस पर अश्विन कुमार बोले- लोगों ने मेरे पागलपन पर विश्वास किया

by Carbonmedia
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भगवान विष्णु के अवतार नरसिंह की कहानी पर बनी एनिमेटेड पैन इंडिया फिल्म ‘महावतार नरसिम्हा’ इन दिनों बॉक्स ऑफिस पर शानदार प्रदर्शन कर रही है। होम्बले फिल्म्स के बैनर तले बनी इस फिल्म का डायरेक्शन अश्विन कुमार ने किया है। हाल ही दैनिक भास्कर से खास बातचीत के दौरान डायरेक्टर ने बताया कि इस फिल्म को बनाने में गहने और घर तक गिरवी रखने पड़े। फिल्म की मेकिंग के दौरान जीवन में बहुत चुनौतियां आईं, लेकिन उन्होंने आस्था नहीं छोड़ी। यही फिल्म की सफलता का राज है। फिल्म मेकिंग के दौरान अश्विन कुमार को और किन चुनौतियों का सामना करना पड़ा, पढ़िए बातचीत के प्रमुख अंश में.. सवाल- फिल्म को जिस तरह से दर्शकों का प्यार मिल रहा है, उसे देखते हुए किस तरह की अनुभूति हो रही है? जवाब- यह तो एक सपने जैसा है। इतनी बड़ी सफलता मिलेगी, नहीं सोच था। इसके पीछे सालों की तपस्या है। सबने बहुत मेहनत की और भरोसा रखा कि फिल्म को दशकों का प्यार मिले। सबसे बड़ी बात इसके पीछे हमारे नरसिंह भगवान की कृपा और भक्त भक्त प्रहलाद का आशीर्वाद है, जिसकी वजह से ऐसा हो रहा है। मैं दर्शकों का बहुत कृतज्ञ हूं कि उन्होंने इतना प्रेम दिया। सवाल- इस घड़ी का आपने पांच साल तक इंतजार किया, इस बीच किस तरह की चुनौतियां आईं? जवाब- कई बार ऐसा हुआ कि मेहनत के बाद भी अच्छे परिणाम नहीं आ रहे थे। बहुत सारा समय और पैसा लगने के बाद मन में कई बार ख्याल आया कि इसे छोड़ देते हैं, लेकिन आस्था ने हमें टूटने नहीं दिया। जब भी कोई परेशानी आई, ईश्वर ने रास्ता दिखाया और सही लोग जुड़ते गए। काफिला इतना विशाल हो गया कि एक बड़ा समूह बन गया। सवाल- ऐसी क्या चीज थी जितने तमाम उतार चढ़ाव के बावजूद आपको हारने नहीं दिया? जवाब- आस्था। यही हमारी फिल्म का संदेश भी है। भक्त प्रहलाद ने कितनी यातनाएं सही, लेकिन भगवान विष्णु के प्रति आस्था नहीं छोड़ी। इस फिल्म की मेकिंग के दौरान हमारे भी जीवन में चुनौतियां आईं, लेकिन हमने आस्था नहीं छोड़ी। हमें पता था कि हमारे स्वामी हमारे साथ खड़े हैं, अगर भक्त प्रहलाद को बचाया तो हमें भी बचाएंगे। सवाल- कभी ऐसे भी क्षण आए जब लगा कि अब इससे बुरा कुछ नहीं हो सकता है? जवाब- कोविड के बाद हमने अपनी सारी जमा पूंजी फिल्म की तैयारी में लगा दी। हमारे स्टूडियों में कुछ लोगों को लगने लगा कि मैंने शायद कोई बड़ा सपना देख लिया है। उनका विश्वास हिलने लगा। कुछ खास लोगों ने जॉब छोड़ दी। नए लोगों को लेकर दुबारा सब कुछ रिस्टार्ट करना पड़ा। कहीं से पैसे समय से नहीं मिले तो घर और गहने गिरवी रखने पड़े। क्योंकि सबको सैलरी देनी थी। जरूरत पड़ने पर पत्नी, माता- पिता, सास-ससुर से पैसे लेने पड़ें। उन्होंने मेरे पागलपन पर विश्वास किया और मेरी मदद की। मेरे लिए उस समय यह बहुत बड़ी बात थी। सवाल- पत्नी शिल्पा का और किस तरह का सपोर्ट रहा है? जवाब- वो तो मेरी शक्ति हैं। उनके बिना तो फिल्म बनाना मुमकिन ही नहीं था। उन्होंने पूरा घर का चलाया और साथ में प्रोडक्शन भी देखा। यह एक प्रकार से एक बहुत बड़ा मानसिक सपोर्ट था। ताकि मैं इस प्रोजेक्ट में पूरा ध्यान लगा सकूं।

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