फ्री इलाज के बावजूद मरीज से स्टाफ ने 1 हजार लेकर सरकारी कोष में जमा करवाए, डीसी ने वापस दिलाए

by Carbonmedia
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भास्कर न्यूज | अमृतसर सिविल अस्पताल में मरीज से बाहर की दवाइयां मंगवाने और इलाज के लिए पैसे वसूलने का मामला सामने आने के बाद डीसी साक्षी साहनी ने खुद अस्पताल का दौरा किया। उन्होंने इमरजेंसी वार्ड समेत विभिन्न यूनिटों का निरीक्षण किया और मरीजों से सीधे बातचीत कर फीडबैक लिया। जांच में सामने आया कि 24 जुलाई को एसएमओ ने मरीज की आर्थिक हालत देखते हुए इलाज फ्री करने के लिए लिखित में आदेश दिए थे, बावजूद इसके अस्पताल स्टाफ ने सरकारी खाते में 1 हजार रुपए जमा करवा दिए। जब इस पर सवाल उठे तो यह राशि वापस कर दी गई, लेकिन डीसी ने स्पष्ट किया कि जब इलाज फ्री लिखा गया था, तो पैसे क्यों लिए गए? डीसी ने सिविल सर्जन से इस पूरे मामले में विशेष चर्चा कर जांच के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि मरीज के परिवार पर शिकायत वापस लेने का कोई दबाव नहीं बनाया जा रहा और वे खुलकर अपनी बात कह सकते हैं। निरीक्षण के दौरान सहायक सिविल सर्जन डॉ. रजिंदर पाल कौर, एमएस डॉ. करमजीत सिंह और अन्य अधिकारी मौजूद रहे। डीसी साहनी ने इमरजेंसी वार्ड में इलाज करा रहे मरीजों से बातचीत की और उनकी समस्याओं को सुनकर मौके पर मौजूद डॉक्टरों को समाधान के निर्देश दिए। उन्होंने ऑक्सीजन प्लांट की स्थिति भी देखी और डॉक्टरों को समय-समय पर इसकी जांच सुनिश्चित करने को कहा। निरीक्षण के दौरान डीसी ने मरीजों से पूछा कि उन्हें दवाइयां अस्पताल के अंदर ही मिल रही हैं या बाहर से लानी पड़ रही हैं। उन्होंने सख्त लहजे में डॉक्टरों से कहा कि अस्पताल आने वाले हर मरीज को दवाइयां यहीं से दी जाएं, ताकि उन्हें बाहर भटकना न पड़े। अस्पताल परिसर में पानी की लीकेज और गंदगी देख डीसी ने संबंधित अधिकारियों को मौके पर ही फोन कर फटकार लगाई और आज ही सुधार के आदेश दिए। एसएमओ डॉ. रश्मि को सफाई व्यवस्था दुरुस्त रखने के निर्देश दिए गए। साथ ही यह भी कहा गया कि इमरजेंसी वार्ड के बाहर कोई वाहन न खड़ा किया जाए, ताकि आपात स्थिति में मरीजों को परेशानी न हो। सिविल अस्पताल और गुरु नानक देव अस्पताल के डॉक्टरों के साथ बैठक में डीसी ने कहा कि मरीजों को जीएनडीएच रेफर करने से पहले डॉक्टरों को आपस में संपर्क और समन्वय रखना चाहिए। मरीज का इलाज फ्री करने की लिखित अनुमति दी गई थी। फिलहाल मामले की जांच चल रही है और जांच कमेटी की रिपोर्ट का इंतजार है। जो भी जिम्मेदार पाया जाएगा, उसके खिलाफ सख्त विभागीय कार्रवाई की जाएगी। – डॉ. रश्मि विज, एसएमओ

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